क्या आरईएस कर रहा चीलाचौन के तालाब के फूटने का इंतजार, ताकि छिपा सकें करतूत
ढिलवार मामले में हो गई लीपापोती
नरसिंहपुर। गोटेगांव विधानसभा के अंतर्गत धवई के बजाय चीलाचौन में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा ने तालाब का निर्माण किया है। बारिश का दौर शुरू हो चुका है लेकिन यहां अब तक पिचिंग का काम नहीं किया गया है। ठेकेदार ने भी बारिश को देखते हुए पिचिंग के काम से हाथ उठा लिए हैं। जिससे चीलाचौन के तालाब के फूटने का खतरा बढ़ गया है। गौरतलब है कि बीते साल 2019 में 5 व 12 सितंबर को गाडरवारा-सालीचौका व तेंदूखेड़ा के ढिलवार में 7 तालाब एक के बाद एक फूट गए थे। इसमें शासन का करोड़ों रुपये पानी में बह गया था। मामले में न तो किसी अधिकारी या ठेकेदार से रिकवरी की गई न ही उन पर कोई पुलिस कार्रवाई ही हुई। ऐसा ही अब चीलाचौन के मामले में समझ आ रहा है। लेआउट व डीपीआर के विपरीत बनाया गया यह तालाब आरईएस के गले की फांस बन रहा है। पिचिंग का काम रुकवाना कहीं न कहीं यह संदेश दे रहा है कि करीब पौने दे करोड़ की लागत वाले इस तालाब का हश्र भी आरईएस के अधिकारी पिछले 7 तालाबों की तरह होते देखना चाहते हैं, ताकि वे अपनी गर्दन को बचा सकें।
चीलाचौन ग्राम पंचायत में धवई पंचायत के हिस्से का मनमाने तरीके से तालाब बनाने वाला ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग इसके पहले भी अपनी अनियमित कारगुजारियों से शासन के पैसों को पानी में बहा चुका है। इनकी बानगी तेंदूखेड़ा तहसील का ढिलवार क्षेत्र है। जहां मुख्यमंत्री सरोवर योजना के तहत 1 करोड़ 6 लाख रुपये की लागत से 16 एकड़ में 10 फीट गहरा तालाब का निर्माण कराया गया था। इस तालाब के निर्माण में भी जमकर अनियमितता बरती गई थी। निर्माण के लिए जिस मिट्टी का इस्तेमाल किया गया था, वह राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 12 के निर्माण से निकली अनुपयोगी मिट्टी थी। इससे तालाब के चारों ओर डलवाया गया था। इसके अलावा ठेकेदार ने समयावधि पूरी हो जाने के बाद भी पिचिंग का काम नहीं किया था। तटबंधों के आसपास गलने वाले पत्थर डाल दिए थे। नतीजा ये रहा कि पिछले साल 12 सितंबर 2019 को ढिलवार का ये तालाब फूट गया। पूरा का पूरा पानी आसपास के खेतों-मार्गों में भर गया था। आज इस तालाब में एक बूंद पानी भी नहीं है। इस घटना के एक साल बाद भी जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं हो सकी है। इसी तरह वर्ष 2019 में ढिलवार समेत जिलेभर में अनियमित रूप से बनाए गए करीब 7 तालाब भी पिचिंग न होने आदि कारणों से फूटे थे। ढिलवार के पहले गाडरवारा-सालीचौका के अंतर्गत 5 सितंबर को एक साथ रहमा, टूडनी, देवरी, झामर के पांच तालाब फूट गए थे। इससे आसपास के मकान जलमग्न हो गए थे। गांव की सड़कों पर नाव तक चल गईं थीं।
ढिलवार मामले में हो गई लीपापोती
मुख्यमंत्री सरोवर योजना के तहत ढिलवार का जो तालाब बीते साल 12 सितंबर को फूट गया था। इस मामले में ठेकेदार व आरईएस के सब इंजीनियर श्री धुर्वे के खिलाफ एफआईआर तो कराई गई लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामले में लीपापोती कर सबको बचा लिया गया। खास बात ये है कि ढिलवार के तालाब की निगरानी भी उसी अफसर के पास थी, जिसने धवई के बजाय चीलाचौन में अवैध रूप से तालाब का निर्माण कराया था। इस अफसर को सिर्फ नोटिस देकर बचा लिया गया। ये अफसर तबादला लेकर अब गुना में पदस्थ है। अनियमितताओं की सारी जिम्मेदारी से ये मुक्त है। ऐसा ही हाल रहमा, टूडनी, देवरी, झामर के फूटे तालाबों के मामले में भी रहा। सख्त कार्रवाई किसी के भी खिलाफ नहीं की गई।
इनका ये है कहना
चीलाचौन खुर्द में बनाए गए अनियमित तालाब की अब तक पिचिंग न करने के लिए ठेकेदार पर और धवई के बजाय के चीलाचौन में तालाब बनवाने वाले अधिकारियों के खिलाफ जिला प्रशासन को चाहिए कि एफआईआर करे। ये तो सरासर सरकारी पैसों के साथ होली खेलने जैसा है। यह बर्दाश्त से बाहर है।
कैलाश जाटव, पूर्व विधायक गोटेगांव
चीलाचौन खुर्द के तालाब मामले की जांच चल रही है। अभी प्रतिवेदन नहीं आया है। यदि यहां पर ठेकेदार ने पिचिंग काम बंद कर दिया है तो उसे दिखवाता हूं। बारिश के दिनों में किसी तरह की जन-धन की हानि न हो इसके लिए जिला प्रशासन पूरी सतर्कता बरतेगा।
कमलेश कुमार भार्गव, जिला पंचायत सीईओ नरसिंहपुर।
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