नरसिंहपुर : नरवाई एवं फसल अवशेषों में आग लगाना प्रतिबंधित, धारा 144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी

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नरसिंहपुर. वायुमंडल, पर्यावरण एवं भूमि की क्षति को दृष्टिगत रखते हुए अपर जिला दंडाधिकारी दीपक कुमार वैद्य ने सार्वजनिक हित में नरसिंहपुर जिले की भौगोलिक सीमाओं में खेत में खड़े गेहूं के डंठलों- नरवाई एवं फसल अपशेषों में आग लगाये जाने को प्रतिबंधित किया है। यह आदेश जिले में नरवाई जलाने की प्रथा पर तत्काल अंकुश लगाने के उद्देश्य से दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत जनसामान्य को बाधा, क्षति, मानव जीवन के स्वास्थ्य के खतरे के प्रभाव को दृष्टिगत रखते हुए जारी किया गया है। यह आदेश आगामी 3 माह की अवधि में प्रभावशील रहेगा।

उल्लेखनीय है कि नरवाई जलाने से नुकसान को देखते हुए जनहित में इस पर रोक लगाई गई है। आदेश में बताया गया है कि खेत की आग के अनियंत्रित होने पर जन, सम्पत्ति व प्राकृतिक वनस्पति, जीवजंतु आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे व्यापक पारिस्थितिक नुकसान होता है। खेत की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु इससे नष्ट होते हैं, जिससे खेत की उर्वरा शक्ति शनै: शनै: घट रही है और उत्पादन प्रभावित हो रहा है। खेत में पड़ा कचरा, भूसा, डंठल सड़ने के बाद भूमि को प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाते हैं, इन्हें जलाकर नष्ट करना प्राकृतिक खाद्य को नष्ट करना है। आग लगाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जिले में कई कृषकों द्वारा रोटोवेटर से व अन्य साधनों से गेहूं के डंठल खेत से हटाने हेतु साधन अपनाये जाने लगे हैं, अत: कृषकों के पास वैकल्पिक सुविधा जो कि जनहित में भी है, उपलब्ध हो गई है। नरवाई जलाने से भूमि की लवण सांद्रता प्रभावित होती है, जो कि पौधों द्वारा पोषक तत्वों के अवशोषण की दर निर्धारित करती है।

उप संचालक कृषि द्वारा नरवाई में आग लगाने से होने वाले नुकसान को संज्ञान में लाने पर उक्त आदेश जारी किया गया है। इस सिलसिले में आदेश में बताया गया है कि नरवाई में आग लगाने से भूमि में मौजूद माइक्रोब्ज की क्षति होती है। यह पर्यावरण की दृष्टि से हानिकारक है। इसके कारण विगत वर्षों में गंभीर अग्नि दुर्घटनायें हुई हैं। इनमें व्यापक संपत्ति की हानि हुई है। गर्मी में जल संकट में बढ़ोत्तरी होती है। साथ ही मप्र शासन के पर्यावरण विभाग की अधिसूचना के अनुसार प्रदेश में वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981 के प्रावधानों के तहत नरवाई जलाना प्रतिबंधित किया गया है। इस अधिसूचना के अनुसार नरवाई में आग लगाने वालों के विरूद्ध क्षतिपूर्ति के लिए दंड का प्रावधान किया गया है। इसके अनुसार 2 एकड़ तक के किसानों को प्रति घटना 2500 रूपये, 2 से 5 एकड़ तक के किसानों को प्रति घटना 5 हजार रूपये और 5 एकड़ से बड़े किसानों को प्रति घटना 15 हजार रूपये के अर्थदंड का प्रावधान किया गया है।

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