अतिथियों के आने पर देवी 2020 ने किया ऐसा काम कि जेल अधीक्षक को देनी पड़ी शाबासी
अतिथि देवो भवः। ये सूत वाक्य पुरातन काल से सनातनी संस्कारों का अभिन्न अंग रहा है। खासकर ग्रामीण परिवेश में शहर की तुलना में अतिथियों के स्वागत-सत्कार की उत्सुकता कुछ ज्यादा ही रहती है। लेकिन, शनिवार को मुंआर गाँव का नजारा कुछ उलट था।