आपातकाल की बरसी पर बोले रास सदस्य कैलाश सोनी-बंगाल हिंसा के कारण लोकतंत्र पर मंडरा रहे खतरे के बादल
मनीष सोनी
करेली। जहां एक ओर कोविड 19 वायरस वैश्विक महामारी के कारण हमारा देश संकट के गंभीर दौर से गुजर रहा है। वहीं दूसरी ओर बंगाल हिंसा के कारण लोकतंत्र पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। आपातकाल समर्थकों द्वारा कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए वैक्सीन के विरुद्ध प्रोपेगेंडा ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है। हालांकि संतोष की बात है कि देश इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एकजुट है। ऐसे में आपातकाल योद्धाओं का कर्तव्य है कि वे देश विरोधी प्रोपेगेंडा करने वालों को बेनकाब कर इस विषय में जनजागरण करने का संकल्प लें, आज यह देश और समय की आवश्यकता है।
ये बात राज्यसभा सदस्य और लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश सोनी के आपातकाल के काले अध्याय के 46 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में कही। श्री सोनी ने कहा कि नई पीढ़ी को लोकतंत्र पर आई इस अमावस्या की शायद ही कोई जानकारी होगी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में 25 जून 1975 में एक ऐंसा भी अवसर आया, जब एक सत्तासीन व्यक्ति ने जिनका चुनाव परिणाम भ्रष्टाचार के कारण इलाहाबाद हाईकोर्ट से रद्द कर दिया गया। अपनी सत्ता पिपासा को पूरा करने के लिए देशवासियों के सारे लोकतांत्रिक अधिकारों व सारी संवैधानिक मर्यादाओं को समाप्त कर संपूर्ण देश को आपातकाल की बेड़ी में जकड़ दिया। लाखों निरापराध लोगों की धड़ाधड़ गिरफ्तारी हुई व लोकनायक जयप्रकाश नारायण सहित सभी विरोधी दलों के नेता जिसमें अटल बिहारी बाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जार्ज फर्नांडीस कांग्रेस के कुछ नेता 250 से अधिक पत्रकार जेलों में डाल दिए गए। जेल के भीतर भी अकेले मध्यप्रदेश में 100 से अधिक लोकतंत्र सेनानियों की असमय मृत्यु हुई। 1,10,806 राजनैतिक और सामाजिक नागरिकों को मीसा-डीआईआर ने बिना मुकदमा चलाए जेलों में बंद किया। श्री सोनी ने बताया कि 25 एवं 26 जून 2006 को करेली में हुए दो दिवसीय सम्मेलन में मप्र व छत्तीसगढ़ के कुछ लोकतंत्र सेनानी शामिल हुए। तब लोकतंत्र सेनानी संघ को एक राज्य स्तरीय संगठन बना लिया गया था। 26 जून 2015 को भोपाल में आयोजित सम्मेलन में इसे अखिल भारतीय स्वरूप प्रदान किया गया। आज इस संगठन का परिपूर्ण आकार सभी के सामने है वह इसके केन्द्रीय पदाधिकारियों के निरंतर प्रवास और प्रयास का परिणाम है।
बंगाल हिंसा पर चिंता: रास सदस्य ने आरोप लगाया कि बंगाल में सत्तारूढ़ दल के इशारे पर सुनियोजित तरीके से 208 लोकतंत्र सेनानी राजनैतिक कार्यकर्ताओं की हत्या की जा चुकी है। 107 महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ दुष्कर्म और 22000 कार्यकर्ताओं के मकान जला दिए गए है। बंगाल में हिंसा का नंगा नाच हो रहा है। इसलिये विनम्र प्रार्थना है कि बंगाल हिंसा की जांच कराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय स्वयमेव संज्ञान ले व केंद्र सरकार के द्वारा बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाकर लोकतंत्र के रक्षण की पहल समयोचित होगा।