नरसिंहपुर : शक्कर नदी पुनर्जीवन यात्रा के 3 दिवसीय प्रथम चरण का समापन

0

हथनापुर में संबोधन देते पूर्व जिपं अध्यक्ष देवेंद्र पटेल गुड्डू।

नरसिंहपुर।   पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष देवेंद्र पटेल गुड्डू के नेतृत्व में नर्मदा संगम से शक्कर नदी उद्गम तक चेतना प्रवाह यात्रा के प्रथम चरण का समापन ग्राम हथनापुर में हो गया। जिले के इतिहास में ये पहला अवसर है जब शक्कर नदी की यात्रा की जा रही हो। समापन कार्यक्रम में श्री पटेल ने आह्वान किया कि शक्कर नदी विलुप्त होने के कगार पर है, हम सबको मिलकर इसे बचाना होगा।
तीन दिनों तक चली यह यात्रा नर्मदा-शक्कर संगम घाट से शुरू हुई। जिसमें हथनापुर तक 40 घाटों पर चेतना प्रवाहित करने का अभियान चलाया गया। दोपहिया वाहन से 55 किलोमीटर तक तय की गई इस यात्रा में रास्ते मे पड़े 40 ग्रामों के लोगों को शक्कर का महत्व बताया। पूजन व आरती के साथ लगभग विलुप्त हो चुकी इस नदी को पुनर्जीवित करने के लिए संकल्प दिलाए गए। रविवार शाम ग्राम हथनापुर में राजा गिरवर शाह के निवास पर आयोजित किए गए समापन कार्यक्रम में सम्बोधित करते हुए पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष देवेंद्र पटेल गुड्डू ने कहा कि शक्कर नदी नर्मदा की प्रमुख सहायक नदी है। नर्मदा के संरक्षण के लिए शक्कर नदी को जीर्णोद्धार बहुत आवश्यक है। नरसिंहपुर जिले की एक बड़ी आबादी शक्कर के जल पर निर्भर है। लाखों एकड़ जमीनों की सिंचाई एवं जिले के एक बड़े इलाके का भू जल स्तर शक्कर नदी पर ही निर्भर करता है फिर भी शक्कर नदी के संरक्षण की चिंता किसी को नहीं है। रेत और वृक्षों से ही नदी का जीवन होता है। यात्रा के दौरान देखा कि वृक्षों की कटाई और जगह जगह हो रहे अवैध उत्खनन के कारण बारह महीने चलने वाली शक्कर नदी अब विलुप्ति की कगार पर है। जिले की रेत ठेकेदार कम्पनी धनलक्ष्मी द्वारा शक्कर नदी में बेजा अवैध उत्खनन किया जा रहा है साथ ही अनेक घाटों पर अवैध बसूली की जा रही है। एनटीपीसी पॉवर प्लांट द्वारा भी शक्कर नदी का भारी दोहन किया गया है। समय रहते इसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रयास नहीं किये गए तो शक्कर नदी भी प्रदेश की अन्य विलुप्त हो चुकी नदियों की तरह इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर रह जाएगी। इसलिए सभी को एकजुट होकर शक्कर नदी को बचाने के लिए प्रयास करना होगा। देवेंद्र पटेल ने बताया कि अगले चरणों मे शक्कर नदी के उद्गम स्थान तक यात्रा की जाएगी। समापन कार्यक्रम में यात्रा के सह यात्री अभिनय ढिमोले सहित पंडित शारदानंद शास्त्री, चौधरी प्रदीप रघुवंशी, श्याम राजपूत एवं आशीष उदेनिया ने भी शक्कर नदी को बचाने के लिए अपने विचार रखे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में हथनापुर सहित आसपास के ग्रामों के लोगों की उपस्थिति रही।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

error: Content is protected !!
Open chat