नरसिंहपुर: पहले दोस्ती बढ़ाई फिर डॉ सिद्धार्थ को लुटवाने सूदखोरों के पास लेकर गया था ये शख्स
सिद्धार्थ तिगनाथ की आत्महत्या का मामला
नरसिंहपुर। एक सभ्रांत परिवार का चिराग डॉ सिद्धार्थ सूदखोरों के चंगुल में ऐसा फंसा कि उसके पास दुनिया छोड़ने का ही इकलौता विकल्प रह गया था। अपनी संपदा, सम्मान, जीवन सब कुछ गंवाने के बाद भी वो सूदखोरों के कर्जे तले दबा ही रहा। खास बात ये है कि बर्बादी के इस चक्रव्यूह की रचना उस शख्स ने की थी, जिसने डॉ सिद्धार्थ से अपनी जान-पहचान को दोस्ती का रूप दिया, फिर उन्हें लुटवाने के लिए घाघ, माफिया सूदखोरों के पास ले गया। कोतवाली थाना पुलिस ने डॉ सिद्धार्थ तिगनाथ की आत्महत्या के मामले में जिन 7 लोगों के खिलाफ धारा 306, 34 के अलावा सूदखोरी अधिनियम की धारा 4 के तहत मुकदमा कायम किया है, उसमें से एक आशीष नेमा नाम का भी सूदखोर है। फिलहाल कथित रूप से ये कोरोना संक्रमित होने के कारण जबलपुर में इलाजरत बताया जा रहा है। इसी कारण इसे पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है। पुलिस की विवेचना में ये बात सामने आई है कि डॉ सिद्धार्थ तिगनाथ को सूदखोरों से मिलवाने का काम आशीष नेमा ने किया था। इसके पहले आशीष ने सिद्धार्थ से जान-पहचान बढ़ाकर उसका दिल जीता। छोटी-मोटी मदद के बाद उन्हें मोटी ब्याज दर पर कर्जे दिलाए। इस सूदखोरी में आशीष नेमा भी पार्टनर रहा। जब कर्जा बढ़ता गया तो आशीष नेमा भी अपने रंग में आ गया। इसने चक्रवृद्धि ब्याज दर ब्याज वसूलने में कोई कोताही बरती। ब्याज की दर 20 से लेकर 120 फीसद तक पहुंचा दी गई। सूत्रों के अनुसार जिन ब्लेंक चेकों को बाउंस कराने का मामला सुर्खियों में है, वे चेक भी इसी के माध्यम से दिए-लिए गए। हालांकि पुलिस इस समूचे मामले की परत दर परत विवेचना में जुटी है।
और भी हैं सूदखोरों के पास ले जाने वाले छद्म मददगार: पुलिस की पहली एफआईआर में भले ही 7 लोगों को दोषी ठहराया हो। पुलिस डॉ सिद्धार्थ को सूदखोरों की चौखट तक ले जाने के मामले में आशीष नेमा की भूमिका की बात कर रही हो, लेकिन ऐसा काम करने वाला ये इकलौता शख्स भी नहीं है। पुलिस भी इस बात को मान रही है। वह इस बात का भी पता लगा रही है कि आशीष नेमा को सिद्धार्थ से मिलवाने वाली कड़ी कौन था। सूत्रों के अनुसार पुराने नरसिंहपुर क्षेत्र के अलावा कंदेली क्षेत्र के भी कुछ ऐसे सूदखोर हैं, जिनके तार डॉ सिद्धार्थ से जुड़े हुए हैं। इन लोगों ने डॉ सिद्धार्थ की मजबूरी का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इनमें एक-दो लोग तो ऐसे हैं जो सिद्धार्थ से ब्याज वसूली के खेल में रातोरात अमीर बन गए।
सिद्धार्थ आत्महत्या कांड से संबंधित डायरी में जितने नाम हैं, और परिजनों ने अपने बयान में जिनके नाम लिए हैं, सबकी जांच की जा रही है। चेक से लेकर नकदी, खातों में हुए भुगतान की जानकारी एकत्र की जा रही है। जिन 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर हुई है, उनकी विवेचना के दौरान पता चला है कि आरोपी आशीष नेमा ने ही अन्य सूदखोरों से डॉ सिद्धार्थ को मिलवाया था। अन्य लोगों की जानकारी जुटाई जा रही है।
जीतेन्द्र गढ़वाल, विवेचना अधिकारी, सिद्धार्थ आत्महत्या कांड, थाना कोतवाली, नरसिंहपुर।