लॉक डाउन ने बढ़ाई उम्र, नरसिंहपुर शहर में घट गई मृत्युदर!
घरों में स्वच्छता के साथ पारिवारिक एकता ने घटाया तनाव, बुजुर्गों की अच्छे से हो रही देखभाल
विक्रांत पटेल/ नरसिंहपुर। (स्थानीय संपादक, यशभारत)
कोरोना संक्रमण की दहशत ने जिले को लॉक डाउन कर रखा है। हर घर आस-पड़ोस से प्रायः अनजान बन चुका है। अब प्रत्येक में परिवार का हर सदस्य ही एक-दूसरे का रिश्तेदार है, दोस्त है, शुभचिंतक है। साथ खाने से लेकर मनोरंजन, बातचीत ही वक्त बिताने का इकलौता जरिया है। इसका नतीजा ये है कि परिवार की इस एकता ने घरों में तनाव को घटा दिया है। लोग अपने किसी भी तरह के संक्रमण से बचने के लिए परिवार के हर सदस्य की स्वच्छता के साथ बुजुर्गों की दवा आदि का विशेष ख्याल रख रहे हैं। इसका नतीजा भी बेहद शानदार देखने में आ रहा है। खासकर आदमी की जीवन प्रत्याशा बढ़ने लगी है। इसकी गवाही खुद शहर के श्मशान घाट, कब्रिस्तान और ग्रेबियाड दे रहें हैं। यहाँ लॉक डाउन के 22 दिन में सभी धर्मों की मात्र 17 शवयात्राएं आई हैं।
तकियादार को मिले पीपीई किट: नकटुआ स्थित कब्रिस्तान में अर्थियों को सुपुर्दे ख़ाक करने वाला तकियादार लावारिश लाशों को भी श्मशान घाट में दफ़न करता है। ऐसे में इस तकियादार के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन को पीपीई किट मुहैया कराना चाहिए। ये मांग जिला वक्फ बोर्ड नरसिंहपुर के अध्यक्ष हुसैन पठान ने की है। उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण के काल में तकियादार की सुरक्षा सबसे अहम् हो जाती है।
परिवार में एक-दूसरे की फ़िक्र होगी तो उम्र बढ़ेगी ही
आदमी की व्यस्ततम दिनचर्या ने घरों के अंदर-बाहर तनाव का माहौल निर्मित कर रखा है। लोगों को अपने परिवार पर ध्यान देने का मौका ही नहीं मिल रहा है। खासकर बुजुर्गों के मामले में लोग उपेक्षित व्यवहार करते हैं। अब-जबकि लॉक डाउन ने बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को एक छत के नीचे चौबीसों घंटे के लिए ला दिया है। सब हिल-मिलकर रह रहे हैं, तनाव घट गया है तो निश्चित रूप से जीवन के प्रति उत्साह और प्रत्याशा बढ़ेगी ही। यह बात लोगों को लॉकडाउन के बाद भी याद रखनी होगी।
रजनीश जैन, कॉउंसलर, जबलपुर
स्वच्छता का सम्बन्ध अच्छे स्वास्थ्य से है, ये बात जीवनभर याद रखें
स्वच्छता का सम्बन्ध हमेशा अच्छे स्वास्थ्य से रहा है। अधिकांश बीमारियों की वजह गंदगी होती है। कोरोना संक्रमण के काल में अब जबकि हर घर में स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा जा रहा है, तो निश्चित रूप से लोग बीमार नहीं पड़ रहे। परिवार का हर सदस्य एक-दूसरे की फ़िक्र कर रहा है। यही वजह है कि आम दिनों की तुलना में मृत्यु दर में कमी आई है। यह प्रवृत्ति हमें जीवनभर के लिए अपनानी होगी।
डॉ आशुतोष देवलिया, आमगाँव बड़ा, नरसिंहपुर