मुरादाबाद की गलियों में आजकल हर कोई एक ही सवाल पूछ रहा है: क्या प्यार इतना अंधा हो सकता है कि वह खून की स्याही से लिखी जाए? रामगंगा विहार कॉलोनी की फिजियोथेरेपिस्ट रीना सिंधु ने अपने प्रेमी परितोष कुमार के साथ मिलकर अपने पति रविंद्र कुमार की हत्या कर दी। यह सिर्फ एक अपराध की कहानी नहीं, बल्कि विश्वासघात, लालच और टूटे दिलों का एक ऐसा दस्तावेज है, जो समाज को झकझोर रहा है।

साजिश का ताना-बाना
रीना अपने फिजियोथेरेपी सेंटर में हर रोज लोगों के दर्द को कम करती थीं। उनकी मुस्कान और मेहनत ने उन्हें मोहल्ले में सम्मान दिलाया था। लेकिन उनके घर की चारदीवारी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं था। उनके पति रविंद्र, जो दिल्ली से आए थे, एक तीन करोड़ की संपत्ति के मालिक थे। रविंद्र इसे बेचना चाहते थे, लेकिन रीना तैयार नहीं थीं। यह मतभेद उनके रिश्ते में जहर घोलता गया।
इसी बीच, रीना की मुलाकात अपने सेंटर में इलाज के लिए आने वाले परितोष कुमार से हुई। परितोष, बिजनौर के नजीबाबाद का रहने वाला, धीरे-धीरे रीना के दिल के करीब आया। उनकी बातें, मुलाकातें, और फिर एक ऐसा रिश्ता, जो समाज की नजरों में गलत था। रीना ने परितोष को 10 लाख रुपये का वादा किया और एक खतरनाक फैसला लिया—रविंद्र को हमेशा के लिए रास्ते से हटाना।
31 मई 2025 की रात, रीना ने रविंद्र को परितोष के घर बुलाया। वहां रविंद्र को शराब के नशे में डुबोया गया। फिर परितोष ने फावड़े से रविंद्र पर ताबड़तोड़ वार किए। खून से सनी उस रात, रविंद्र की सांसें थम गईं। दोनों ने शव को कार में ठूंसा और उत्तराखंड के कोटद्वार के घने जंगलों में फेंक आए।
सच का खुलासा
5 जून 2025 को, कोटद्वार के जंगल में एक शव मिला। वह रविंद्र था। रविंद्र के भाई राजेश ने पुलिस को बताया कि उन्हें रीना पर शक है। पुलिस ने कमर कसी और सीसीटीवी फुटेज की बारीकी से जांच की। एक कार बार-बार कोटद्वार के आसपास दिखी। यही सुराग पुलिस को रीना और परितोष तक ले गया। बिजनौर के नजीबाबाद से दोनों को हथकड़ियों में जकड़ा गया।
रीना ने पुलिस के सामने सारा सच उगल दिया। उसने बताया कि वह और परितोष एक-दूसरे से प्यार करते थे, लेकिन रविंद्र की संपत्ति उनके सपनों की राह में रोड़ा थी। हत्या के बाद, रीना ने अपने बंगले में परितोष के साथ जश्न मनाया, मानो कुछ हुआ ही न हो। पड़ोसियों की नजरों में यह बर्ताव शक पैदा कर गया।
टूटते रिश्तों की गूंज
रीना और रविंद्र की शादी 2010-11 में हरिद्वार में हुई थी। कभी प्यार से शुरू हुआ उनका रिश्ता, संपत्ति के लालच और बेवफाई की भेंट चढ़ गया। यह कहानी सिर्फ मुरादाबाद की नहीं, बल्कि हमारे समाज की सच्चाई बयां करती है। उत्तर प्रदेश में ऐसी घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं—मेरठ में मुस्कान रस्तोगी ने अपने प्रेमी के साथ पति की हत्या की, बलिया और औरैया में भी यही कहानी दोहराई गई। क्या हम रिश्तों की नींव को इतना कमजोर होने दे सकते हैं?
हम क्या सीखें?
रीना और परितोष अब सलाखों के पीछे हैं। अदालत उनका फैसला करेगी, लेकिन यह घटना हमें जिंदगी का एक कड़वा सबक देती है। प्यार और लालच की आड़ में हिंसा का रास्ता सिर्फ बर्बादी लाता है। रिश्तों में विश्वास, बातचीत और ईमानदारी ही वह ताकत है, जो हमें इंसान बनाए रखती है। मुरादाबाद की यह कहानी हर उस शख्स के लिए एक चेतावनी है, जो रिश्तों को हल्के में लेता है।