सहकारिता कर्मचारी महासंघ ने बरमान के रेत घाट में किया जल सत्याग्रह
अनिश्चितकालीन हड़ताल
नरसिंहपुर। मप्र सहकारिता कर्मचारी महासंघ के बैनर तले जिले की सभी 125 समितियों के संचालकों, पदाधिकारियों, विक्रेताओं द्वारा बीती 4 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जा रही है। मंगलवार को आंदोलन के छठे दिन आंदोलनकारियों ने बरमान के रेत घाट पहुंचकर नर्मदा की धार में जल सत्याग्रह किया।
तय कार्यक्रम के अनुसार मंगलवार को सहकारिता कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर जिले की सभी 405 सोसायटियों के संचालक मंडल, विक्रेता आदि बरमान के रेत घाट में सुबह 10 बजे पहुंच गए। यहां पर सबसे पहले करीब एक घंटे तक कर्मचारियों ने मेला के दौरान हुई गंदगी को तटों से साफ किया। उन्होंने नदी के साथ बह रहे कचरे समेत तट पर मौजूद गंदगी को एकत्र कर उसके विनिष्टीकरण का प्रबंध किया। इसके साथ ही उन्होंने तटों पर पहुंचे भक्तों, श्रद्धालुओं से नर्मदा नदी की सुरक्षा और इसके निरंतर प्रवाह के लिए गंदगी न फैलाने का आह्वान किया। संघ के सदस्यों ने उनसे साबुन आदि का इस्तेमाल न करने की बात भी कही। इसके बाद कर्मचारियों ने नदी में उतरकर अद्धर््रनग्न होकर प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। जल सत्याग्रह के जरिए कर्मचारियों ने मां नर्मदा से प्रदेश सरकार को सद्बुद्धि देने का आह्वान भी किया। इस जल सत्याग्रह में जिले की सभी सोसायटियों, समितियों के प्रतिनिधि-कर्मचारी शामिल रहे।
प्रदेश सरकार की बेरुखी पर गरजे नेता
जल सत्याग्रह के बाद तंबू लगाकर सहाकारिता कर्मचारियों ने धरना भी दिया। इस दौरान महासंघ के जिला व प्रांतस्तरीय नेता प्रदेश सरकार की बेरुखी पर जमकर गरजे। जिलाध्यक्ष राजकुमार कौरव, प्रांतीय प्रवक्ता मो. शफी खान, जिला उपाध्यक्ष आशीष नेमा, जिला सचिव शशि महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि सहकारी कर्मचारी पिछले 25 साल से लगातार नियमितीकरण समेत सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकारें बदलती रहीं, वादा-आश्वासन दिए जाते रहे। बावजूद इसके कर्मचारियों को कुछ नहीं मिला। कर्मचारी नेताओं ने साफ कहा कि इस बार संगठन बिना अपनी मांगपूर्ति के आंदोलन से डिगने वाला नहीं है। जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं तब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे। कर्मचारी नेताओं का ये भी कहना रहा कि पिछले छह दिन से जिला समेत प्रदेशभर में सहकारी कर्मचारी आंदोलन पर हैं। सोसायटियां बंद हैं, गरीब हितग्राहियों को राशन बंटना बंद हो चुका है। किसान भी यूरिया आदि के लिए भटक रहे हैं। सहकारी बैंकों की वसूली का काम पूरी तरह से प्रभावित है, लेकिन इन सब बातों को प्रदेश सरकार अनदेखा कर रही है। इससे साफ जाहिर होता है कि वह समस्या के निराकरण में अधिक दिलचस्पी नहीं ले रही है। कर्मचारियों के अनुसार यदि उनकी मांगों पर इसी तरह सरकार की चुप्पी बनी रही तो आगामी दिनों में इससे भी अधिक उग्र प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 11 फरवरी को जिले के सभी सहकारी कर्मचारी साइकिल रैली निकाल रहे हैं। इसके जरिए वे सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने का आह्वान करेंगे। लोगों को बताएंगे कि आखिर क्यों सोसायटियां बंद हैं, राशन, यूरिया आदि क्यों नहीं मिल पा रहा है।