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धवई टैंक परियोजना: प्रस्तावित धवई के बजाय चीलाचौन पंचायत में डीपीआर के विपरीत पौने दो करोड़ के तालाब निर्माण का मामला

पिचिंग के लिए मंगाए गए गलने वाले छूई पत्थर।

 नरसिंहपुर। डीपीआर के विपरीत धवई ग्राम पंचायत में मुख्यमंत्री सरोवर का तालाब बनाने के बजाय ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के अधिकारियों ने चीलाचौन खुर्द पंचायत में तालाब का निर्माण करा दिया। यह मामला खबर लाइव 24 ने उजागर किया तो जिला प्रशासन ने इसकी जांच के आदेश दिए। हैरत की बात ये है करीब पौने दो करोड़ की लागत वाले तालाब की जगह बदलने की अनापत्ति का प्रमाण पत्र आरईएस को शासन स्तर पर लेना था, लेकिन अधिकारियों ने इसे व्यक्तिगत स्तर पर धवई व चीलाचौन खुर्द पंचायत के सचिवों से उनके लैटर पेड पर ले लिया।
मुख्यमंत्री सरोवर योजना के अंतर्गत 26 सितंबर 2018 को पंचायत राज संचालनालय भोपाल द्वारा आदिवासी बाहुल्य धवई गांव में व्याप्त जलसंकट को दूर करने और वहां पर रोजगार के अवसर सृजित करने के उद्देश्य से धवई टैंक परियोजना स्वीकृत की थी। एक करोड़ 68 लाख रुपये की इस परियोजना के जरिए आदिवासी किसानों को कृषि कार्य में सिंचाई के लिए गर्मी के दिनों में पानी उपलब्ध कराना था। चूंकि धवई ग्राम पंचायत का भूजलस्तर करीब 250-300 फीट नीचे है, और यहां पर अमूमन सालभर जलसंकट की स्थिति बनी रहती है। इसे देखते हुए शासन ने धवई के आदिवासियों के लिए यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट स्वीकृत किया था। इसका निर्माण स्थल खसरा नंबर 124/1 पर तय किया गया था। लेकिन ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री एमएल सूत्रकार ने बिना सोचे समझे डीपीआर के विपरीत चीलाचौन खुर्द पंचायत के खसरा नंबर 483 पर करा दिया। यह मामला जब उजगार किया तो महकमे में हड़कंप मच गया। वहीं इसे संज्ञान में लेकर कलेक्टर श्री वेदप्रकाश ने इसकी जांच के आदेश दिए थे।
ग्राम सभा हुई नहीं, फिर कैसे ली अनापत्ति
कलेक्टर वेदप्रकाश के निर्देश पर आईएस के कार्यपालन यंत्री केएस मालवीय, एसडीओ आकाश सूत्रकार, जनपद पंचायत नरसिंहपुर के आनंद मंगल तिवारी व एक अन्य की टीम ने चीलाचौन खुर्द में बने तालाब स्थल का निरीक्षण तो किया, लेकिन अपनी गलती छिपाने यहां भी वे नई गलती का दस्तावेजीकरण कर आए। जांच दल ने चीलाचौन खुर्द के चंद लोगोंे से तालाब बने रहने के लिए पंचनामा बनवा लिया। बताया जाता है कि इनमें से कुछ तो सरकारी भूमि के अतिक्रमणकारी थे। वहीं धवई सरपंच महेश कुमार ठाकुर व चीलाचौन खुर्द के सरपंच दशरथ सिंह लौधी से व्यक्तिगत स्तर पर इस बात की अनापत्ति लिखवा ली कि चीलाचौन में तालाब बने रहने से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। यहां गौर करने वाली बात ये है कि पूरे लॉकडाउन से लेकर अब तक जिले की किसी भी पंचायत में सामान्य सभा या ग्राम सभा की बैठक ही नहीं हुई है, ऐसे में पंचों, सचिवों के अनुमोदन के बिना अधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर सरपंचों से लिया गया प्रमाण पत्र विधि विरुद्ध है। ये शासन की आंख में धूल झोंकने वाला है।
पंचायत-जनपद के क्षेत्र से बाहर का मामला
आरईएस के अधिकारियों ने भले ही सरपंचों को मोहरा बनाकर चीलाचौन के तालाब को वाजिब ठहराने की भरपूर कोशिश की हो, लेकिन इस तरह की अनापत्ति देने का अधिकार व्यक्तिगत स्तर तो दूर की बात पंचायतों व जनपद पंचायत तक को नहीं है। इसकी वजह तालाब के निर्माण की लागत राशि है। करीब पौने दो करोड़ की लागत राशि वाले धवई टैंक परियोजना के स्थल परिवर्तन का यदि अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के लिए ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग को शासन स्तर पर अपना प्रस्ताव भेजना था। इतनी बड़ी राशि के निर्माण पर किसी भी तरह के निर्णय का अधिकार न तो ग्राम पंचायत को न ही जनपद पंचायत को है। बावजूद इसके अधिकारियों ने तालाब बदलने की वजह को छिपाने के लिए फिर मनमर्जी का इस्तेमाल किया।
पंचनामा से धवई के लोगों को रखा दूर
तालाब निर्माण स्थल पर जांच करने पहुंचे अधिकारियों के दल ने पंचनामा बनाने के लिए चीलाचौन खुर्द के चंद लोगों के हस्ताक्षर तो करा लिए, लेकिन धवई पंचायत की 1300 आबादी को इससे दूर रखा। अधिकारियों ने धवई के ग्रामीणों को ये तक नहीं बताया कि चीलाचौन खुर्द में जो तालाब बनाया गया है वो दरअसल उनके लिए था। दरअसल, अधिकारियों को पता था कि यदि वे ऐसा करेंगे तो धवई में असंतोष उत्पन्न् हो सकता है। लोग विरोध कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने अपनी करनी को छिपाने के लिए धवई के लोगों को पंचनामा की कार्रवाई से दूर रखा।

