नरसिंहपुर: कृषि कानूनों के जरिए किसानों की कमर तोड़ने आमादा केंद्र सरकार

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नरसिंहपुर। आज खेती की लागत हद से ज्यादा बढ़ चुकी है। किसान को उपज का न ही उचित मूल्य मिलता है और न ही समय पर पैसा ही प्राप्त हो पाता है। रही सही कसर प्रकृति की अप्रत्याशित मार पूरी कर देती है। ये हालात किसानों की चिंता को बढ़ाने वाले हैं। ये बातें सर्वविदित होने के बावजूद अब केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानून किसानों की कमर तोड़ने पर आमादा हैं। ये बात वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. संजीव चांदोलकर ने अपने एक बयान में कही। डॉ. संजीव ने कहा कि बेहिसाब महंगा डीजल, बिजली, खाद, कीटनाशक, कृषि उपकरण आदि ने खेती की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है। सकल घरेलू उत्पाद का एक महत्वपूर्ण आयाम कृषि है। अन्न्दाता की रीढ़ को जहां टेका लगाने की जरूरत है, वहां केंद्र सरकार उनकी कमर तोड़ने पर आमादा है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपना अड़ियल रुख तत्काल छोड़कर मांग की कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लें, एमएसपी को कानूनी गारंटी प्रदान करें। स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट अक्षरश: लागू करने के साथ ही कृषि संबंधी मशीनरी, खाद, कीटनाशक, उपकरण आदि को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने की मांग दोहराई। डॉ. चांदोलकर ने कहा कि आंदोलन करने वाले किसान हैं, उन्हें राजनीतिक या अन्य किसी चश्मे से देखना बंद करें।

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