डॉ. सिद्धार्थ तिगनाथ की आत्महत्या के मामले में आरोपी बनाए गए व वर्तमान में नरसिंहपुर के केंद्रीय जेल में बंद सूदखोर अजय जाट, सुनील जाट, धर्मेंद्र जाट, भग्गी यादव, राहुल जैन ने नियमित व फरार चल रहे सौरभ रिछारिया ने अग्रिम जमानत के लिए मध्यप्रदेश हाइकोर्ट जबलपुर में याचिका दायर की थी। इन याचिकाओं पर हाइकोर्ट की सिंगल बेंच के न्यायाधीश अखिल कुमार श्रीवास्तव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की। पीड़ित पक्ष की ओर से हाइकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त ने शासन की ओर से नियुक्त एनपी वर्मा के साथ दलील में न्यायालय के समक्ष डॉ. सिद्धार्थ को सूदखोरों द्वारा दी गई प्रताड़ना, मनमाने तरीके से ब्याज वसूली के लिखित और रिकॉर्डेड सबूत पेश किए। माननीय न्यायालय को बताया गया कि सूदखोरों ने डॉ. सिद्धार्थ को अत्याधिक शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी कि थी, जिसके कारण उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा। जमानत याचिका नामंजूर करने के लिए अधिवक्ताओं ने मध्यप्रदेश बनाम दीपक (2019) 13 एससीसी 62 और नारायण मलहारी थोराट बनाम विनायक देवराव भगत व अन्य (2019) 13 एससीसी 598 का हवाला भी दिया। इससे संतुष्ट होकर माननीय न्यायालय ने सभी 6 आरोपियों की अग्रिम व नियमित जमानत याचिकाओं को नामंजूर कर दिया। वहीं सातवें आरोपी आशीष नेमा की याचिका पर सुनवाई नहीं हुई है।
निचली कोर्ट में पहले ही खारिज हो चुकीं याचिकाएं
हाईकोर्ट जबलपुर की सिंगल बेंच में सुनवाई के पूर्व नरसिंहपुर के केंद्रीय जेल में बंद पांच आरोपियों अजय जाट, सुनील जाट, धर्मेंद्र जाट, भग्गी यादव, राहुल जैन व फरार चल रहे आरोपी सौरभ रिछारिया ने तृतीय वर्ग अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लीना दीक्षित की अदालत में याचिका लगाई थी। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील एड. शैलेष पुरोहित ने पीड़ित डॉ. सिद्धार्थ तिगनाथ की ओर से पैरवी करते हुए आरोपियों के कृत्य को अत्यंत गंभीर प्रकृति का कहते हुए जमानत न देने की अपील की थी, जिसके बाद न्यायालय ने आरोपितों को जमानत देने से मना कर दिया था।
क्या है मामला
डॉ. सिद्धार्थ तिगनाथ ने बीती 22 अप्रेल को नरसिंहपुर-करेली मार्ग स्थित टट्टा पुल के पास ट्रेन से कटकर जान दे दी थी। आत्महत्या के फैसले के पूर्व डॉ. सिद्धार्थ ने अपनी मौत के कारणों को निजी डायरी में लिख छोड़ा था। डायरी में इस बात का खास तौर से जिक्र था कि सूदखोरों ने 10 से 120 फीसद तक ब्याज की वसूली की थी। कई मामलों में तो रोज एक लाख रुपये तक की पेनॉल्टी लगाई गई थी। करीब पांच करोड़ रुपये की नकदी-संपत्ति हड़पने के बाद भी सूदखोरों का कर्जा उतरने का नाम नहीं ले रहा था। इस डायरी को कोतवाली पुलिस ने बरामद कर एसपी विपुल श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में जांच शुरू की थी। प्रकरण में एसआई जितेंद्र गढ़ेवाल को विवेचना अधिकारी बनाया गया था। डायरी की पड़ताल के बाद 20 से अधिक सूदखोरों के नाम पुलिस के सामने आए थे। हालांकि एक पखवाड़े की विवेचना के बाद कोतवाली पुलिस ने मात्र 7 आरोपियों पर ही आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा 306, 34 के अलावा मप्र सूदखोरी अधिनियम की धारा 4 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया था। प्रकरण में अब तक छह आरोपी जिनमें तीन सगे भाई अजय, सुनील, धर्मेंद्र जाट के अलावा राहुल जैन, भग्गी यादव, आशीष नेमा जेल में बंद हैं। जबकि एक आरोपित सौरभ रिछारिया अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।