शनिदेव की पूजा अर्चना से मिटती हैं परेशानियां, आज शनिदेव जयंती
आज वट सावित्री व्रत एवं शनिदेव की जयंती है। जिसका हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। वट सावित्री व्रत एवं शनि जयंती एक ही दिन पड़ते हैं। भगवान शनि सूर्यदेव के पुत्र हैं। शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। जिन्हें शनि का आशीर्वाद नहीं मिलता उन्हें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शनि जयंती के दिन हवन होम और यज्ञ कराना शुभ माना जाता है। इस दिन लोग साढ़े साती के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए शनि शांति पूजा भी करवाते हैं। शनि जयंती के दिन उनकी पूजा अर्चना करने से समस्त कामनाएं पूर्ण होती हैं।
शनि देव के जन्म की कथा
एक बार सूर्यदेव की पत्नी छाया ने उनके प्रचंड तेज से भयभीत होकर अपनी आंखें बंद कर ली थी। बाद में छाया के गर्भ से शनिदेव का जन्म हुआ। शनि के श्याम वर्ण को देखकर सूर्य ने पत्नी छाया पर आरोप लगाया कि शनि उनका पुत्र नहीं है। कहते हैं कि तभी से शनि अपने पिता सूर्य से शत्रुता रखते हैं। शनि देव ने अनेक वर्षों तक शिव की तपस्या की थीए शनिदेव की भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने उनसे वरदान मांगने को कहा, शनिदेव ने शिवजी से प्रार्थना की युगों-युगों से मेरी मां छाया की पराजय होती रही है, उसे मेरे पिता सूर्य द्वारा बहुत अपमानित व प्रताड़ित किया गया है। इसलिए मेरी माता की इच्छा है कि मैं अपने पिता से भी ज्यादा शक्तिशाली व पूज्य बनूं तब भगवान शिवजी ने उन्हें वरदान देते हुए कहा की नवग्रहों में तुम्हारा स्थान सर्वश्रेष्ठ रहेगा, तुम पृथ्वीलोक के न्यायाधीश व दंडाधिकारी रहोगे।
शनि जयंती का महत्व
शनि जयंती को शनि अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है भगवान शनि का जन्मदिन वट सावित्री व्रत के साथ मनाया जाता है इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और शनि देव की कृपा पाने के लिए मंदिर उनके दर्शन करने जाते हैं । शनि को न्याय का देवता भी कहा जाता है। मान्यता है कि शनि निष्पक्ष रूप से न्याय करते हैं और अगर वे अपने भक्तों से प्रसन्न हो गए तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।