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नरसिंहपुर: डॉ. सिद्धार्थ तिगनाथ आत्महत्या मामले में 7 सूदखोरों के खिलाफ 700 पेज का चालान, रसूखदारों पर बरसाई कृपा

डॉ. सिद्धार्थ तिगनाथ के जीवित अवस्था का चित्र। 

नरसिंहपुर। जिला व प्रदेशभर में चर्चित रहे डॉ. सिद्धार्थ तिगनाथ आत्महत्या व इनके साथ हुई बेजा सूदखोरी के मामले में पुलिस ने न्यायालय में चालान पेश कर दिया है। प्रारंभिक स्तर पर ही आरोपी बनाए गए 7 सूदखोरों के खिलाफ चालान में पुलिस ने गवाहों, साक्ष्यों, लेनदेन के दस्तावेजों को मिलाकर करीब 700 पेज शामिल किए हैं। हैरत की बात ये है कि मृतक डॉ. सिद्धार्थ की डायरी में एक दर्जन से अधिक ऐसे और नाम थे जिन पर गंभीर प्रताड़ना, वसूली के आरोप लगाए गए थे। इन नामों की जांच में भी आरोपों की पुष्टि हो रही है। बावजूद इसके रसूखदार सूदखोरों पर पुलिस ने कृपा बरसाकर उन्हें प्रकरण से दूर रखा है।
क्या है मामला
बीती 22 अप्रेल को करेली हाइवे के नजदीक टट्टा पुल के पास रेल लाइन पर ट्रेन से कटकर डॉ. सिद्धार्थ तिगनाथ ने आत्महत्या कर ली थी। जान देने के पूर्व डॉ. तिगनाथ ने आत्मघाती कदम उठाने के लिए मजबूर करने वालों के नाम अपनी एक डायरी में लिख छोड़े थे। जिसे बाद में कोतवाली पुलिस ने अपने नियंत्रण में ले लिया था। मामले की जांच के लिए पुलिस अधीक्षक विपुल श्रीवास्तव ने कोतवाली थाना के एसआइ (पदोन्न्ति के बाद निरीक्षक) जितेंद्र गढ़ेवाल को विवेचना अधिकारी बनाया था। घटना के करीब पखवाड़े भर बाद पुलिस ने अजय जाट, धर्मेंद्र जाट, सुनील जाट (तीनों सगे भाई), राहुल जैन, भग्गी यादव, आशीष नेमा व सौरभ रिछारिया पर डॉ. सिद्धार्थ को आत्महत्या के लिए मजबूर करने और अवैध सूदखोरी का मामला पंजीबद्ध किया था। मामले में अब तक छह आरोपित गिरफ्तार कर जेल में बंद हैं, जबकि सातवां आरोपी सौरभ रिछारिया अब तक फरार है।
कोतवाली पुलिस दे रही अब ये तर्क
जिला न्यायालय में कोतवाली पुलिस ने जो चालान पेश किया है, उसमें डॉ. सिद्धार्थ के साथ अवैध वसूली करने वाले कई ऐसे भी नाम हैं जिन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है। ये वे सूदखोर हैं जिन्होंने डॉ. सिद्धार्थ से समय पर ब्याज न देने पर ही जुर्माने के रूप में रोजाना 1 लाख रुपये वसूले थे। पुलिस को इस बात के सबूत भी मिल चुके हैं। उसके द्वारा पेश किए गए चालान में इस बात की पुष्टि भी की गई है कि लेनदेन हुआ है। हैरत की बात है कि डेढ़ माह से अधिक वक्त तक सूदखोरों से पूछताछ करने और प्रमाण मिलने के बावजूद चालान में इन्हें आरोपी नहीं बनाया गया। इस संबंध में विवेचना अधिकारी जितेंद्र गढ़ेवाल का तर्क है कि आरोपियों को जेल भेजने के बाद पुलिस को 60 दिन के अंदर चालान पेश करना जरूरी था, अन्यथा सूदखोरों को अग्रिम समेत नियमित जमानत का लाभ मिल जाता। इसलिए पहले चालान में अन्य सूदखोरों के नाम नहीं आ सके हैं। उनके अनुसार अन्य सूदखोरों के नामों की जांच अभी भी जारी है। विशेष प्रावधान के तहत पुलिस बाकी सूदखोरों के नामों के संबंध में अलग से चालान पेश करेगी।

इनका ये है कहना
पुलिस फरार चल रहे आरोपी सौरभ रिछारिया की तलाश में लगी है। इसके लिए हमने उसके पुराने नरसिंहपुर समेत चावरपाठा स्थित पुस्तैनी घर में भी दबिश दी है लेकिन वह नहीं मिल रहा है। जहां तक अन्य सूदखोरों को आरोपी बनाने का सवाल है तो हमारे विवेचक अभी अवकाश पर हैं, उनके आने पर ही अन्य आरोपियों के नाम चालान में जोड़े जाएंगे। प्रकरण की जांच अभी खत्म नहीं हुई है।
उमेश दुबे, निरीक्षक, थाना कोतवाली, नरसिंहपुर।