विभाग को नहीं पता सैंपल के पहले कितना बांटा गया चावल,एफसीआई की जांच रिपोर्ट में 50 फीसद चावल की गुणवत्ता निकली खराब, अपग्रेडेशन नहीं तो मिलर्स पर एफआईआर

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   नरसिंहपुर। प्रदेश के बहुचर्चित गुणवत्ताहीन चावल वितरण की आंच जिले पर भी आ चुकी है। भारतीय खाद्य निगम द्वारा जिला प्रशासन और राज्य सरकार को भेजी गई सैंपल की प्रयोगशाला रिपोर्ट में 50 फीसद चावल की गुणवत्ता को खराब बताया जा चुका है। इसमें से 20 फीसद तो पशुओं के खाने लायक भी नहीं है। ऐसे में सैंपलिंग के पहले जिले की सोसायटियों को कितना चावल वितरित किया गया, इसे लेकर विभाग अनजान बना हुआ है। तर्क है कि सैंपलिंग नए रैक की की गई थी।
जिले में भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई की टीम ने 5 सितंबर से लेकर 13 सितंबर तक अलग-अलग तिथियों में जिले के 22 गोदामों में जाकर चावल की सैंपलिंग की थी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि सैंपलिंग के पहले इस रैक से कितना चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत सोसायटियों को वितरित किया गया था। इसका फिलहाल आंकड़ा नागरिक आपूर्ति निगम के किसी अफसर के पास नहीं है। वहीं बात मिलर्स की करें तो प्रयोगशाला रिपोर्ट के आने के बाद से जिले के इनमें हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। खासकर उस 20 फीसद चावल को लेकर जिसे निगम ने मवेशियों के खाने योग्य भी नहीं बताया है। इसे लेकर प्रदेश सरकार को कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। यद्यपि अभी तक इस मामले में नोटिस जारी नहीं हुए हैं। वहीं जिले के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार जल्द ही इस पर कोई निर्णय हो सकता है। ये देखा जा रहा है कि ये चावल किस मिलर्स के माध्यम से सप्लाई किया गया था। इस पर कार्रवाई होना तय है।
अपग्रेडेशन नहीं तो मिलर्स पर एफआईआर
एफसीआई की रिपोर्ट के अनुसार 20 फीसद चावल पूरी तरह से रिजेक्ट कर दिया गया है। जबकि 30 फीसद चावल गुणवत्ताहीन पाए जाने पर इसके वितरण पर रोक लगाई गई है। इस चावल का अपग्रेडेशन उन्हीं मिलर्स को करना होगा, जिन्होंने इसकी सप्लाई नागरिक आपूर्ति निगम को की थी। नागरिक आपूर्ति के जिला प्रबंधक अतुल कुमार जीते के अनुसार यदि मिलर्स चावल का शत-प्रतिशत अपग्रेडेशन नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ एफआईआर हो होगी ही, साथ ही साथ उनकी मिलों को सील भी कर दिया जाएगा।

इन गोदामों में हुई थी सैंपलिंग
भारतीय खाद्य निगम के जबलपुर-भोपाल से आए विशेषज्ञ अधिकारियों ने नरसिंहपुर तहसील के पांच, गाडरवारा के 7, करेली के 4 व गोटेगांव के 6 गोदामों से चावल के सैंपल लिए थे। इनकी गुणवत्ता की जांच जबलपुर स्थित निगम की प्रयोगशाला में की जा रही थी। सोमवार को इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन के समक्ष पेश की गई है। रिपोर्ट के अनुसार 29 हजार 951 मीट्रिक टन चावल को बेहद घटिया बताया गया है। इसे फीड 1 की श्रेणी दी गई है। विशेषज्ञों के अनुसार इस श्रेणी का चावल मानव के साथ-साथ पशुओं को भी नहीं खिलाया जा सकता है। वहीं 34 हजार 997.50 मीट्रिक टन चावल की गुणवत्ता भी खराब मिली है।
इन मिलर्स को वापस हो 35 हजार मीट्रिक टन चावल
जिला प्रशासन को भारतीय खाद्य निगम द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची के अनुसार 34 हजार 997.50 मीट्रिक टन चावल गोदामों में रखा गया है। इसे 15 मिलर्स द्वारा सप्लाई किया गया था। सूची के अनुसार जिले की शिवा राइस मिल, श्यामजी राइस मिल नरसिंहपुर, मे. अमरशक्ति राइस इंडस्ट्रीज नरसिंहपुर, अमर राइस इंडस्ट्रीज नरसिंहपुर, अमर फूड राइस इंडस्ट्रीज नरसिंहपुर, अमर ज्योति राइस इंडस्ट्रीज नरसिंहपुर, मे. लूनावत राइस उद्योग गाडरवारा, मे. राय राइस मिल सालीचौका, मे. हीरा राइस मिल बारछी, राधा कृष्ण राइस मिल हीरापुर, मे. यश राइस मिल ढुरसुरू, मे. ग्रीन इंडियाराइस मिल गरधा, मे. तोश्वरी राइस मिल कौडिय़ा, मे. अंश राइस मिल बनवारी, श्री राम राइस मिल उकासघाट द्वारा यह चावल सप्लाई किया गया है। इन्हीं मिलर्स की ये जिम्मेदारी है कि ये गुणवत्ताहीन मिले चावल को शत-प्रतिशत अपग्रेड करें।

मैं अभी दो माह पहले ही पदस्थ हुआ हूं। जिस रैक की सैंपलिंग हुई है, वो मेरी पदस्थापना के पहले ही आ चुका था। ये नया रैक है, इससे सोसायटियों को चावल आवंटित नहीं हुआ है। पुराने रैक का चावल ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत सप्लाई किया गया था। मिलर्स को गुणवत्ताहीन चावल का अपग्रेडेशन करना ही होगा। रिजेक्ट मामले में राज्य सरकार कार्रवाई तय करेगी।
अतुल कुमार जीते, जिला प्रबंधक, नागरिक आपूर्ति निगम नरसिंहपुर।

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