नरसिंहपुर : वाद-विवाद में नई शिक्षा के बताए फायदे और नुकसान, निशुल्क उड़ान कोचिंग में परिश्रम संस्था ने किया कार्यक्रम का आयोजन
नरसिंहपुर। डाइट परिसर में संचालित निशुल्क उड़ान कोचिंग में परिश्रम संस्था द्वारा वाद-विवाद एवं संभाषण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें भारत सरकार की नई शिक्षा नीति की समीक्षा विषय पर आयोजित वाद विवाद स्पर्धा में 25 छात्र-छात्राएं प्रतिभागी रहे। जिसमें 15 विपक्ष और 10 पक्ष में रहे। तथ्यात्मक आरोप-प्रत्यारोप के साथ छात्रों ने अपने विचार रखे। विजेता रही आंशिक नेमा ने नई शिक्षा नीति को कागज का शेर बताते हुए कहा कि जब पिछली शिक्षा नीति जीडीपी का 4 प्रतिशत नही बन पाई तो कैसे 6 प्रतिशत तक नई शिक्षा नीति लेकर आएगी। विदेशी विश्वविद्यालय का भारत मे संस्थान खोलना उपनिवेश वाद की ओर ले जाएगा और वैचारिक गुलामी आएगी। वही उपविजेता रही कविता श्रीवास्तव ने पक्ष में बोलते हुए नई शिक्षा नीति की विशेषताएं गिनाई। जिसमें सेमेस्टर प्रणाली क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा, संस्कृत व मातृभाषा की अनिवार्यता, अनुभव अनुसंधान और शोध परक शिक्षा के महत्व को समझाया।
प्रतिभागी कविता ने बताया कि नौवीं कक्षा से विषय चयन की व्यवस्था छात्रों को चयनित विषय मैं मजबूती प्रदान करेगी। उच्च शिक्षा में स्नातक करते वक्त बीच में पढ़ाई छोड़ देने पर साल बर्बाद नहीं होंगे, सर्टिफिकेट प्रोग्राम बाद में पुन: पढ़ाई शुरू करने पर छात्र को मदद करेंगे। पक्ष में बोलने वाले छात्रों ने नई शिक्षा नीति को भविष्य में रोजगार देने वाली और छात्र हितेषी नीति बताया। सेमेस्टर प्रणाली, विदेशी यूनिवर्सिटी के आने से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारतीय छात्रों को लाभाविंत करने वाली नीति बताया। क्षेत्रिय भाषा मे अध्ययन-अध्यापन विषय की समझ को सरल बनाएगा । अब छात्र 5 साल में अपनी डिग्री पूरी कर पाएंगे। बीएड को स्नातक से जोड़ कर छात्रों का समय बचाया गया है।
निजीकरण को बढ़ावा देने का लगा आरोप- स्पर्धा में विपक्ष ने इसे बीमार आदमी को अच्छे कपड़े पहना देने वाली बात कही। निजीकरण को बढ़ावा देने का आरोप भी विपक्ष के प्रतिभागियों ने लगाया। साथ ही विदेशी यूनिवर्सिटी के आने से शिक्षा मंहगी होने की आशंका व्यक्त की। सेमेस्टर सिस्टम स्नातक में सफलता पूर्वक नही चल सका तो फिर स्कूल शिक्षा में कितना सफल होगा यह संशय भी जाहिर किया। अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म करने से वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने की आशंका जताई। पक्ष-विपक्ष के सवाल-जबाबों के साथ ही स्पर्धा का समापन किया गया।
रोजगार परक शिक्षा प्रणाली महती जरुरत: कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता विनायक परिहार ने कहा शोध और अनुसंधान के क्षेत्र का पिछड़ापन दूर करना और ऐसी शिक्षा प्रणाली का विकास करना जोकि रोजगार परक हो इसकी आज महती आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि जब विश्व शिक्षा व्यवस्था बनाने की शुरुवात कर रहा था तब भारत मे साढ़े सात लाख विद्यालय और चालीस हजार के लगभग नालंदा जैसे उच्च शिक्षा केन्द्र हुआ करते थे।
आयोजन व्यक्तित्व विकास का अवसर: शिक्षा नीति के पक्ष में शिवानी नेमा, आरती कुशवाहा, वैशाली पांडे, कविता श्रीवास्तव, वैभव पाटकर, पार्वती चौधरी, सिद्धि नेमा, उमेश प्रजापति, स्वाति मिश्रा, रीता नेमा ने विचार रखे। विपक्ष में रजनी कुशवाहा, चंद्रप्रभा नौरिय,ा दीपिका साहू, प्रियंवादा तिवारी, शिवम राजपूत, अंशिका, रिया सजा मंसूरी, मानसी जैन, दीक्षा लोधी, जीनत मंसूरी, रश्मि चौधरी, अंजलि साहू ,एकता प्रजापति ने अपनी बात कही। कार्यक्रम के संयोजक परिश्रम के अध्यक्ष महेंद्र कौरव ने विषय की प्रस्तावना में आयोजन को व्यक्तित्व विकास और अभिव्यक्ति का अवसर बताया। विवेक सिंह एवं बसंत श्रीवास्तव स्पर्धा के निर्णायक रहे। शुभम गिरी गोस्वामी एवं विवेक गोस्वामी ने संचालन एवं हरिओम उपाध्याय ने आभार जताया।
फोटो- 5 एनसपी 20- नरसिंहपुर। वाद-विवाद स्पर्धा के प्रतिभागियों को पुरस्कृत करते हुए अतिथि।