नरसिंहपुर: सूदखोरों से मिली रही पुलिस, नहीं लिखी एफआईआर, 3 साल बाद डॉ तिगनाथ ने दे दी जान

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नरसिंहपुर। बीती 22 अप्रेल की रात टट्टा पुल के पास रेल लाइन पर डॉ सिद्धार्थ तिगनाथ ने ट्रेन से कटकर जान दे दी थी। प्रकरण में कोतवाली पुलिस पिछले 14 दिन से जांच की रट लगाए हुए है। वहीं खबर लाइव 24 की पड़ताल में ये खुलासा हुआ है जांच के नाम पर पुलिस अपनी पुरानी करतूतों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है। दरअसल, 3 साल पहले डॉ सिद्धार्थ तिगनाथ ने पिता, माता, पत्नी के साथ एसपी, एएसपी से लेकर आईजी तक को सूदखोरों की प्रमाण समेत शिकायत दी थी, लेकिन पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की। उल्टे सूदखोरों से पुलिस ने सांठगांठ का संबंध जरूर निभाया। सूदखोरों को जैसे ही पता चला कि तिगनाथ का परिवार उनके चंगुल से निकलने की कोशिश कर रहा है तो उन्होंने एक के बाद एक सिद्धार्थ के ब्लेंक चेक बैंक में बाउंस कराकर पुलिस के सहयोग से सिद्धार्थ पर मुकदमा कायम करा दिया। सूदखोरों को प्रताड़ना के लिए परोक्ष रूप से इस लाइसेंस का नतीजा ये रहा कि सिद्धार्थ को अपनी जान देनी पड़ गई। पूरा का पूरा तिगनाथ परिवार बिखर गया।

कब-कहाँ किसकी खिलाफ की गई शिकायत
– 6 मई 2018 को तिगनाथ परिवार ने अजय, धर्मेंद्र जाट, राहुल जैन और अन्य के खिलाफ तत्कालीन एसपी, एएसपी को सीसीटीवी फुटेज, काल रेकॉर्डिंग के साथ शिकायत दी थी। इसमें बताया था कि आरोपियों ने सूदखोरी के लिए उनके घर रेवाश्री में गाली गलौज की थी।
– 7 मई को पूरा तिगनाथ परिवार जबलपुर में आईजी से मिला था। आईजी को सूदखोरी, प्रताड़ना के रिकॉर्ड की पेन ड्राइव दी गई।

– 19 मई 2018 को सिद्धार्थ तिगनाथ अपनी मां, पत्नी के साथ तत्कालीन एसपी मोनिका शुक्ला से मिले थे। उन्हें सूदखोरों के खिलाफ सारे सबूत और 8 लाख की लूट संबंधी प्रमाण भी दिए गए थे, लेकिन पोलिस ने कार्रवाई नहीं की।

-10 जून 2018 को सिद्धार्थ और उसके परिवार ने उक्त सूदखोरों के अलावा अन्य के खिलाफ जान से मारने, प्रताड़ना की लिखित शिकायत दी लेकिन पुलिस ने उसे दबा दिया।
(संदर्भ: उक्त आरोप/बातें सिद्धार्थ की डायरी का अंश है, जिसे फेसबुक पर उनके बहनोई डॉ अजय शुक्ला ने भी हैशटैग जस्टिस फ़ॉर डॉ सिद्धार्थ तिगनाथ के नाम से अपलोड किया है)

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