सुप्रीम कोर्ट में बोले सिंघवी-दलबदल कानून से बचने निकाला जा रहा नया रास्ता, विस् अध्यक्ष के अधिकार में दखल नहीं दे सकती कोर्ट

मप्र के सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी

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नई दिल्ली: मध्‍य प्रदेश के सियासी संकट के मुद्दे पर आज विधानसभा स्पीकर का पक्ष रखते हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि सिर्फ फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपा जा रहा है. स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल की कोशिश हो रही है. दलबदल कानून से बचने का नया तरीका निकाला जा रहा है. 16 लोगों के बाहर रहने से सरकार गिर जाएगी. नई सरकार में यह 16 कोई फायदा ले लेंगे. विधायक बागी हो गए हैं. सदन छोटा हो गया है. दरअसल याचिका में मध्‍य कांग्रेस कांग्रेस ने बीजेपी पर विधायकों को बंधक बनाकर रखने का आरोप लगाया है.

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी स्पीकर के विवेकाधिकार में दखल नहीं दे सकता. सिर्फ स्पीकर को अयोग्यता (disqualification) तय करने का अधिकार है. अगर उसकी तबीयत सही नहीं है तो कोई और ऐसा नहीं कर सकता. स्पीकर ने अयोग्य कह दिया तो कोई मंत्री नहीं बन सकता. इसलिए, इससे बचने के लिए स्पीकर के कुछ करने से पहले फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपना शुरू कर दिया.

सिंघवी ने ये भी कहा कि वैसे तो कोर्ट को स्पीकर के लिए कोई समय तय नहीं करना चाहिए. स्पीकर को समय दिया देना चाहिए. लेकिन फिर भी आप कह दीजिए कि उचित समय में स्पीकर तय करें तो वह 2 हफ्ते में तय कर लेंगे. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर MLA वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करें तो स्पीकर फैसला ले लेंगे?

सिंघवी- आप वीडियो कांफ्रेंसिंग की बात करके एक तरह से विधायकों को बंधक बनाए जाने को मान्यता दे रहे हैं. बिना आपके आदेश के मैं दो हफ्ते में इस्तीफे या अयोग्यता पर फैसला लेने को तैयार हूं. ऐसा किए बिना फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिए. अगर वह बंधक नहीं हैं तो राज्यसभा चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह को अपने वोटर से मिलने क्यों नहीं दिया गया?

बुधवार की सुनवाई में क्‍या हुआ था?
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भाजपा से पूछा कि कोर्ट कैसे आश्वस्त हो कि कांग्रेस के मध्य प्रदेश के 16 बागी विधायकों ने राज्य विधानसभा से अपना इस्तीफा देने के लिए स्वतंत्र रूप से अपने विकल्प का इस्तेमाल किया. वर्तमान में यह विधायक बेंगलुरू में एक रिसॉर्ट में ठहरे हुए हैं. न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ये 16 बैलेंस को झुका सकते हैं. इस पीठ में न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता भी शामिल हैं.

पीठ ने कहा, “हम सोच रहे हैं कि हम कैसे आदेश को सुनिश्चित कर सकते हैं..उन्हें विधानसभा में बेरोक पहुंच दी जानी चाहिए. उन्हें अपने विकल्प को इस्तेमाल करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, वे जो चाहे करें? बागी विधायकों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट से कहा कि यह गलत है कि विधायकों का अपहरण किया गया और जबरदस्ती के सभी आरोप बकवास हैं.

सिंह ने जोर देकर कहा, “उन्होंने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया. विधानसभा अध्यक्ष को उनके इस्तीफे स्वीकार करने के लिए निर्देश जारी किया गया.”

भाजपा ने जोर देकर कहा कि वह 16 बागी कांग्रेस विधायकों को ला सकती है और चैंबर में न्यायाधीश चंद्रचूड़ और गुप्ता के सामने पेश कर सकती है और न्यायाधीश विधायकों के विचारों का पता लगा सकते हैं. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बागी विधायकों द्वारा दायर हलफनामे का जिक्र किया. अदालत ने उल्लेख किया कि यह कैसे सुनिश्चित होता है कि उन्होंने स्वतंत्र रूप से अपने विकल्प का इस्तेमाल किया.

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “एक संवैधानिक अदालत के रूप में, हमें अपने कर्तव्यों का भी निर्वहन करना होगा. इसे सुनिश्चित करने के लिए क्या तरीके हो सकते हैं?”

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