बैठक में निश्चय किया गया कि गौशाला का संचालन स्वयं के संसाधनों से होगा। आत्मनिर्भर बनाने के लिए गौशाला में केंचुआ खाद, गौकाष्ठ, गोबर के कंडे, अगरबत्ती आदि का निर्माण किया जायेगा। यहां की शासकीय भूमि पर चारा व बांस उत्पादन किया जायेगा। आमदनी बढ़ाने के लिए बांस, खमेर, मुनगा (सहजन) आदि के पौधों का रोपण कर बड़े पैमाने पर उत्पादन लिया जायेगा। गौशाला की आमदनी बढ़ाने के लिए गिर मालवीय नस्ल की दुधारू गायों का पालन किया जायेगा। गौशाला में पीएचई द्वारा दो ट्यूबवेल का खनन किया जायेगा। पानी की उपलब्धता बनाये रखने के लिए वहां के बरसाती नाले पर एक चैक डेम/ स्टाप डेम का निर्माण किया जायेगा। इसमें मछली पालन भी किया जायेगा। गौशाला का संचालन बहोरीपार के 5 स्थानीय सक्रिय स्वसहायता समूहों द्वारा होगा। गौशाला के कार्यों की मॉनीटरिंग प्रबंधक के रूप में कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा करेंगे। गौशाला की स्थापना से 50 से 100 स्थानीय व्यक्तियों को रोजगार मुहैया होगा।
कलेक्टर वेद प्रकाश ने गौशाला निर्माण के लिए अधिकारियों को संयुक्त रूप से स्थल भ्रमण करने और समय सीमा में कार्य योजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।
सीईओ जिला पंचायत श्री भार्गव ने वर्ष 2019- 20 की 28 गौशालाओं के संचालन और वर्ष 2020- 21 की निर्माणाधीन 58 गौशालाओं के बारे में जानकारी दी। इस संबंध में कलेक्टर ने सभी जनपदों के सीईओ और ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा के सहायक यंत्रियों को निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिये। उन्होंने संबंधित गौशालाओं में विद्युतीकरण का कार्य तत्काल पूर्ण कराने के निर्देश विद्युत वितरण कम्पनी के अधिकारियों को दिये।
परियोजना अधिकारी मनरेगा श्रीमती ऋतु तिवारी ने एमजीएसवाय की गौशालाओं और आत्मा योजना के अंतर्गत होने वाले प्रशिक्षण के बारे में जानकारी दी।
बैठक में उप संचालक पशु पालन डॉ. पीके शर्मा, उप संचालक कृषि राजेश त्रिपाठी, कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकीय सेवायें व कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, जिला प्रबंधक ग्रामीण आजीविका मिशन, जनपदों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ व सहायक यंत्री और अन्य अधिकारी मौजूद थे।