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निजी स्कूलों ने मांगी चार साल से बकाया आरटीई की राशि, फीस व मान्यता संबंधी अड़चनों को दूर करने की मांग

नरसिंहपुर। निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) के अंतर्गत गरीब बच्चों को प्रवेश तो दिए गए लेकिन पिछले चार साल शासन ने फीस प्रतिपूर्ति की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है। इसका जल्द से जल्द भुगतान करने समेत अन्य मांगों को लेकर संचालकों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है।
सोसायटी फॉर प्राइवेट स्कूल डायरेक्टर्स (सोपास) संगठन ने गुरुवार को अपनी विभिन्न् समस्याओं से प्रशासन को अवगत कराया। सौंपे ज्ञापन में निजी स्कूल संचालकों ने बताया कि वर्तमान में सरकार द्वारा अनलॉक की घोषणा की है लेकिन इससे स्कूलों का संचालन अछूता है। शिक्षा विभाग ने अब तक स्कूलों को खोलने संबंधी कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। इससे स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों के परिवारों के समक्ष भरण-पोषण का संकट बना हुआ है। उन्होंने इस बात पर रोष जताया कि वैसे भी शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत देश के 14 राज्यों की तुलना में मप्र में बेहद कम फीस प्रतिपूर्ति का प्रावधान है। प्रदेश में 2016-17 से आनलाइन लॉटरी से प्रवेश होने के बाद भी 4 वर्ष की फीस प्रतिपूर्ति, प्रक्रिया की अत्याधिक जटिलता के कारण संभव नहीं हो पाई है। इसलिए 2015-16 तक जारी प्रक्रिया के आधार पर 2016-17 से 2019-20 तक की आरटीई की राशि जल्द से जल्द प्रदान की जाए। इसी तरह उन्होंने हायर सेकंडरी स्तर के विद्यालयों के नवीकरण के प्रकरण में एक एकड़ की अनिवार्यता को पुन: लागू करने पर एतराज जताया। स्कूल से संबद्ध वाहनों के फिटनेस प्रमाण पत्र को 31 मार्च 2021 तक संपूर्ण सत्र के लिए वैद्य करने की मांग की गई।
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