नरसिंहपुर। धवई ग्राम पंचायत में स्वीकृत तालाब का निर्माण डीपीआर के विपरीत जाकर चीलाचौन खुर्द में कराने वाले ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के कारनामे हैरतअंगेज हैं। धवई इकलौता मामला नहीं है, जहां पर अधिकारियों ने तालाब घोटाला को अंजाम दिया है। इसके पहले वे तेंदूखेड़ा तहसील के अंतर्गत ढिलवार पंचायत में भी एक अनूठे कारनामे को अंजाम दे चुके हैं। बीती 12 सितंबर 2019 को ढिलवार के फूटे तालाब के मामले में आरईएस ने आरोपितों को बचाने के लिए अब ये कहना शुरू कर दिया है कि ढिलवार का तालाब फूटा नहीं था, बल्कि उसे हमने ही फुड़वाया था, ताकि उनका संग्रहित पानी निकल जाए।
मुख्यमंत्री सरोवर योजना के तहत तेंदूखेड़ा की ढिलवार ग्राम पंचायत में 1 करोड़ की लागत से वृहद तालाब का निर्माण कराया जा रहा था। इसके निर्माण का ठेका पहले महाराष्ट्र की एक कंपनी को दिया गया। जिसने पेटी ठेकेदार के रूप में बेगमगंज की एक महिला के जरिए काम कराया। ये तालाब भी तय समय सीमा में कभी भी पूरा नहीं हुआ। तालाब की पिचिंग का काम अधूरा ही हुआ था कि 12 सितंबर 2019 को आधा भरा तालाब फूट गया। जितना पानी संग्रहित हुआ था वह बह गया। इस मामले में तात्कालिक कलेक्टर दीपक सक्सेना ने घटना की जांच के आदेश दिए थे। आरईएस के अधिकारियों से दोषियों की पहचान करने कहा गया था, लेकिन आरईएस ने जो प्रतिवेदन दिया वह चौंकाने वाला था। इसमें उन्होंने अपने तत्कालीन कार्यपालन यंत्री मोहनलाल सूत्रकार व उनके रिश्तेदार ठेकेदारों को बचाने के लिए तालाब फूटने की घटना को ही नकार दिया।
रिकवरी और एफआईआर से बचाने की जुगत
ढिलवार तालाब का जब निर्माण हो रहा था तब कार्यपालन यंत्री के रूप में मोहनलाल सूत्रकार कार्यरत थे। जानकारों के अनुसार निर्माण में इनके रिश्तेदार भी पेटी ठेकेदारी के काम लिप्त थे। जैसे ही तालाब फूटा तो ठेकेदार समेत अधिकारियों पर रिकवरी का मामला गूंजने लगा। कुछ दिन मीडिया में सुर्खियां बनने के बाद जब मामला शांत हो गया तो आरईएस ने जादूगरी दिखानी शुरू कर दी। अपने प्रतिवेदन में उन्होंने निर्माण को पूरा करने के नाम पर तालाब फोड़ने की बात तक कह डाली। इसके बाद कार्यपालन यंत्री मोहनलाल सूत्रकार तबादला लेकर गुना चले गए। मामले में लीपापोती कर दी गई। हालांकि जांच-प्रतिवेदन कभी सार्वजनिक नहीं किया गया।
68 लाख का हो चुका था भुगतान
हैरत की बात ये है कि ढिलवार तालाब के फूटने के पहले तक आरईएस ने ठेकेदार को 68 लाख का भुगतान कर दिया था। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर पानी में बहाई गई इस रकम की रिकवरी किसके मत्थे जड़ी जाए। निश्चित रूप से ये रिकवरी तत्कालीन एसडीओ और ठेकेदार पर होनी चाहिए थी, जो कि नहीं हो सकी।
इनका ये है कहना
ढिलवार का तालाब फूटा नहीं था, बल्कि हमने ही उसे चेक करने के लिए फुड़वाया था। कलेक्टर साहब ने जांच के आदेश जरूर दिए थे, लेकिन मामला फूटने का नहीं था। आप कार्यालय आइए पता चल जाएगा कि तालाब आरईएस ने फोड़ा था।
आकाश सूत्रकार, एसडीओ, आरईएस
ढिलवार मामले में आरईएस ने प्रारंभिक प्रतिवेदन भर दिया था, जिसमें उन्होंने आश्चर्यजनक रूप से खुद ही तालाब फोड़ने की बात कही थी। मेरे लिए भी ये चौंकाने वाला था। हालांकि मैंने इस मामले में जिला पंचायत सीईओ कमलेश कुमार भार्गव को जांच करने कहा था। इसके बाद क्या हुआ, मुझे याद नहीं।
दीपक सक्सेना, तत्कालीन कलेक्टर नरसिंहपुर।