नरसिंहपुर। पिछले साल जून माह में 919 मीट्रिक टन यूरिया 22 लोगों को वितरित करने के मामले में आरोपियों को क्लीनचिट देने की तैयारी हो रही है। इसकी सुगबुगाहट 28 जनवरी को गाडरवारा पहुंची भोपाल-नरसिंहपुर के अधिकारियों की जांच टीम द्वारा दिए गए कथन में झलक रही है। जांच दल के अनुसार जिस शिकायत की जांच करने वे आए थे, दरअसल वह नया नहीं बल्कि पुराना मामला है। इसमें कलेक्टर कार्रवाई कर रहे हैं। वैसे भी यह कोई घोटाला नहीं बल्कि तकनीकी खामी भर था।
खबरलाइव 24 द्वारा सबसे पहले इस मामले का खुलासा पिछले साल जुलाई में किया था। इसके बाद ये मामला पूरे प्रदेश में गूंज उठा था, कांग्रेस के तीखे हमले के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए थे। इस मामले में कलेक्टर ने अपर कलेक्टर मनोज कुमार ठाकुर के नेतृत्व में पांच सदस्यीय जांच दल भी बनाया था। जिसकी रिपोर्ट पर पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश भी हुए थे। ये बात और है कि सिर्फ एक ही विक्रेता के खिलाफ थाने में मुकदमा कायम हुआ, शेष के मामले में जांच की बात कहकर अधिकारी प्रकरण को टालते रहे। मामला उजागर होने के छह माह बाद फिर से गाडरवारा के भाजपा नेता पवन पटेल ने सीएम हेल्पलाइन के जरिए यूरिया घोटाले की जांच की मांग की। हालांकि इस मांगपत्र को अधिकारी समझ नहीं सके और उच्च स्तर पर तत्काल इसकी जांच के आदेश हो गए। इसके बाद संयुक्त संचालक किसान कल्याण व कृषि विभाग द्वारा उच्च स्तरीय जांच दल का गठन किया गया। जिसमें प्राचार्य कृषि विस्तार एवं प्रशिक्षण केंद्र, कार्यक्रम समन्वयक जिला सहायक मिट्टी परीक्षण अधिकारी, अनुविभागीय अधिकारी गाडरवारा को शामिल किया गया। इसके बाद 28 जनवरी को संयुक्त संचालक केएस नेतराम व प्रभारी संयुक्त संचालक डीडी विश्वकर्मा के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम ने गाडरवारा पहुंचकर शिकायतकर्ता के बयान दर्ज किए। यूरिया घोटाले की शिकायत के बाद बने जांच दल को किसी नए घोटाले की आशंका थी। उन्हें इस बात का जरा भी इल्म नहीं था कि ये मामला करीब 10 माह पुराना है और इस प्रकरण मंे कलेक्टर वेदप्रकाश जांच करा चुके हैं। जांच दल के लोग जब गाडरवारा पहुंचे और यहां उन्होंने शिकायतकर्ता के कथन लिए तो उन्हें तब पता चला कि यह मामला करीब 10 माह पुराना है। इस मामले में कलेक्टर वेदप्रकाश जांच के साथ-साथ कुछ गोदाम प्रबंधकों, विक्रेताओं पर कार्रवाई भी कर चुके हैं।
जांच टीम बोली-कोई घोटाला नहीं
28 जनवरी को यूरिया घोटाले के मामले में जांच करने आई जांच टीम ने करीब 919 मीट्रिक टन यूरिया आवंटन में किसी भी घोटाले से इंकार किया है। जांच दल के प्रभारी डीडी विश्वकर्मा का कहना था कि कोविडकाल में जब लॉकडाउन लगा था तब कोई भी किसान पीओएस मशीन में अंगूठा लगाकर यूरिया नहीं ले रहा था। वहीं नई पीओएस मशीन के संचालन की समितियों, गोदामों में पदस्थ कर्मचारियों को अधिक ज्ञान भी नहीं था। इस कारण यूरिया का अप्रैल से जून के बीच वितरण तो होता रहा लेकिन पीओएस मशीन में अंगूठे की छाप न होने के कारण भारत सरकार के फर्टिलाइजर पोर्टल पर स्टाक निल नहीं हो पाया। जुलाई में जब यूरिया की किल्लत हुई और वैरिफिकेशन किया गया तो ये गलती सामने आई, इसके बाद स्टाक को जल्द से जल्द निल कराने के लिए 22 लोगों के अंगूठे की छाप गोदाम प्रबंधकों ने ले ली। जिससे पोर्टल पर 919 मीट्रिक टन यूरिया का आवंटन इन 22 लोगों के नाम दर्ज हो गया।
