प्रशासनिक जांच रिपोर्ट सौंपी, अब तकनीकी अधिकारी बतायेंगे पुल सच्चाई

नलकूप कॉलोनी में रातो रात निजी स्तर पर हुए निर्माण का मामला

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नरसिंहपुर। सींगरी नदी पर बने बहुचर्चित अवैध पुल के मामले में जिला प्रशासन की और से सभी जांच रिपोर्ट्स हाई कोर्ट को सौंप दी गयी हैं। अब तकनीकी अधिकारी द्वारा पुल की सच्चाई बताना शेष रह गया है। जल्द ही कलेक्टर दीपक सक्सेना लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री के माध्यम से हाई कोर्ट में तकनीकी जवाब पेश कराएँगे। हाई कोर्ट में अवैध पुल की सुनवाई के लिए कंप्यूटर जनरेटेड टेंटेटिव तिथि 30  जून 2020 हो

सींगरी नदी को पूरकर इस तरह अवैध रूप से हाई लेवल पुल तैयार कराया गया है.

गयी है। विधि विशेषज्ञों की मानें तो ये चूक सुधारी जा सकती है और यदि प्रशासन अपना जवाब प्रस्तुत करता है तो मामले की सुनवाई टेंटेटिव तिथि 30 जून के पूर्व भी हो सकती है।

सुभाष वार्ड की नलकूप कॉलोनी में प्रवाहित सींगरी नदी पर रातोंरात निजी स्तर पर बनाए गए अवैध पुल के मामले में 31 दिसंबर को हाईकोर्ट जबलपुर ने मप्र शासन के सचिव समेत कलेक्टर नरसिंहपुर,  लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री, जिला नजूल अधिकारी को वस्तुस्थिति व तकनीकी जानकारी देने नोटिस जारी किए थे। केस प्राप्त होने पर कलेक्टर दीपक सक्सेना  ने जवाब देने के लिए एसडीएम नरसिंहपुर एमके बमनहा को ओआईसी नियुक्त किया था। ओआईसी श्री बमनहा प्रशासनिक स्तर पर हुईं विभिन्न जांच रिपोर्ट के साथ अनुज्ञा उल्लंघन के दस्तावेज लेकर जब हाईकोर्ट पहुंचे तो इसमें तकनीकी जवाब की कमी समेत तकनीकी अधिकारी की अनुपस्थिति पर सवाल हुए। कोर्ट ने तकनीकी अधिकारी के साथ नए सिरे से जवाब पेश करने जिला प्रशासन को निर्देशित किया। इसके लिए टेंटेटिव तिथि 30 जून तक का समय दिया गया है।
क्या है मामला
सुभाष वार्ड की नलकूप कॉलोनी में सींगरी नदी पर फर्जी किसानों के नाम पर पहले तो प्रशासन को गुमराह कर रपटा निर्माण की अनुज्ञा प्राप्त की गई। शर्तों के मुताबिक, ये निर्माण लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री की निगरानी में होना था। लेकिन पुल की भारी लागत को देखते हुए निर्माताओं ने लोनिवि की आवक-जावक शाखा में 17 अक्टूबर 2018 को जो आवेदन दिया उसमें सिर्फ अनुज्ञा प्राप्त करने वाले का नाम और खसरा नंबर लिखा था। इसमें न तो आवेदक का पता था, न ही मोबाइल नंबर और न ही इस बात का कोई जिक्र था कि पुल की सटीक लोकेशन क्या है। आवेदन की पावती लेने के बाद निजी व्यक्ति ने अपने ही स्तर पर नदी को उसकी ही मिट्टी से पूरकर रात के अंधेरे में हैलोजन जलाकर हाई लेवल पुल का निर्माण करा लिया। इस अवैध  पुल का लोक निर्माण विभाग से ड्राइंग स्वीकृत ही नहंीं कराया गया। न ही पुल का कोई ड्राइंग बनाया। खास बात ये भी है जिन फर्जी किसानों के सुलभ आवागमन केलिए पुल बनाया गया, दरअसल पुल पार कोई आम रास्ता ही नहीं है। पुल के पूर्वी सिरे का रास्ता नजूल शीट क्रमांक 4 प्लाट क्रमांक 4 पर जाकर मिलता है। ये जमीन मैथोडिस्ट चर्च इन इंडिया के नाम स्थायी पट्टे के रूप में दर्ज है। राज एक्सप्रेस द्वारा मामले के खुलासे के बाद कलेक्टर न्यायालय ने पुल मामले की सुनवाई शुरू की थी। इसी दौरान मामला हाईकोर्ट पहुंच गया।
इनका ये है कहना
मैं हाईकोर्ट जवाब देने पहुंचा था। माननीय न्यायालय का कहना था कि किसी तकनीकी अधिकारी को जवाब प्रस्तुत करने भेजा जाए। अब कलेक्टर महोदय नया ओआईसी बनाकर न्यायालय में जवाब प्रस्तुत करने अधिकारी को नियुक्त करेंगे।
एमके बमनहा, एसडीएम नरसिंहपुर व ओआईसी हाईकोर्ट
हमें हाईकोर्ट का कोई नोटिस नहीं मिला है। हां इतना जरूर है कि केस की कॉपी आई थी। हमें कलेक्टर साहब जब कहेंगे तब हम अपना जवाब प्रस्तुत करेंगे।
आदित्य सोनी, कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग नरसिंहपुर
प्रकरण में कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग स्वयं एक पक्ष हैं। मैं उन्हें जल्द ही जवाब प्रस्तुत करने निदेर्शित करूंगा।
दीपक सक्सेना, कलेक्टर, नरसिंहपुर
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