भोपाल :
रेबीज की बीमारी से बचाव हेतु हाई रिस्क ग्रुप को टीकाकृत करने के लिए प्रदेश में पहली बार प्रीएक्सपोजर एंटी रेबीज वैक्सीन कैंप भोपाल में संपन्न हुआ। मुख्य चिकित्सा एवं स्टाफ कार्यालय भोपाल द्वारा राज्य पशु चिकित्सालय जहांगीराबाद में विशेष टीकाकरण शिविर में पशुओं के साथ सीधे संपर्क में आने वाले पशु चिकित्सकों एवं नगर निगम कर्मियों को प्रीएक्सपोजर एंटी रेबीज टीका लगाया गया। शिविर में 121 लोगों को रेबीज की प्रिकॉशन डोज लगाई गई ।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ प्रभाकर तिवारी ने बताया कि रेबीज एक जानलेवा बीमारी है। जानवर के काटने या खरोंचने के बाद सही समय पर टीके न लगवाना घातक होता है । जानवर के काटने के बाद पोस्ट एक्स्पोज़र वैक्सीन पूर्व से लगाई जा रही है। भोपाल जिले में पहली बार स्वास्थ्य विभाग ने पशुपालन विभाग और नगर निगम के साथ समन्वय से प्रीएक्स्पोज़र वैक्सीन लगाने की शुरुआत की है । राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के 2030 तक रेबीज उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। भारत सरकार के नेशनल एक्शन प्लान फॉर रेबीज एलिमिनेशन (एनएपीआरई) के निर्देशो के अनुरूप पशुओं के साथ सीधे संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को उच्च जोखिम समूह की श्रेणी में रखा गया है। जिन्हें अनिवार्यता प्रीएक्स्पोज़र प्रोफाइलैक्सिस टीके लगाए जाने हैं । टीके की तीन डोज लगाई जाती हैं । पहली डोज लगने के सातवें दिन और 21वें दिन पर दूसरी और तीसरी डोज लगाई जाती है ।
जानवरों का इलाज करने वाले एवं जानवरों को पालने वाले लोग उच्च जोखिम समूह में शामिल होते हैं। जानवरों का इलाज करने वाले पशु चिकित्सकों को पंजा लगने, इंजेक्शन एवं सैंपलिंग इत्यादि के दौरान एक्स्पोज़र की संभावना होती है। इसी तरह नगर निगम में आवारा कुत्तों को पकड़ने एवं नसबंदी करने वाले कर्मचारियों को भी रेबीज होने की संभावना अधिक होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग भोपाल द्वारा इन सेवा प्रदाताओं के लिए टीकाकरण की शुरुआत की गई है।