नरसिंहपुर में सीबीआई की दबिश, 22 लोगों को ढूंढता रहा हवलदार

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नरसिंहपुर। जिला मुख्यालय में गबन के एक मामले में सीबीआई की छह सदस्यीय टीम ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक की मंडी रोड स्थित शाखा में दबिश दी। दरअसल, ये टीम दो साल पहले हुए करीब दो करोड़ के गबन मामले में जांच करने आई थी। टीम में शामिल हवलदार रैंक का कर्मचारी इस मामले में संदिग्ध शहर के 22 लोगों के घरों में दस्तक देकर नोटिस तामील करता रहा। सीबीआई की ये कार्रवाई देर रात तक जारी रही।
सोमवार को जबलपुर से आई सीबीआई के आधा दर्जन अधिकारियों की टीम ने जिला मुख्यालय स्थित भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा में अपना डेरा जमाया। यहां उन्होंने एसबीआइ की मंडी रोड स्थित शाखा में हुए गबन के मामले में तफ्तीश की। ये टीम सुबह करीब साढ़े 10 बजे यहां पहुंची थी। इसके बाद संदिग्धों समेत अन्य लोगों को बयान देने के लिए हवलदार रैंक के कर्मचारी के जरिए शहर के करीब 22 लोगों को नोटिस तामील कराए गए। ये सिलसिला देर शाम तक जारी रहा। सीबीआइ टीम की इस अचानक दबिश से बैंककर्मियों में हड़कंप की स्थिति रही। जांच दल की सख्त हिदायत के चलते कोई भी बैंक अधिकारी-कर्मचारी इस मामले में कुछ भी बताने से परहेज करता नजर आया। सीबीआइ की टीम ने करीब आठ करोड़ के गबन मामले में संदिग्ध खातों, नामों समेत लोन देने की प्रक्रिया की सूक्ष्म जांच की। ये पूरी कार्रवाई एसबीआइ की मुख्य शाखा की बिल्डिंग में ऊपरी तल पर होती रही। यहां सीबीआइ टीम की इजाजत के बगैर बैंककर्मियों को भी प्रवेश की इजाजत नहीं थी।
क्या है मामला
करीब दो साल पहले भारतीय स्टेट बैंक की मंडी रोड स्थित शाखा में बिना लोन स्वीकृत हुए सिर्फ दस्तावेजों के आधार पर कुछ खातों में 10 से 50 लाख रुपये की राशि जमा करा दी गई थी। इसे दस्तावेजों में ऋ ण के रूप में दिखाया गया था। ऑडिट के दौरान जब ये बात रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआइ के संज्ञान में आई तो सवाल-जवाब का सिलसिला शुरू हो गया। आरबीआइ ने बैंक प्रबंधक से पूछा कि जिन खातों में लोन की राशि जमा कराई गई है, उनकी संपत्ति को मॉडगेज (बंधक) क्यों नहीं बनाया गया। इतनी बड़ी राशि किस आधार पर बिना मांगे लोन के रूप में स्वीकृत की गई है। इन सवालों के तत्कालीन शाखा प्रबंधन दीपक आनंद संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए थे। नतीजतन, आरबीआइ ने पूरा मामला सीबीआइ को सौंपकर एफआइआर दर्ज कराई थी। प्रकरण की प्रारंभिक जांच में मंडी स्थित बैंक शाखा के प्रबंधक दीपक आनंद को बैंक की मुख्य शाखा में अस्थाई तौर पर अटैच किया गया था। तब से आज दो साल बाद तक सीबीआइ की जांच-पड़ताल जारी है। सीबीआइ के अफसरों को आशंका है कि ये गबन 7 से 8 करोड़ तक का हो सकता है।

इनका ये है कहना
गबन का ये प्रकरण नया नहीं है, बल्कि दो साल पुराना है। इस मामले में एफआइआर हो चुकी है। सोमवार को भी हमारी टीम इसी प्रकरण की जांच करने पहुंची थी। फिलहाल इससे अधिक जानकारी मैं नहीं दे पाऊंगा।
पीके पांडे, एसपी, सीबीआई, जबलपुर

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