धवई टैंक परियोजना: चीलाचौन खुर्द में मनमाने ढंग से हो रहे पिचिंग के काम को जिपं सीईओ ने रुकवाया, इंजीनियरों ने साइट से लिए पत्थरों के सैंपल
छूई पत्थर हटवाए, किरकिरा की होगी लैब में जांच
नरसिंहपुर। मुख्यमंत्री सरोवर योजना के अंतर्गत धवई के बजाय चीलाचौन खुर्द में बनवाए जा रहे तालाब को जल्द से जल्द पूरा करने की जल्दबाजी में ठेकेदार द्वारा छूई और किरकिरा पत्थर पिचिंग के काम में इस्तेमाल किया जा रहा था। जब इसका खुलासा किया तो ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के अधिकारियों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में उन्होंने साइट पर जाकर किरकिरा पत्थर की सैंपलिंग कर ली। यह कितना मजबूत है इसकी जांच लैब में कराई जाएगी। वहीं मामले को संज्ञान में लेते हुए जिला पंचायत सीईओ कमलेश कुमार भार्गव ने तत्काल प्रभाव से पिचिंग के काम को रुकवा दिया है।
धवई के नाम पर चोरी-छिपे चीलाचौन खुर्द पंचायत में तालाब का लेआउट डालने वाले इंजीनियर अब अपनी करनी को छिपाने और किसी तरह तालाब के निर्माण को पूरा करने की जुगत में हैं। इसकी बानगी रविवार को देखने को मिली। अवकाश का दिन होने के बावजूद आबादी से दूर निर्माण स्थल पर ठेकेदार के कर्मचारी तेजी से मजदूरों के माध्यम से किरकिरा पत्थर को उठवाकर पिचिंग के काम कराते दिखे। हैरत की बात ये रही कि पूरे तालाब की संरचना को तैयार करने के दौरान ठेकेदार और अधिकारियों ने धवई के एक भी आदिवासी को रोजगार नहीं दिया। लेकिन, जब उनकी करतूत उजागर हुई तो छुट्टी के दिन भी इन्होंने मजदूरों की व्यवस्था कर ली। इस मामले में जब ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के अधिकारियों से बात की गई तो वे पहले अनभिज्ञता जताते रहे। फिर एसडीओ व उपयंत्री को मौके पर भेजे जाने की बात कही। हालांकि रविवार को मौका स्थल गया कोई नहीं। सोमवार को जब नईदुनिया ने यह मामला उजागर किया तो ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के अधिकारियों के होश उड़ गए। जिला पंचायत सीईओ कमलेश कुमार भार्गव ने तत्काल आरईएस के इंजीनियरों से मौके पर जाकर काम रुकवाने की बात कही। साथ ही पत्थर की मजबूती, क्वॉलिटी को परखने कहा।
ईई के साथ एसडीओ ने की सैंपलिंग
सोमवार को ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री केएस मालवीय और एसडीओ आकाश सूत्रकार चीलाचौन खुर्द पंचायत में पहुंचे। यहां उन्होंने तालाब की पिचिंग के काम में इस्तेमाल किए जा रहे किरकिरा पत्थर की सैंपलिंग की। इसके अलावा ठेकेदार के कर्मचारियों को पत्थर की प्रयोगशाला जांच रिपोर्ट आने तक काम बंद करने कहा। पत्थरों के सैंपल लेकर दोनों अधिकारी जिला मुख्यालय आए। इनका कहना है कि एकाध हफ्ते में पत्थरों की प्रयोगशाला रिपोर्ट आ जाएगी। इनका दावा रहा कि उन्होंने मौका स्थल पर मौजूद छूई पत्थरों को हटवा दिया है।
मानने तैयार नहीं कि गल जाएंगे-फूट जाएंगे पत्थर
चीलाचौन खुर्द के तालाब की पिचिंग में ठेकेदार द्वारा लगवाए जा रहे किरकिरा पत्थर को लेकर आरईएस के अधिकारी पहले ही निर्णय की स्थिति में नजर आए। वे इस बात को मानने ही तैयार नहीं है कि ये किरकिरा पत्थर पानी के संपर्क में आने से गल जाएगा या फिर इसमें टूट-फूट होगी। उनका तो ये तक कहना था कि पिचिंग के काम में ब्लैक बेसाल्ट ही लगाया जाए, ये जरूरी नहीं है। हालांकि उनके पास इस बात का भी कोई जवाब नहीं था कि मौजूदा पत्थर की मजबूती का रेश्यो क्या है। वे तो सिर्फ इस बात पर अड़े रहे कि नार्मल कल्चर में ब्लैक बेसाल्ट का कोई नियम नहीं है।
पत्थर का नार्मल कल्चर 25 होना चाहिए
तालाब की पिचिंग में लगाए जा रहे पत्थर की मजबूती का क्या पैमाना है। किस रेश्यो का पत्थर इसमें इस्तेमाल होना चाहिए। इस सवाल पर एसडीओ आकाश सूत्रकार का कहना था कि मजबूती का पैमाना नार्मल कल्चर के अनुरूप कम से कम 24-25 के आसपास होना चाहिए। इससे कम का स्तर कमजोर रहता है। क्या पिचिंग के काम में मौजूदा पत्थर इस कल्चर के अनुरूप है, इस पर एसडीओ खुद ही संशय की स्थिति में रहे। कभी वे पत्थर की मजबूती के पक्ष में बात करते रहे तो कभी वे प्रयोगशाला रिपोर्ट आने का जिक्र करते रहे। कुल मिलाकर अधिकारियों को खुद ही आशांवित नहीं हैं कि पत्थर क्वॉलिटी का है भी कि नहीं।
15 दिन पहले कहा था- ब्लैक बेसाल्ट का ऑर्डर दे दिया
आरईएस के अधिकारियों ने भले ही पत्थरों की सैंपलिंग करा ली हो और वे ब्लैक बेसाल्ट पत्थर के इस्तेमाल को नकारने लगे हों, लेकिन ये वही अफसर हैं जो 15 दिन पहले तक ये कह रहे थे कि हमने पास की फैक्टरी से ब्लैक बेसाल्ट के पत्थरों का ऑर्डर करा दिया है। ये पत्थर अलग करवा दिए जाएंगे। यहां मजबूती के ब्लैक बेसाल्ट ही लगेगा। इसकी विपरीत न तो ब्लैक बेसाल्ट आए न ही पहले से मौजूद पत्थरों को हटवाया गया। उल्टे वीरान स्थल का फायदा उठाकर ठेकेदार को अधिकारियों ने मनमाने ढंग से निर्माण जारी रखने की स्वीकृति दे दी।