नरसिंहपुर: वेटरनरी अस्पताल में एक-एक कर चल बसीं 5 गायें, पेट से निकली 15 किलो पालीथिन

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नरसिंहपुर।बेसहारा मूक मवेशी पालीथिन खाकर असमय काल के गाल में समा रहे हैं। इसका उदाहरण सप्ताह भर में वेटरनरी अस्पताल में एक-एक कर गई पांच गायों की जान है। बताया जा रहा है कि मृत गायों के पेट से करीब 15 किलो पालीथिन मिला है।

इस संबंध में पशु चिकित्सकों का कहना है कि शहर की सड़कों के किनारे लोग पालीथिन में सड़ा-गला भोजन आदि सामान फेंक देते हैं। जिसके कारण बेसहारा मवेशी पेट भरने के लिए खाने के सामान के साथ पालीथिन को भी निगल लेते हैं। इसके कारण उनके पेट में गैस बनने लगती है, जो कुछ घंटों बाद उनकी मौत का कारण बनती है। चिकित्सकों का कहना है कि उनके समक्ष परेशानी की बात ये है कि गाय के पेट में पालीथिन है कि नहीं, इस बात कि जानकारी एक्स-रे में भी पता नहीं चलता।पालीथिन के कारण गायों अन्य बेसहारा मवेशियों की असमय मौत से गोसेवकों में आक्रोश है। वहीं नगरपालिका की बात करें तो जिम्मेदारों का कहना है कि गोवंश की अकाल मौत रोकने व पालीथिन पर प्रभावी नियंत्रण के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

 

इनका ये है कहना

गोवंश को बचाने डंपिंग ग्राउंड के चारों ओर बाउंड्रीवाल खड़ी की जा रही है। साथ ही फटका मशीन से पालीथिन को अलग करवाया जा रहा है। जागरूकता बढ़ाई जा रही है ताकि पालीथिन का इस्तेमाल रुक सके, गोवंश की अकाल मौत को रोका जा सके।

कुंवर विश्वनाथ सिंह, सीएमओ, नगरपालिका नरसिंहपुर।  

शहर में जगह-जगह पालीथिन के कचरे में कई प्रकार के पदार्थ लिपटे रहते हैं। बेसहारा मवेशी इन्हें खाकर व दूषित पानी पीकर बीमार हो जाते हैं, जिससे उनकी मौत हो रही है। गोवंश की मौत रोकने के लिए पालीथिन पर रोक लगाना जरूरी है।

डा. मनोहर प्रसाद तिवारी, पशु चिकित्सक, नरसिंहपुर।

मेरे सामने एक के बाद एक पांच गायों की मौत हुई। पहले भी तड़पते हुए गोवंशीय मवेशियों को मरते देखा है। गायों की मौत को रोकने का एक ही तरीका है कि पालीथिन का उपयोग बंद हो।

शिवम पाठक, गोसेवक, नरसिंहपुर।

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