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‘सीबीएसई अध्यक्ष का बोर्ड परीक्षार्थियों को पैगाम ‘कुछ भी करो पर इतिहास मत बनाना’

नरसिंहपुर। ‘प्यारे बच्चों जीवन में कुछ भी करो लेकिन इतिहास नहीं बनाना।’ ये प्रेरक बातें 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर स्टूडेंट्स के लिए सीबीएसई की अध्यक्ष अनीता करवल ने अपने पत्र में लिखी हैं। बच्चों और उनके अभिभा

सीबीएसई अध्यक्ष अनीता करवल

वकों को परीक्षा के तनाव से बाहर निकालने के लिए अनीता करवल पिछले तीन साल से प्रेरक पत्र लिख रहीं हैं। ये पत्र सीबीएसई की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। नरसिंहपुर जिले में सीबीएसई समेत एमपी बोर्ड विद्यार्थियो को मोटीवेट करने khabarlive24 सीबीएसई अध्यक्ष के पत्र को उन्ही के शब्दों में यहाँ प्रकाशित कर रहा है।

मूल रूप से अंग्रेजी भाषा में लिखे गए पत्र को आप दी गयी लिंक पर क्लिक पर पढ़ सकते हैं। 

http://cbse.nic.in/newsite/attach/Letter%20to%20Children.pdf

‘प्यारे बच्चों,

फोटो इंटरनेट

गणित में मेरी हालत ‘Alice in Wonderland’ जैसी थी। केमिस्ट्री मेरे लिए कई अंग्रेजी अल्फाबेट और अरबी अंकों का मिश्रण थी। लेकिन बायोलॉजी ऐसा विषय था जो मुझे जिज्ञासु बनाता था। ये विषय इतना पसंद था कि मैं रेड ब्लड सेल्स पर ऑटोबायोग्राफी लिख देती थी। मुझे अपनी पनाह वहां मिली। ये मेरे लिए आर्ट रूम की तरह था। एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज में मैं पढ़ाई-लिखाई से बेहतर थी। मुझे अच्छा लकता था कि मैं खाली कैनवास पर रंगों से कुछ भी बना सकती हूं। या स्टेज पर एक्टिंग के दौरान लंबे से लंबे डायलॉग याद रख सकती हूं। लेकिन मुझे ये याद नहीं कि बोर्ड परीक्षा में मुझे क्या सवाल पूछे गए थे और परीक्षा कैसी गई थी।

मैं ये सब आपसे इसलिए साझा कर रही हूं क्योंकि मैं चाहती हूं कि ऐसा नहीं है कि हम स्कूल में हर विषय और हर गतिविधि में अच्छे होकर ही जिंदगी में सफल हों। स्कूलिंग विभिन्न विषयों से रूबरू होने के बारे में है। लेकिन इससे ज्यादा ये समय ये सीखने के लिए है जीवन भर के लर्नर कैसे बनें। ये समय जीवन के मूल्य और कौशल सीखने का है।

आपने जिंदगी में कई चढ़ाई चढ़ी है – घिसटने से चलना सीखने तक, अस्पष्ट से स्पष्ट बोलना सीखने तक, दोस्त बनाना सीखने से लेकर टीमवर्क तक, लिखना, पढ़ना, खेलना, पेंट करना, गाना, डांस करना, खाना पकाना, गार्डनिंग करना, इंटरनेट सर्च करना, बड़ों का सम्मान करना, अपनी संस्कृति को जानना और भी बहुत कुछ। इन सभी ने आपके व्यक्तित्व को निखरने और और अतुल्य बनाने में भूमिका अदा की है।

परीक्षा इन हजारों चीजों की सूची में से महज एक चीज है। ये इतनी बड़ी चीज नहीं जितना इसे बना दिया जाता है। ये सिर्फ अपनी वास्तविक क्षमता ढूंढने के आपके सफर में एक पड़ाव है। उस सूची में से जो भी आपने सीखा है, वो सब एक ही मान्यता के साथ शुरू होता है – मैं ये कर सकता / सकती हूं।
इसलिए अपने पूरे ज्ञान और क्षमता के साथ आगे बढ़ें, अपनी चिंताओं को खत्म करें, कड़ी मेहनत करें और अपना सर्वश्रेष्ठ दें।’