इनका ये है कहना
आरईएस के अधिकारी तालाब की जांच करने आए थे। उन्होंने गांव के कुछ लोगों को बुलाया भी था। मैं और धवई सरपंच भी मिलने पहुंचे थे। अधिकारियों ने हमसे सिर्फ इतना कहा कि आप लोग अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दो तो हमने दस्तखत कर दिए। ग्रामसभा ने इसका कोई अनुमोदन नहीं किया हैं। वैसे भी हमें तो अधिकारियों के आने पर पता चला कि ये तालाब चीलाचौन खुर्द में नहीं धवई पंचायत में बनना था।
दशरथ सिंह लोधी, सरपंच, चीलाचौन खुर्द
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सरपंच अकेले ग्राम पंचायत के नाम से कोई अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी ही नहीं कर सकते हैं। ग्राम सभा के अनुमोदन के बाद ही कोई प्रस्ताव पारित हो सकता है। जहां तक धवई के बजाय चीलाचौन खुर्द में तालाब निर्माण की बात है तो इसकी लागत पौने दो करोड़ है। इस पर किसी भी तरह का निर्णय लेने का अधिकार न तो पंचायत को है न ही जनपद को। इस संबंध में निर्णय शासन स्तर पर ही लिया जा सकता है।
देवेंद्र दीक्षित, जनपद सीईओ, नरसिंहपुर।

चीलाचौन खुर्द में हमने निरीक्षण किया था। वहां के लोगों से मिले थे, उन्होंने लिखकर दिया है कि उन्हें तालाब से दिक्कत नहीं है। धवई व चीलाचौन के सरपंचों ने भी व्यक्तिगत अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया गया है। धवई के बजाय चीलाचौन में तालाब कैसे बन गया, मुझे नहीं मालूम। मुझे यहां पर आए सिर्फ 9 माह हुए हैं। तालाब चीलाचौन खुर्द में ही बना है।
केएस मालवीय, कार्यपालन यंत्री, आरईएस नरसिंहपुर।