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यूपी बोर्ड के 28,529 स्कूलों में आज से लागू होगा ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम: पारदर्शिता और तकनीकी सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम

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यूपी बोर्ड के 28,529 स्कूलों में आज से लागू होगा ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम: पारदर्शिता और तकनीकी सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम

प्रयागराज, 1 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, अनुशासन और तकनीकी सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। आज, 1 जुलाई 2025 से, यूपी बोर्ड से संबद्ध 28,529 सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम लागू किया जा रहा है। इस पहल के तहत, लगभग एक करोड़ से अधिक छात्रों और पांच लाख शिक्षकों की हाजिरी अब डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से दर्ज होगी। यह कदम न केवल शिक्षा व्यवस्था को और अधिक जवाबदेह बनाएगा, बल्कि फर्जी नामांकन और अनुपस्थिति पर भी प्रभावी नियंत्रण स्थापित करेगा।

क्या है नया ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम?

यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह के अनुसार, इस नए सिस्टम को एक निजी टेक्नोलॉजी फर्म द्वारा पिछले एक साल में विकसित कस्टमाइज्ड सॉफ्टवेयर के माध्यम से लागू किया जाएगा। यह सॉफ्टवेयर यूपी बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होगा, और स्कूलों को प्रत्येक कार्यदिवस की सुबह 11 बजे तक छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति अपलोड करने की जिम्मेदारी दी गई है। इस प्रणाली में बायोमेट्रिक उपस्थिति को भी शामिल किया गया है, जिसके तहत कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों और सभी शिक्षकों की हाजिरी मोबाइल ऐप या वेब पोर्टल के माध्यम से दर्ज होगी।

इस सिस्टम की एक खास विशेषता यह है कि यदि कोई छात्र अनुपस्थित होता है, तो उसके अभिभावकों को तुरंत एसएमएस अलर्ट भेजा जाएगा। यह सुविधा अभिभावकों को अपने बच्चों की स्कूल उपस्थिति पर नजर रखने में मदद करेगी और अनुपस्थिति को कम करने में सहायक होगी। तमिलनाडु स्टेट बोर्ड के बाद यूपी बोर्ड देश का दूसरा बोर्ड है, जो इस तरह की उन्नत तकनीक को लागू कर रहा है।

पारदर्शिता और अनुशासन का लक्ष्य

यूपी बोर्ड के इस कदम का मुख्य उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और अनुशासन को बढ़ावा देना है। भगवती सिंह ने बताया कि इस डिजिटल सिस्टम के लागू होने से न केवल हाजिरी प्रक्रिया पारदर्शी होगी, बल्कि स्कूलों में शिक्षण की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। उन्होंने कहा, “यह सिस्टम यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षक समय पर स्कूल पहुंचें और नियमित रूप से पढ़ाई हो। साथ ही, छात्रों की वास्तविक उपस्थिति का डेटा प्राप्त होने से ड्रॉपआउट दर को नियंत्रित करने और उनकी पढ़ाई पर नजर रखने में मदद मिलेगी।”

इसके अलावा, यह सिस्टम फर्जी नामांकन पर रोक लगाने में भी कारगर साबित होगा। अक्सर देखा गया है कि कुछ स्कूलों में छात्रों के नामांकन को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है, लेकिन इस डिजिटल सिस्टम के जरिए हर छात्र और शिक्षक की उपस्थिति का रियल-टाइम डेटा उपलब्ध होगा, जिससे ऐसी अनियमितताओं पर अंकुश लगेगा।

शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका

इस नई व्यवस्था के तहत स्कूल के प्रिंसिपल को प्रत्येक दिन छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति अपलोड करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सिस्टम प्रभावी ढंग से काम करे, यूपी बोर्ड ने 23 जून को इस डिजिटल सिस्टम का डेमो आयोजित किया था, जिसमें स्कूलों को सॉफ्टवेयर के उपयोग और प्रक्रिया की जानकारी दी गई।

अभिभावकों के लिए यह सिस्टम एक वरदान साबित हो सकता है। एसएमएस अलर्ट सुविधा के जरिए वे अपने बच्चों की अनुपस्थिति के बारे में तुरंत सूचित हो सकेंगे, जिससे वे स्कूल और बच्चों के साथ बेहतर समन्वय स्थापित कर सकेंगे। इससे न केवल अभिभावकों की जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि छात्रों में स्कूल जाने की नियमितता भी बढ़ेगी।

पिछले अनुभव और चुनौतियां

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब यूपी में ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम लागू करने की कोशिश की गई है। पिछले साल जुलाई 2024 में, उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में इस तरह की व्यवस्था शुरू की गई थी, लेकिन शिक्षकों के भारी विरोध के कारण इसे दो महीने के लिए स्थगित कर दिया गया था। शिक्षकों ने तकनीकी कठिनाइयों, इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी और ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की कमी का हवाला देते हुए इसका विरोध किया था। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पहले दिन केवल 2% शिक्षकों ने ही ऑनलाइन हाजिरी दर्ज की थी, और कई शिक्षकों ने सड़कों पर उतरकर इसका विरोध किया था।

इस बार, यूपी बोर्ड ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर तैयारी की है। बोर्ड ने दावा किया है कि सॉफ्टवेयर को उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाया गया है, और ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या को हल करने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। इसके बावजूद, कुछ शिक्षक संगठनों ने इस सिस्टम को लागू करने में होने वाली संभावित कठिनाइयों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बिजली और इंटरनेट की समस्या आम है, वहां इस सिस्टम को लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

तकनीकी सशक्तिकरण और भविष्य की योजनाएं

यूपी बोर्ड का यह कदम शिक्षा में डिजिटल तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बोर्ड ने यह भी घोषणा की है कि इस सत्र में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम की नई किताबें जुलाई के पहले सप्ताह में उपलब्ध होंगी, जो छात्रों को आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में मदद करेंगी।

इसके अलावा, बोर्ड भविष्य में इस सिस्टम को और उन्नत करने की योजना बना रहा है। भगवती सिंह ने बताया कि जल्द ही इस सॉफ्टवेयर में और भी फीचर्स जोड़े जाएंगे, जैसे कि छात्रों की शैक्षणिक प्रगति की रियल-टाइम मॉनिटरिंग और शिक्षकों के प्रदर्शन का मूल्यांकन। यह सिस्टम न केवल उपस्थिति पर नजर रखेगा, बल्कि स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधियों की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाने में मदद करेगा।

निष्कर्ष

यूपी बोर्ड का ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम शिक्षा के क्षेत्र में एक नया युग शुरू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाएगा, बल्कि अभिभावकों, शिक्षकों और छात्रों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करेगा। हालांकि, इस सिस्टम को पूरी तरह से लागू करने में कुछ शुरुआती चुनौतियां आ सकती हैं, लेकिन यूपी बोर्ड की तैयारियां और तकनीकी संसाधनों का उपयोग इस दिशा में सकारात्मक बदलाव का संकेत देता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नई व्यवस्था उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को कितना प्रभावी और आधुनिक बना पाती है।

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