अवैध खनन से बढ़ी खूनी संघर्ष की सुगबुगाहट, राजमार्ग पर पुलिस ने रोका टकराव

रेवानगर समेत शगुन, धरमपुरी, कुड़ी घाट के अवैध खननकर्ताओं ने दिखाई एकजुटता, ऑफिस में दुबके रहे अफसर

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 नरसिंहपुर। बुधवार को रेवानगर की खदान में अवैध खनन से उपजा तनाव खूनी संघर्ष का रूप लेते-लेते बच गया है। शगुन व कुड़ी घाट के माफिया की एकजुटता से बढ़े विवाद को देखकर एक्शन मोड में आई सुआतला पुलिस ने मोर्चा संभालते हुए दो गुटों को आमने-सामने आने से रोक दिया। इस दौरान रेत खनन के लिए अधिकृत कंपनी के कुछ कर्मचारियों के साथ माफिया द्वारा मारपीट भी की गई।
घटनाक्रम ये है कि मंगलवार रात को नर्मदा की रेवानगर खदान में अवैध खनन को रोकने के लिए यहां तक पहुंचने वाले मार्ग पर जेसीबी से गड्ढे खुदवा दिए गए थे। हालात इसी समय से बिगड़ने लगे थे, लेकिन जिला प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। स्थानीय लोग मानकर चल रहे थे कि बुधवार की सुबह किसी बड़े संघर्ष का रूप ले सकती है। हुआ भी यही, बुधवार दोपहर करीब 12 बजे रेवानगर समेत शगुन, धरमपुरी व कुड़ी घाट में अवैध खनन करने वाले लोग एकजुट हो गए। उन्होंने धनलक्ष्मी कंपनी के चेकपोस्ट पर तैनात कर्मचारियों के साथ मारपीट कर दी। इसके बाद दूसरे पक्ष से भी बड़ी संख्या में हथियारबंद लोग जमा हो गए। हालात खूनी संघर्ष के बन चुके थे, हालांकि सूचना मिलते ही सुआतला पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया। काफी मशक्कत के बाद आखिरकार हालात काबू में आ सके। इस कार्रवाई में पुलिस को करीब 4 घंटे मशक्कत करनी पड़ी। समझाइश के बाद कंपनी के कर्मचारियों को झिरी घाटी की ओर रवाना किया गया, जबकि दूसरे पक्ष को राजमार्ग से उनके गंतव्य की ओर जाने दिया गया। हैरत की बात ये है कि घटना की सूचना लगने पर भी जिला खनिज अधिकारी रमेश पटेल समेत जिला प्रशासन के आलाधिकारी देर शाम तक हालातों का जायजा लेने मौके पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके।
शगुन-कुड़ी के माफिया दे रहे चुनौती: रेवानगर की खदान से शुरू हुए विवाद में प्रतिबंधित शगुन व कुड़ी घाट पर अवैध खनन में लिप्त माफिया ने भी भरपूर सहभागिता दर्ज कराई। बताया जा रहा है कि कंपनी कर्मचारियों के साथ हुए विवाद में शगुन व कुड़ी में अवैध खनन कर लाखों के राजस्व की चोरी करने वाले लोगों ने जमकर उपद्रव मचाया था।
रेत चोरी के प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं

नर्मदा की प्रतिबंधित खदानों शगुन व कुड़ी घाट पर रोज दर्जनों ट्रैक्टर-ट्रॉलियां, डंपर-हाइवा लाखों की रेत खोदकर सरकारी राजस्व की चोरी कर रहीं हैं। इसकी पुष्टि भी 14 अक्टूबर को जिला खनिज अधिकारी रमेश पटेल कर चुके हैं। बावजूद इसके रेत चोरों के खिलाफ खनिज अधिकारी 15 दिन बाद भी मुकदमा कायम नहीं करवा सके हैं। वे तो अब ये भी भूल चुके हैं कि उन्होंने किन पटवारी व आरआइ को इन खदानों के सीमांकन की जिम्मेदारी दी थी। खनिज विभाग की इस चुप्पी का नतीजा ये है कि जिले में नर्मदा के अस्तित्व से खिलवाड़ कर माफिया न सिर्फ अवैध खनन कर रेत की चोरी कर रहा है बल्कि खुलेआम कानून व्यवस्था को चुनौती दे रहा है।
शिकायत दर्ज कराने पहुंचे कर्मचारी

बुधवार दोपहर को हुई मारपीट के विरुद्ध खनन के लिए अधिकृत कंपनी के कर्मचारियों ने शाम होते-होते अवैध खनन में लिप्त लोगों समेत कर्मचारियों के साथ हुई मारपीट की शिकायत कलेक्टर-एसपी तक पहुंचाई। बताया जाता है कि कलेक्टर वेदप्रकाश ने मारपीट के शिकार कर्मचारियों को जिला मुख्यालय तलब कर घटना की वस्तुस्थिति से अवगत कराने कहा। रात करीब 8 बजे कर्मचारी नृसिंह भवन पहुंचे, जहां बंद कमरे में कलेक्टर व कर्मचारियों की बैठक जारी रही।

रेत खनन को लेकर दो गुट आज बड़ी संख्या में आमने-सामने आ गए थे। हालात को बिगड़ने से रोकने के लिए हमने अपने स्टाफ के साथ तत्काल मोर्चा संभाला। समझाइश के बाद एक पक्ष को झिरी घाटी की ओर रवाना किया, जबकि दूसरे पक्ष को राजमार्ग पर ही रोक लिया गया था। तनाव को खत्म करने में ही तीन-चार घंटे लग गए।
कमलेश चोरिया, थाना प्रभारी, सुआतला

धनलक्ष्मी कंपनी की ओर से हमें सूचना मिली थी कि कुछ लोग जबरिया अवैध रेत खनन करने पर उतारू हैं, वे विवाद कर रहे हैं। इस पर मैंने तत्काल सुआतला थाना प्रभारी को सूचित कर उन्हें विवाद रोकने के निर्देश दिए थे।
मेहंती मरावी, एसडीओपी, तेंदूखेड़ा

नर्मदा में धनलक्ष्मी कंपनी द्वारा कोई खनन नहीं कराया जा रहा है। यहां पर अवैध खनन चरम पर है। इसे लेकर हमने कलेक्टर-एसपी से भी बात की है। हमारे कर्मचारियों के साथ माफियाओं ने मारपीट की है, इसकी शिकायत लेकर वे बुधवार देर शाम को जिला मुख्यालय पहुंचे हैं।
शमशेर सिंह, प्रबंधक, धनलक्ष्मी कंपनी

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