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आयकर विभाग ने जयपुर में की छापेमारी

आयकर विभाग ने  राजस्थान के इतिहास की सबसे बड़े आयकर छापेमारी को अंजाम दिया है। विभाग ने जयपुर के सर्राफा कारोबारी, दो रियल स्टेट डेवेलपर के यहां छापा मारा। इसमें विभाग को पौने 2 हजार करोड़ रुपये की दो नंबर की कमाई का पता चला है। विभाग की यह कार्रवाई पांच दिनों तक चली।

आयकर विभाग ने जयपुर में  तीन समूहों पर छापेमारी की जिनमें एक ज्वेलर और दो रियल एस्टेट कॉलोनाइजर एवं डेवलपर शामिल हैं। समन्वयित तलाशी अभियान 20 परिसरों में चलाया गया और 11 परिसरों में निरीक्षण किया गया था।

इन समूह में से एक जयपुर का एक प्रमुख बिल्डर, डेवलपर एवं कॉलोनाइजर है। तलाशी के दौरान बढ़ाचढ़ा कर तैयार किए गए दस्तावेज, विकास खर्चों का अस्पष्ट विवरण, बेमियादी परिसंपत्तियों, नकद ऋण एवं अग्रिम, एकमुश्त भुगतान की रसीद आदि के रूप में तमाम दस्तावेज एवं डिजिटल डेटा का पता लगाया गया और उन्हें जब्त किया गया। तलाशी के दौरान समूह के पिछले 6-7 वर्षों के बेहिसाब लेनदेन का ब्योरा, कई बहीखाते, रसीद पैड, दैनिक नकदी विवरण वाले कच्चे बहीखाते, खर्च संबंधी दस्तावेज और मुख्य परिसर के तहखाने में छिपाकर रखी गई डायरी का पता लगाया गया और उन्हें जब्त कर लिया गया। इस समूह से अब तक कुल करीब 650 करोड़ रुपये के बेहिसाब लेनदेन का पता चला है।

दूसरा समूह एक विविध कारोबार करने वाला समूह है जो बहुमूल्य रत्न एवं आभूषण, प्राचीन एवं अनोखी वस्तुओं, हस्तशिल्प, कालीन, कपड़ा आदि का कारोबार करता है। तलाशी अभियान के दौरान निरीक्षण टीम की कड़ी मेहनत से निर्धारिती के मुख्य कारोबारी परिसर में एक गुप्त कोष्ठ का पता चला। पिछले 6 वर्षों से सोने और चांदी के आभूषणों की बेहिसाब विनिर्माण गतिविधियों का पूरा विवरण उसी गुप्त कोष्ठ से मिला। ध्यान देने की बात यह है कि समूह की ओर से दाखिल किसी भी आयकर रिटर्न में इस विनिर्माण गतिविधि की जानकारी नहीं दी गई है। उस गुप्त कक्ष से 15 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति से संबंधित दस्तावेज भी प्राप्त हुए।

हालांकि निर्धारिती ने किसी भी तरह के स्टॉक रजिस्टर के होने से इनकार किया था लेकिन गुप्त कक्ष से उसकी बरामदगी हुई। उसमें प्रत्येक वस्तु के लिए एक अल्फा-न्यूमेरिक गुप्त कोड तैयार किया गया है जिसमें वास्तविक बिक्री मूल्य निहित है। विभाग की टीम उन गुप्त कोडों को उजागर करने की कोशिश कर रही है। गुप्त कक्ष से दो हार्ड डिस्क और पेन ड्राइव भी बरामद किए गए  जिनमें कोड रूप में विभिन्न वस्तुओं के विवरण के साथ-साथ वस्तुओं की तस्वीरें भी दी गई थीं। तलाशी दल ने ज्वेल्स प्राइम सॉफ्टवेयर में निर्धारिती द्वारा तैयार किए गए गुप्त डेटा का भी पता लगाया। इन भ्रामक दस्तावेजों/ आंकड़ों और बहीखाते से पता चलता है कि निर्धारिती विदेशी पर्यटकों को बेची जाने वाली वस्तुओं पर 100 से 150 प्रतिशत तक की अधिक कीमत वसूल रहा था।

इस ज्वेलरी समूह ने विभिन्न व्यक्तियों को 122.67 करोड़ रुपये का बेहिसाब नकद ऋण दे रखा था और और वह उस पर बेहिसाब ब्याज भी कमा रहा है। समूह ने अपने कर्मचारियों और कारीगरों के बैंक खातों के माध्यम से अपने बेहिसाब नकद आय को छिपा रहा था। इस समूह में अब तक कुल मिलाकर 525 करोड़ रुपये के बेहिसाब लेनदेन का पता चला है।

तीसरा समूह जयपुर का एक प्रसिद्ध बिल्डर और डेवलपर है जो वाणिज्यिक केंद्रों, फार्म हाउस, टाउनशिप और आवासीय परिसरों के विकास में लगा हुआ है। इस तलाशी अभियान से पता चला है कि निर्धारिती समूह ने अपने एक बहीखाते में एयरपोर्ट प्लाजा पर एक रियल एस्टेट परियोजना में महज 1 लाख रुपये के निवेश को दर्शाया है जबकि डब्ल्यूआईपी से संबंधित इस परियोजना के बहीखाते में करीब 133 करोड़ रुपये दर्शाए गए हैं। तलाशी से यह भी पता चला कि निर्धारिती द्वारा संचालित विभिन्न सस्ती रिहायशी योजनाओं से उल्लेखनीय आमदनी हुई लेकिन आयकर रिटर्न में उसकी जानकारी नहीं दी गई है। परिसर की तलाशी के दौरान इससे संबंधित सभी दस्तावेज को जब्त कर लिया गया है। समूह ने विभिन्न व्यक्तियों को 19 करोड़ रुपये के बेहिसाब नकदी ऋण भी दे रखा है और उस पर वह बेहिसाब ब्याज भी कमा रहा है। इस प्रकार, इस समूह से कुल मिलाकर 225 करोड़ रुपये के बेहिसाब लेनदेन का पता चला है।