नरसिंहपुर: विधायक जालम सिंह के प्रयास लाए रंग, चिनकी बांध निरस्त, बनेंगे 2 स्टापडेम, पांच जिलों को मिलेगा फायदा
नरसिंहपुर। नर्मदा नदी पर प्रस्तावित चिनकी बांध को निरस्त करने संबंधी वर्तमान विधायक व पूर्व राज्यमंत्री जालम सिंह पटेल के प्रयास रंग लाए हैं। मप्र शासन ने चिनकी बांध को निरस्त करते हुए नर्मदा नदी में अब कम ऊंचाई वाले 2 स्टापडेम बनाने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसकी लागत राशि भी तीन गुणा बढ़कर 44 सौ करोड़ की हो चुकी है। इसी तरह शक्कर नदी पर गाडरवारा तहसील के हथनापुर में बांध परियोजना को भी हरी झंडी मिली है।
विधायक श्री पटेल ने बताया कि चिनकी बांध निरस्त होने से जिले को एक बड़ा नुकसान होने से बचाया जा सका है। यदि यह बांध बनता तो न सिर्फ हमारे नरसिंहपुर जिला को बल्कि जबलपुर दमोह रायसेन आदि जिलों को भी प्राकृतिक संपदाओं का भारी नुकसान होता। चिनकी बांध के निरस्त होने से जिले में मौजूद बहूमूल्य प्राकृतिक संपदाओं में शुमार एशिया की सर्वोत्तम उपजाऊ भूमि व पुरातात्विक महत्व के स्थलों, वन भूमि व बन्यजीवों सहित सैकड़ों ग्रामों के डूब क्षेत्र में चले जाने सहित अन्य नुकसानांे से बचाया जा सका है और इन्हें बचाने के लिए ही हमने चिनकी बांध को निरस्त कराए जाने सभी हरसंभव प्रयास किए हैं।
पांच जिलों के किसान होंगे लाभांवित
चिनकी बांध को निरस्त कर प्रदेश सरकार ने जो दो स्टापडेम स्वीकृत किए हैं, उनसे एक-दो नहीं बल्कि पांच जिले लाभांवित होंगे। विधायक जालम सिंह पटेल ने बताया कि बांध की जगह पर चिनकी-बौरास बैराज नरसिंहपुर जिले में चिनकी व रायसेन जिला में बौरास के पास अब कम ऊंचाई के दो स्टापडेम बनाना स्वीकृत हुआ है। जिससे नर्मदा के जल को और अधिक मात्रा में रोका जाकर बिना कोई प्राकृतिक संपदा के नुकसान के नरसिंहपुर, जबलपुर, दमोह सागर, रायसेन होशंगाबाद जिले को किसानों को कृषि 1400 सौ करोड़ से विस्तृत होकर 4400 करोड़ की हो गई है। सिंचाई व पेयजल के लिए माइक्रो इरीगेशन पाइप लाइन के माध्यम से जल वितरण किया जाएगा।
विधायक के ये रहे प्रयास
विधायक श्री पटेल द्वारा इस चिंनकी बांध को निरस्त जाने हेतु नरसिंहपुर कलेक्टर को नवंबर 2020 मे लिखे गए एकपत्र में उल्लेखित किया गया है कि यदि चिंनकी बांध बनाया जाता है तो जिले की उपजाऊ निजी 5018 हे. एवं शासकीय 7000 हेक्टेयर भूमि 167 ग्राम डूब क्षेत्र में आ जाते। जबकि चिंनकी बांध को निरस्त कर गाडरवारा तहसील में शक्कर नदी पर हथनापुर शक्कर-पेंच लिंक बांध परियोजना भी स्वीकृत की गई है। उन्होने पत्र में यह भी स्मरण कराया है कि विधानसभा में बजट सत्र 2016 के दौरान राज्यपाल द्वारा अपने अभिभाषण मे चिंनकी में बांध को निरस्त कर चिंनकी जल उद्बहन परियोजना की स्वीकृति का उल्लेख किया गया था। और इस परियोजना हेतु 1495 करोड़ की राशि भी स्वीकृत की गई थी।
प्रस्तावित दो स्टॉपडेम में होंगे 47 गेट
चिंनकी-बौरास बैराज परियोजना में नरसिंहपुर जिला के करेली तहसील के चिंनकी बैराज की कुल लंबाई 404.10 मीटर एवं ऊंचाई 25.92 मीटर होगी, जिसमें 17 गेट एवं रायसेन जिले के उदयपुरा तहसील के बौरास बैराज की कुल लंबाई 631.50 मीटर एवं ऊंचाई 17.25 मीटर जिसमें 30 गेट प्रस्तावित है। जहां से कुल पांच बाटर लिफ्टिंग पाइंट चिन्हित किए गए हैं जिनमें से प्रस्तावित धरमपुरी उदवहन सिंचाई योजना, झिरी उदवहन, सिंचाई योजनाएं, रिंछावर उदवहन, सिंचाई योजना, बौरास उदवहन सिंचाई योजना, झिकौली (दूधी कमांड) उदवहन सिंचाई योजना से नर्मदा जल लिफटिंग कर सीधे कृषि सिंचाई के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। किसान बिना किसी ओएफडी के अपने खेतों तक सीधे ही ड्रप या स्प्रिंकलर द्वारा पानी लेकर कृषि सिचाई कर सकेंगे। इन दोनो बैराज के बनाए जाने से नर्मदा के दोनो ओर की कुल डूब भूमि नरसिंहपुर जिले की शासकीय 1211 हे. व निजी 518 हेे. एवं रायसेन जिले की शासकीय 1005 हे. व निजी 210 हेे. भूमि डूब क्षेत्र में प्रस्तावित है लेकिन इसमें कोई भी ग्राम डूब क्षेत्र की जद में नही आ रहे हैं।