गाडरवारा: महानगरों में महंगे फर्नीचर बेचने जिले से हो रही सागौन लकड़ियों की तस्करी, इंदौर जा रहा ट्रक जब्त

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नरसिंहपुर। अमीरों के घरों की शोभा बढ़ाने के लिए जिले की वन संपदा का खुलेआम कत्लेआम किया जा रहा है। महानगरों में महंगे फर्नीचरों के निर्माण के लिए सागौन आदि के पेड़ तस्करी के जरिए भिजवाए जा रहे हैं।

नरसिंहपुर। ग्राम देतपोन के पास खड़ा वह ट्रक जिसमें आम की लकड़ी भरी पाई गई।

इसका खुलासा सोमवार को साईंखेड़ा में हुआ। यहां ग्राम अजंदा से आम की गीली लकड़ी लेकर इंदौर जाने के लिए निकले ट्रक को मंगलवार की सुबह वन अमले ने देतपोन के पास पकड़ लिया। ट्रक में करीब 55 नग लकड़ी भरी हुई थी और यह लकड़ी इंदौर जा रही थी। मामले में वन विभाग ने ट्रक चालक सहित दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
वन विभाग का अमला सांईखेड़ा थाना क्षेत्र के तहत आने वाले ग्राम देतपोन के पास गस्त के दौरान घूम रहा था। इसी दौरान ट्रक क्रमांक एमपी 09 एमजी 4713 को आते देख वन अमल ने उसे रूकवाया और चालक सहित सवार लोगों से पूछताछ हुई तो वाहन में आम की लकड़ी भ्ारे होने की जानकारी मिली। अमले ने जब वाहन सवार लोगों से परिवहन अनुज्ञा पत्र मांगा तो उनके पास नहीं मिला। जिससे ट्रक को जप्त करने की कार्रवाई की गई। मामले में वन विभाग ने लोकेश पिता राध्ोश्याम ठाकुर निवासी कन्न्ौद व अन्य दो लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया है। वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में इस कार्रवाई में वनरक्षक मनीष तिवारी, सचिन कटारे, हरिओम वर्मा, वाहन चालक नारायण वर्मा का योगदान रहा। वन अमले के अनुसार ट्रक में भरी लकड़ी गीली है और करीब 55 नग है जो 10 चट्टा के बराबर है।
फर्नीचर-बाक्स में उपयोग की आशंका: बताया जाता है कि क्षेत्र से आम की लकड़ी का परिवहन होने के पहले भी मामले सामने आ चुके है। आम की यह लकड़ी महानगरों में फर्नीचर निर्माण के साथ ही बाक्स निर्माण में उपयोग की जाती है। जानकार कहते है कि आम की लकड़ी भी फर्नीचर में लगने के दौरान वैसी ही चमक देती है जैसी सागौन में दिखती है। लेकिन लकड़ी के जानकार ही यह पता कर पाते है। बाजार में मिलने वाले अधिकांश फर्नीचर में बाहरी तरफ तो सागौन की लकड़ी का फ्रेम होता है लेकिन भीतरी हिस्से में ज्यादातर आम की लकड़ी का ही उपयोग होता है। आशंका है कि ट्रक में भरी लकड़ी भ्ाी इसी उपयोग के लिए ले जाई जा रही थी। हालांकि इस मामले में अब तक अवैध लकड़ी के उपयोग की स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है।

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