नरसिंहपुर। आफत आते ही गड़बड़ी करने वाले बड़े अधिकारी लीपापोती करने के लिए अपने अधीनस्थों, निर्देशों का पालन करने वाले छोटे-जूनियर कर्मचारियों को फंसाकर खुद को बचा लेते हैं। यह नरसिंहपुर जिले का खासकर ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (आरईएस) विभाग की कार्यप्रणाली का सच है। तभी तो ढिलवार तालाब फूटने के मामले में न तो जांच प्रतिवेदन सार्वजनिक हुआ, न ही निर्माण करने वाले ठेकेदार और वास्तविक दोषी अधिकारियों पर कोई कोई कार्रवाई हुई। मामले में बेवजह सब इंजीनियर को जरूर सस्पेंड किया गया था, जो बाद में बहाल हो गए। समय के साथ मामला भी रफा-दफा कर दिया गया। ऐसा ही अब कुछ धवई टैंक परियोजना के मामले में जिम्मेदार करने की सोच रहे हैं।
मुख्यमंत्री सरोवर योजना के तहत तेंदूखेड़ा तहसील के अंतर्गत ढिलवार गांव में एक करोड़ की लागत से तालाब का निर्माण कराया जा रहा था। करीब 10 एकड़ के दायरे में बनने वाले इस तालाब के कुल इस्टीमेट की राशि में से करीब 68 लाख रुपये खर्च भी कर दिए गए थे, लेकिन पिचिंग का काम नहीं कराया गया। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के अधिकारी जांच के नाम पर मौका स्थल पर पहुंचते जरूर थे, लेकिन पेटी कांटेक्टर के साथ हंसी-ठिठौलीकर लौट आते थे। इसका नतीजा ये हुआ कि 12 सितंबर 2019 को तालाब ओवरफ्लो होते ही फूट गया। सरकारी मद के 68 लाख रुपये पानी में बह गए। जिला प्रशासन ने जांच दल जरूर गठित किया लेकिन इसका प्रतिवेदन कभी भी सार्वजनिक नहीं किया गया, न ही दोषी बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई की गई। हालांकि दिखावे के लिए जिला प्रशासन ने तत्कालीन सब इंजीनियर श्री धुर्वे को निलंबित कर दिया था, जबकि पेटी कांटेक्टर मिथलेश राजौरिया के खिलाफ एफआईआर की बात कही गई थी, लेकिन हुआ गया कुछ नहीं। वहीं इस घटना के बाद तत्कालीन कार्यपालन तबादला लेकर अन्य जिले में पदस्थ हो गए। मामला अब तक पेंडिंग है।
9 माह बाद भी नहीं पता तालाब कैसे फूटा
12 सितंबर 2019 को ढिलवार का तालाब फूटा था। उस वक्त तत्कालीन कलेक्टर दीपक सक्सेना ने यह कहकर जांच दल गठित किया था कि तालाब फूटने के कारणों का पता लगाया जाएगा। हैरत की बात ये है कि 9 माह बाद भी जिला प्रशासन समेत ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग यह नहीं पता चल पाया है कि आखिर तालाब कैसे फूटा। इस घटना के लिए जिम्मेदारी तक तय नहीं की जा सकी है।
धवई टैंक परियोजना के स्थल बदलने से अधीक्षण यंत्री अनजान
जिले की गोटेगांव विधानसभा के अंतर्गत धवई टैंक परियोजना का स्थल बदल दिया गया है। इस बात से अधीक्षण यंत्री कार्यालय जबलपुर अनजान है। ये चौंकाने वाला खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के अधीक्षण यंत्री एनएस भंवर ने खुद की है। रविवार को फोन पर श्री भंवर ने बताया कि आईएस नरसिंहपुर के कार्यपालन यंत्री द्वारा उन्हें यही जानकारी दी गई है कि ये तालाब धवई ग्राम पंचायत में ही निर्मित किया गया है। उन्हें यह नहीं बताया गया है कि मुख्यमंत्री सरोवर योजना का तालाब चीलाचौन खुर्द में निर्मित हुआ है। ये पूछे जाने पर कि डीपीआर में गोटेगांव के जनप्रतिनिधियों को छोड़ नरसिंहपुर विधायक व होशंगाबाद सांसद का नाम होने की बात पर उनका कहना था कि इस तरह की रिपोर्ट को जिलास्तर पर अधिकारी तैयार करते हैं। वे जानते हैं कि उनका निर्माण जिस निर्वाचन क्षेत्र में किया जा रहा है, उसके जनप्रतिनिधि कौन हैं। वहीं उनका ये भी कहना था कि डीपीआर में किसी तरह की छेड़छाड़ हुई है, इसके बारे में उन्हें कुछ पता नहीं है। श्री भंवर ने कहा कि जल्द ही वे नरसिंहपुर आएंगे और धवई टैंक परियोजना के स्थल का मुआयना करेंगे। आरईएस नरसिंहपुर के अधिकारियों से इस बारे में जानकारी ली जाएगी।
इनका ये है कहना
ढिलवार स्थित मुख्यमंत्री सरोवर योजना का जो तालाब 2019 में ढिलवार में फूटा था, उसकी जांच जिला प्रशासन द्वारा कराई गई थी। उनकी रिपोर्ट मुझ तक नहीं पहुंची है। इसका प्रतिवेदन भी नहीं आया है। इस मामले में कार्रवाई कलेक्टर को ही करनी थी। ये जरूर पता है कि एक सब इंजीनियर को निलंबित किया गया था।
एनएस भंवर, अधीक्षण यंत्री, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, जबलपुर।अधूरे और अनियमित तालाब निर्माण के मामले में दोषी बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई जरूर होनी चाहिए। वे चाहे कहीं पर भी तबादला लेकर चले जाएं। ढिलवार के मामले में, मैं खुद जिला प्रशासन से जांच-प्रतिवेदन और अब तक हुई कार्रवाई की डिटेल लेता हूं। इस तरह के हालात नि:संदेह चिंताजनक हैं।
राव उदयप्रताप सिंह, सांसद, नरसिंहपुर-होशंगाबाद संसदीय क्षेत्र