मामले में लीपापोती कहीं कोशिश तो नहीं
28 जनवरी को आए जांच दल ने भले ही ये दावा कर रहा हो कि 22 लोगों को 919 मीट्रिक टन यूरिया आवंटन महज तकनीकी गलती थी, न कि कोई घोटाला। लेकिन, यहां एक बात गौर करने वाली ये है कि जब इस मामले में कलेक्टर वेदप्रकाश ने प्रारंभिक जांच कराई थी तब प्राथमिक जांच रिपोर्ट में खासकर गाडरवारा तहसील के विक्रेताओं व गोदाम प्रभारी की संदिग्ध भूमिका पाई गई थी। कलेक्टर ने 26 अगस्त को आदेश जारी करते हुए 5 लोगों के खिलाफ थाने में मुकदमा कायम करने के आदेश भी जारी किए थे। तत्काल परिस्थिति में एक निजी विक्रेता के खिलाफ मुकदमा दर्ज भी किया गया लेकिन शेष 4 लोगों के खिलाफ मामला ठंडे बस्ते में चला गया। नरसिंहपुर-गाडरवारा के गोदाम प्रभारियों को हटाया भी गया था। शेष लोगों पर किस तरह की कार्रवाई की जा रही है इसे लेकर बार-बार पूछे जाने पर कृषि विभाग जल्द प्रतिवेदन देने व जांच जारी होने की बात करता रहा। वहीं इस मामले की पुन: शिकायत के बाद उच्चाधिकारियों के जांच दल ने गाडरवारा पहुंचकर अनजाने में ही सही लेकिन स्पष्ट कर दिया कि 919 मीट्रिक टन यूरिया आवंटन के मामले में कार्रवाई के नाम पर शायद लीपापोती की कोशिश जारी है।
खबरलाइव 24 के पर्दाफाश से मचा था हड़कंप
22 लोगों को आवंटित कर दिया 919 मीट्रिक टन यूरिया के मामले को सबसे पहले खबरलाइव 24 ने पर्दाफाश किया था। इससे सिर्फ जिले में ही नहीं बल्कि समूचे प्रदेश में हड़कंप मच गया था। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन यादव समेत प्रदेश कांग्रेस के अधिकृत सोशल मीडिया अकाउंटों पर ये खबर प्रमुखता से अपलोड की गई थी। कांग्रेस ने इस मामले पर विधानसभा के अंदर-बाहर सरकार की जमकर घेराबंदी की थी। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मामले को गंभीर मानकर तत्काल कार्रवाई के निर्देश कलेक्टर को जारी किए थे। इस आदेश के परिप्रेक्ष्य में जिला प्रशासन ने अपर कलेक्टर मनोज कुमार ठाकुर की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच दल का गठन भी किया था। जिसका प्रतिवेदन जमा होने के बाद कलेक्टर वेदप्रकाश ने अगस्त के आखिरी दिनों में पांच लोगों को आरोपित मानकर इनके खिलाफ संबंधित थाना क्षेत्रों में मुकदमा कायम करने का आदेश जारी किया था। वहीं तीन गोदाम प्रबंधकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए भोपाल स्तर के विभाग को अनुशंसा की गई थी। इसके बाद छह माह से अधिक का वक्त बीत गया लेकिन प्रकरण का नतीजा अभी भी जांच के नाम पर फाइलों में कैद है।
इनका ये है कहना
यूरिया घोटाले की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में पहुंची थी। इसकी जांच करने के लिए हमारा दल गाडरवारा पहुंचा था, जहां शिकायतकर्ता के जब बयान लिए गए तो पता चला कि ये नया नहीं बल्कि पुराना मामला है। इसकी जांच हो चुकी है, इस प्रकरण में घोटाले जैसी कोई बात नहीं है। दरअसल, लॉकडाउन के दौरान पीओएस मशीन में अंगूठे की छाप न लेने के कारण ये गफलत पैदा हुई थी।
डीडी विश्वकर्मा, प्रभारी संयुक्त संचालक व जांच दल प्रमुख भोपाल