करेली के बस चालक ने पहले दिया शव वाहन, अब रॉबिनहुड की तरह मरीजों-गरीबों को कर रहे अन्नदान

मां के निधन पर मिले समाज के सहयोग ने बदल दी राजू वर्मा की जिंदगी

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मनीष सोनी करेली।

जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं और उनके परिजनों के लिए संचालित राजू वर्मा की निशुल्क कैंटीन।

खुद के लिए जिए तो क्या जिए…..दूसरों के लिए जीना ही जीवन है यारों। ये फलसफा नहीं बल्कि करेली के स्कूल बस चालक राजू वर्मा की जीवनचर्या है। पिछले 28 सालों से वे खुद को मानव सेवा के लिए समर्पित किए हुए हैं। दिन हो या रात वे रॉबिनहुड की तरह हर जरूरतमंद के घर पहुंचकर दवा-भोजन उपलब्ध कराते देखे जा सकते हैं। वर्तमान में कोरोना संक्रमण के दौर में बिना कोई सहयोग – साथी वे मानव सेवा की मिसाल कायम कर रहे हैं। ये वही राजू वर्मा हैं जो अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों के लिए निशुल्क कैंटीन चलाते हैं। इसके पहले ये शव और खारी ले जाने किए अपने दो वाहन इस सेवा पर समर्पित कर चुके हैं।

करेली के चहेते राजेश वर्मा को सभी प्यार से राजू भैया कहते हैं। यह हमेशा ही हर एक व्यक्ति के संकट के समय उसके साथ खड़े रहते हैं और जो सेवा इन से बन पड़ती है, उसे पूरा करने से कतराते नहीं हैं। लॉकडाउन के पिछले 45 दिनों से राजू भैया लगातार लोगों को भोजन कच्चा खाद्यान्न-दवाइयां पहुंचा रहे हैं। साथ ही बाहर से आए व्यक्तियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की भी मदद वह कर रहे हैं।इनकी इस निस्वार्थ सेवा भाव को देखते हुए नगर के लोगों ने इनके साथ मिलकर लोगों की मदद शुरू की है। श्री वर्मा 1992 से निरंतर इस तरह के सेवा कार्यों से जुड़े हैं।

मां के निधन के बाद बदल गया जीवन

वर्तमान में कोरोना वारियर्स की भूमिका में राजू वर्मा

राजू भैया बताते हैं कि उन्हें मानव सेवा और सरोकार की प्रेरणा माता जी के देहावसान के बाद से ही मिली। जब माता जी का देहावसान हुआ था, उस समय वे ग्राम उकवा जिला बालाघाट में था। उस वक्त लोगों ने मेरी काफी मदद की थी।उनका सेवा भाव देखकर मुझे मानव सेवा व सहकारिता के कार्य करने की प्रेरणा मिली और उधर से ही मैंने दृढ़ निश्चय किया कि मैं लगातार जरूरतमंद लोगों की मदद करूंगा। जिस ग्राम में मां का देहावसान हुआ था उधर मुक्तिधाम में अच्छी व्यवस्थाएं नहीं थी तो मैंने सबसे पहला कार्य अपना उसी ग्राम के मुक्तिधाम में सड़क व सेट बनवा कर शुरू की। इसके बाद से जो भी जरूरतमंद मुझे मिलता है और मुझसे जो सेवा हो सकती है मैं उसकी सेवा करता हूं।

ये हैं राजू के वे काम जो उन्हें रॉबिनहुड कहने मजबूर करते हैं

रेलवे स्टेशन पर जरूरतमंदों को इन दिनों भोजन बांटे राजू वर्मा।
  • श्री वर्मा पहले मैकेनिक थे जो गहरा चलाते थे। अब वर्तमान में वह स्कूल बस चलाते हैं और इसी से उनका गुजर-बसर होता है। इनके द्वारा नगर में जब शव वाहन नहीं था, तब इन्होंने ही अपनी गाड़ी को शव वाहन में तब्दील कर 11 जनवरी 2017 में नगर को शव वाहन की सौगात दी।
  • दिसंबर 2017 में इनके द्वारा निशुल्क सामूहिक पिंडदान का कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष पित्रमोक्ष अमावस्या पर आयोजित किया जाता है। इसमें हर वर्ष सैकड़ों लोग सहभागी होते हैं। यह यहीं नहीं रुके इसके बाद इन्होंने 9 जुलाई 2018 मैं इन्होंने नगर को एक और बड़ी सौगात खारी वाहन के रूप में प्रदान की।
  • इसके बाद में भी इनके मन में लोगों को मदद करने का जुनून और बढ़ गया उन्होंने देखा कि रात्रि के समय अस्पताल में डिलीवरी के लिए दूरदराज से आए लोग गर्म पानी दूध हरीरा दलिया जैसी चीजों के लिए भी परेशान हो रहे हैं। इसे देख इन्होंने अस्पताल की इजाजत लेकर उसी परिसर में 7 दिसंबर 2018 को निशुल्क कैंटीन का शुभारंभ किया। यह कैंटीन इस दिन से सतत चल रही है। प्रसव के लिए आई महिलाओं को जो सामग्री मिलनी चाहिए वह तो इस कैंटीन में मिलती है साथ ही प्रतिदिन कैंटीन से ही पोस्टिक खिचड़ी का भी वितरण यहां सभी मरीजों को किया जाता है।
  • राजू भैया के सेवा भाव में अब लोग भी मदद करने को आगे आने लगे हैं। नगर के लोगों द्वारा अपने व अपने बच्चों के जन्मदिन के दिन पर भी इस कैंटीन में पहुंचकर मरीजों को फल खिचड़ी आदि का वितरण करने लगे हैं। यह राजू भैया की ही देन है जो नगर के लोगों में सामाजिक सरोकार का से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रही है। राजू वर्मा के यही उन्हें काम गरीबों-जरूरतमंदों की मदद करने वाले काल्पनिक पात्र रॉबिनहुड कहने को मजबूर करते हैं।
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