नई दिल्ली। सोमवार से उपभोक्ता कानून में किए बदलावों से घटिया सामान बेचने वालों, गुमराह करने वाले विज्ञापन दिखाने वालों की खैर नहीं। अगर गलत पाए गए तो उन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। इतना ही नहीं, नए नियमों के तहत एक बड़ी राहत ये मिल रही है कि ग्राहक अब वहां से शिकायत दाखिल कर सकेगा, जहां वह रहता है, ना कि उसे वहां जाना जरूरी होगा, जहां से कोई सामान खरीदा है। घटिया सामान बेचने वालों को छह महीने की जेल हो सकती है या एक लाख रुपये जुर्माना देना पड़ेगा। बड़े नुकसान पर ग्राहक को पांच लाख रुपये मुआवजा देना होगा और सात साल की जेल होगी। उपभोक्ता की मौत हो जाए तो मुआवजा दस लाख व सात साल या आजीवन कारावास भी संभव है। नए कानून के दायरे में ई.कॉमर्स कंपनियां भी आएंगी। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट-2019) के तहत अब ग्राहक किसी भी उपभोक्ता अदालत में शिकायत कर सकेगा, अभी तक शिकायत वहीं की जा सकती थी, जहां से सामान खरीदा गया हो। नया कानून 1986 के उपभोक्ता कानून का स्थान लेगा।
- सुरक्षा का अधिकार- इसके तहत ग्राहक को किसी गुड्स या सर्विस की मार्केटिंग से जीवन या प्रॉपर्टी के नुकसान से बचाया जाता है।
- सूचना का अधिकार- ग्राहक को पूरा अधिकार है कि उसे प्रोडक्ट की क्वालिटी, उसकी मात्रा, शुद्धता, कीमत आदि के बारे में सही जानकारी दी जाए।
- छांटने का अधिकार- इसके तहत ग्राहक को गुड्स और सर्विसेस की कई वैरायटी उपलब्ध कराई जाती हैं, ताकि वह अपने अनुकूल गुड्स या सर्विस को छांट सके।
- सुने जाने का अधिकार- ग्राहक को सुने जाने का पूरा अधिकार है। उसे किसी तरह की दिक्कत होने पर फोरम में उसकी शिकायत को सुना जाएगा।
- किसी भी गलत प्रैक्टिस के खिलाफ शिकायत करने का भी ग्राहक को अधिकार है, ताकि उसका शोषण ना हो।
- कंज्यूमर एजुकेशन का अधिकार – यानी एक ग्राहक अपनी पूरी जिंदगी एक पूरी जानकारी रखने वाला ग्राहक रहेगा, जिससे वह शोषण से बचा रहेगा।