Khabar Live 24 – Hindi News Portal

गाडरवारा का लव जिहाद: मकसूद पर कसा शिकंजा, जमानत याचिका रद्द, बढ़ गई 7 साल की कैद वाली धारा

नरसिंहपुर। गाडरवारा तहसील में महिला उत्पीड़न व लव जिहाद के सामने आए मामले में जेल भेजे गए आरोपी मकसूद खान पर कानूनी शिकंजा बुरी तरह से कस गया है। बुधवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी गाडरवारा श्वेता श्रीवास्तव की अदालत ने आरोपी मकसूद खान की जमानत याचिका न सिर्फ निरस्त कर दी, बल्कि उसके प्रकरण में महिला की अपवित्रता को नुकसान पहुंचाने, धमकाने के मामले में धारा 506 बी भी बढ़ा दी है। भारतीय दंड विधान संहिता की इस धारा में आरोप सिद्ध होने पर अधिकतम 7 साल तक की सजा भोगने का प्रावधान है।

एक युवती की शिकायत पर गाडरवारा थाने में प्रकरण दर्ज होने के बाद 22 नवंबर को न्यायालय के आदेश पर सलाखों के पीछे किए गए आरोपी मकसूद खान की जमानत अर्जी पर बुधवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी गाडरवारा के समक्ष प्रस्तुत की गई थी। इस पर बहस करते हुए आरोपी के वकील आईवी श्रीवास्तव ने न्यायालय के समक्ष कहा कि आरोपी निर्दोष है, उसे झूठा फंसाकर प्रताड़ित करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि वकील महोदय अपने पक्षकार की ओर से दिए गए तर्क के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश करने में नाकाम रहे। वहीं शिकायतकर्ता युवती की ओर से न्यायालय में पेश हुए वकील महेश बुधौलिया ने जमानत आवेदन पर आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने फरियादी की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कि आरोपी को जमानत का लाभ दिए जाने से वह अभियोजन पक्ष को डरा धमका कर प्रभावित कर सकता है। यदि ऐसा हुआ तो वह फरियादी को बदनाम कर क्षति पहुंचाने का प्रयास करेगा। इसके मद्देनजर प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को जमानत न दी जाए। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद न्यायाधीश श्वेता श्रीवास्तव ने कहा कि आरोपी 22 नवंबर से न्यायिक अभिरक्षा में है लेकिन उस पर एक अन्य प्रकरण भी लंबित है। न्यायाधीश ने ये भी कहा कि इस प्रकरण में अनुसंधान अपूर्ण है और आरोपी प्रकरण के साक्षियों को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आरोपी की ओर से प्रस्तुत धारा 437 दंड प्रक्रिया संहिता का आवेदन निरस्त किया जाता है।