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नरसिंहपुर। कोरोना संक्रमण अब लोगों के हंसते-खेलते परिवार को आंसुओं के समंदर में डुबो रहा है। ऐसा दर्द दे रहा है जो जीवनभर उन्हें इस बात के लिए कचोटेगा कि अंतिम वक्त में न मरने का चेहरा देखने मिला, न ही उसे कांधा देने का। पिछले एक सप्ताह की बात करें करें तो जिला अस्पताल में पांच से छह मौतें आम हो चलीं थीं लेकिन मंगलवार के दिन मौतों का ऐसा जलजला आया कि मृतक के परिवार के साथ-साथ डॉक्टर्स भी रुआंधे-मायूष नजर आए। जिला अस्पताल में सोमवार-मंगलवार को कोरोनाकाल में अब तक की सर्वाधिक मौतें दर्ज की गईं। इन दो दिनों के 24 घंटे के अंतराल में संक्रमितों-संदिग्धों को मिलाकर कुल 14 मौतें हुईं। सुबह से देर शाम तक नगरपालिका का शव वाहन और उसके कर्मचारी लाशों को मर्चुरी से नकटुआ मुक्तिधाम तक पहुंचाकर अंतिम संस्कार कराते रहे।
जिला अस्पताल में कोविड मरीजों के दिनरात इलाज में जुटे चिकित्सकों व यहां स्थापित बेहतर सुविधाओं के बावजूद कोरोना का कहर सब पर भारी पड़ रहा है। मंगलवार 13 अप्रेल का दिन तो जिले के एक दर्जन घरों में मातमी गूंज भरा रहा। सोमवार शाम से लेकर मंगलवार शाम तक जिला अस्पताल में कोविड के संक्रमित व संदिग्ध 14 मरीजों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि इनमें से दो मरीजों ने तो मंगलवार शाम एंबुलेंस से जिला अस्पताल लाते ही दम तोड़ दिया। मृतकों में दो महिलाएं भी शामिल रहीं। इतनी बड़ी संख्या में हुई मौत ने अस्पताल में सेवाएं दे रहे चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ को भी मायूस और रुआंधा कर दिया। हालांकि इसके पूर्व भी पिछले एक हफ्ते से चार-पांच मौतें यहां हो रहीं थीं लेकिन इतनी बड़ी संख्या में लाशें देखना उनके लिए भी रोंगटे खड़े करने वाला था। जिला अस्पताल परिसर में नगरपालिका के शव वाहन लगातार मृतकों को पीपीई किट में लपेटकर नकटुआ स्थित मुक्तिधाम पहुंचाते रहे। मुक्तिधाम में स्वजनों की उपस्थिति में कोरोना गाइडलाइन के तहत शवों का अंतिम संस्कार कराया गया।