डॉ. स्वाति चाँदोरकर द्वारा लिखित मेरी नर्मदा परिक्रमा एक यात्रा अनुभव से अनुभूमि पुस्तक का विमोचन
नरसिंहपुर। धर्म हमें सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। संसार को हम जान रहे हैं मुनष्य की सार्थकता तब है जब वह मनुष्यता को जान लेता है। बिना कारण के कोई कार्य नही होता। मां नर्मदा के दर्शन और डुबकी लगाने का जो पुण्य और आनंद है उसकी कल्पना नही की जा सकती। नर्मदा परिक्रमा करने से जहां पुण्य मिलता है वहीं धर्म संस्कृति और परंपरा को जानने का अवसर मिलता है। उक्त बात होटल सावित्री सिंगनेचर में नीलकमल पब्लिकेशन प्रा.लि.नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित एवं डॉ. स्वाति चाँदोरकर द्वारा लिखित मेरी नर्मदा परिक्रमा एक यात्रा अनुभव से अनुभूमि पुस्तक के विमोचन एवं सम्मान समारोह में दण्डी स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ने कही। स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ने आशीष वचन देते हुए गंगा, यमुना एवं नर्मदा का महत्व बताते हुए लोगों से धर्म संस्कृति पर चलने का आव्हान किया। उन्होने कहा कि धर्म को जानने और उसको पालन करने की आवश्यकता है कोई भी कार्य पूर्ण रीति रिवाज के अनुसार किया जाना चाहिए। स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ने डॉ. स्वाति चॉदोरकर द्वारा नर्मदा परिक्रमा के अनुभव के आधार पर लिखी गई पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह पुस्तक अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का कार्य करेगी।
कार्यक्रम में स्वामी ब्रिजेन्द्र सरस्वती महाराज ने मेरी नर्मदा परिक्रमा एक यात्रा से अनुभव से अनुभूति पुस्तक पर अपनी टिप्पणी देते हुए कहा कि जीवन में समय निकालना कठिन होता है। किन्तु नर्मदा परिक्रमा से हमे आध्यात्मिक और धर्म का ज्ञान और दर्शन प्राप्त होता है। आपने धर्म कर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि नर्मदा परिक्रमा या अन्य धार्मिक कार्य करते समय हमें अनेक अनुभव प्राप्त करना चाहिए। पुस्तक विमोचन समारोह में मां नर्मदा संरक्षण न्यास की कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमति अमृता सिंह ने कहा कि डॉ. स्वाति चाँदोरकर की पुस्तक निश्चित तौर पर यात्रा का बारीकी से विवरण देता है। श्रीमति सिंह ने कहा कि 2017 में नर्मदा परिक्रमा करने पर नरसिंहपुर और मप्र के बड़े भाग को नजदीकी से जानने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। नर्मदा किनारे बसे लोगों की सेवा की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। नर्मदा किनारे बसे लोग भले ही अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं परंतु उनकी सेवा के कारण हर व्यक्ति में मां नर्मदा नजर आती है। आपने अपने पति पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साथ की गई नर्मदा परिक्रमा के कई संस्मरण से नर्मदा के महत्व को बताया। पुस्तक की समीक्षा करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. प्रकाश डोंगरे ने कहा कि भले ही स्वाति चाँदोरकर अंग्रेजी विषय की प्राध्यापक हैं परंतु उन्होने बहुत ही सहज सरल और आसानी से समझने वाली भाषा में पुस्तक को लिखा है। पढऩे में प्रस्तुक एक डायरी प्रतीत होती है परंतु पढ़ते-पढ़ते यह एक संपूर्ण पुस्तक का रूप ले लेती है। डॉ. डोंगरे ने कहा कि किसी यात्रा को किस तरीके से दर्शाया जा सकता है इसका दर्शन डॉ. स्वाति चॉदोरकर की पुस्तक में देखने को मिला। कार्यक्रम के प्रारंभ में मेरी नर्मदा परिक्रमा एक यात्रा अनुभव से अनुभूति की लेखिका डॉ. स्वाति चॉदोरकर ने बताया कि नर्मदा परिक्रमा को लेकर कई सवाल और भय था। परंतु ना जाने किस शक्ति ने यह यात्रा को प्रशंसा, अनेक अनुभव के साथ पूर्ण कराया और बहुत ही नजदीकी से परंपरा और संस्कृति को जानने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। डॉ. स्वाति चॉदोरकर ने यह भी बताया कि पुस्तक भी किसी अदृश्य शक्ति ने पूर्ण कराया। कार्यक्रम के प्रारंभ में मां नर्मदा एवं मां सरस्वती का पूजन किया गया। साथ ही सभी अतिथियों का स्वागत कर उन्हे स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजीव चॉदोरकर एवं आभार प्रदर्शन डॉ. इति चॉदोरकर व 5 वर्षीय बालक आहान चॉदोरकर ने किया।
किया गया सम्मान
कार्यक्रम में नर्मदा क्षेत्र में कार्य करने वाले विशिष्टजनों का सम्मान किया गया। जिसमें मुख्य रूप से श्रीमति अृमता सिंह, रणछोड़ भाई पाटिदार, बसंत वर्मा, मुकेश मेहरा, वीरेन्द्र मेहरा एवं चित्रकार डॉ. यतीन्द्र महोबे का शाल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया। उक्त मौके पर पूर्व ऊर्जा मंत्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति, विधायक संजय शर्मा, पूर्व विधायक गिरिजा शंकर शर्मा, सुनील जायसवाल के अलावा बड़ी संख्या में विभिन्न वर्ग के लोग मौजूद थे।