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कोरोना से बचाव के लिएः-पल्मोलाजिस्ट डॉ. जिशान मंसूरी कहते है नियमों का पालन करे और खाये समय पर खाना

बड़वानी। जिले के सबसे बड़े कोविड केअर सेंटर आशाग्राम में अपनी सेवाएं दे रहे पल्मोलाजिस्ट डॉ. जिशान मंसूरी आज कोरोना प्रभावितों के ईलाज के लिए एक जाना-पहचाना नाम बन गया है। पिछले समय दो बार स्वयं कोरोना प्रभावित होकर अपना ईलाज करवा चुके डॉ. जिशान मंसूरी समय मिलने पर अपनी गाड़ी में ही बैठकर खाना खाते हुए कहते है कि कोरोना से घबराना नही है। सिर्फ समझदारी दिखाना है। और यह समझदारी मास्के लगाने, दो गज की दूरी बनाने तथा घर में रहकर दिखाना है। अगर आमजन यह अपने व्यवहार में ले आये तो उन जैसे डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ भी सूकुन से घर पहुंचकर खाना खा सकते है।
शनिवार की दोपहर आशाग्राम के कोविड केअर सेंटर में अपने परिचित के घर से आये खाने के टिफीन में से खाना खते हुए डॉ. मंसूरी बताते है कि कोरोना दौड़कर पकड़ने वाला रोग नही है। अगर हम अज्ञानता या दुस्साहस दिखायेंगे तो यह हम डॉक्टरों को भी नही छोड़ता। इसलिए उनकी सभी से विनती है कि वे शासन की गाईड लाईन का पालन करते हुए स्वयं भी बचे और दूसरो की भी सुरक्षा में सहभागी बने। क्योकि किसी भी अज्ञानता के कारण जब उनके घर के वृद्ध सदस्यों को यह वायरस जकड़ता है तो सच माने उनकी दशा देखकर डॉक्टर होने के पश्चात् भी उनका मन विचलित हो उठता है। लगता है कि घर में ही हरने वाले यह वृद्धजन अपने परिवार के ऐसे सदस्यों की अज्ञानता के कारण परेशान हो रहे है, जिन्होने बाहर से लाकर यह वायरस उन्हे दे दिया है।
डॉ. मंसूरी कहते है कि यदि किसी को कोरोना हो भी गया है तो वह स्वयं डॉक्टर न बने, कब किसको कौन सी दवा, कौन सा इंजेक्शन देना है, इसका निर्धारण डॉक्टर को ही करने दे। क्योकि स्वयं डॉक्टर बनने से, रोगियों को फायदा होने के स्थान पर नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है। उन्होने सभी से आव्हान किया कि वे स्वयं और अपने घर-परिवार के सदस्य समय पर खाना खाये, इसका ध्यान रखे। क्योकि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर ही कोरोना परेशान करता है।