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इन उपायों से बचा जा सकता है बिजली के झटकों से, खतरनाक हो सकते हैं बिजली के झटके

 

बिजली के झटके से मामूली कष्ट से लेकर बुरी तरह जलना और हृदयगति रूकने जैसी घटनाएँ हो सकती हैं। बिजली झटके के शिकार व्यक्ति को जलने, नाड़ी धीमी पड़ने, सांस लेने में तकलीफ होने और बेहोश होने तक की भी स्थिति आ सकती है। बिजली का झटका खराब उपकरण, क्षतिग्रस्त तार या एक्सटेंशन लीड, पानी के संपर्क में आया हुआ बिजली का उपकरण, घर की दोष पूर्ण वायरिंग से लग सकता है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने उपभोक्ताओं से बारिश (मानसून) में विद्युत सुरक्षा की ओर विशेष ध्यान देने की अपील की है।

बचाव के उपाय

बिजली का झटका लगने पर घर की मुख्य पावर सप्लाई को तुरंत बंद कर दें। चूंकि मानव शरीर बिजली का अच्छा संवाहक है, इसलिए करंट लगे व्यक्ति को पावर बंद होने तक दूसरे व्यक्तियों द्वारा नहीं छुआ जाना चाहिए ताकि वे स्वयं करंट से बचे रहें। तुरंत आपातकालीन सेवा की सहायता लें और उन्हें विद्युत दुर्घटना के बारे में बताएं।

बिजली सुरक्षा के महत्वपूर्ण सूत्र

वायरिंग लाइसेंसधारी ठेकेदार द्वारा ही करवायें। जिन साकेटों तक छोटे बच्चों की पहुंच हो सकती है, वहां साकेट कवर लगायें। बिजली के जो उपकरण लगातार प्रयोग में न हों, उनके स्विच बंद कर दीजिये। आईएसआई निशान वाले ही बिजली के उपकरणों का प्रयोग सुनिश्चित करें। बिजली का प्लग निकालते या लगातें समय हाथ गीले न हों। क्षतिग्रस्त तारों वाले बिजली के उपकरणों का प्रयोग न करें। प्रयोग में लाए जा रहे बिजली के सभी उपकरणों की नियमित रूप से जांच करें। क्षतिग्रस्त सॉकेटों, एडेप्टरों और स्विच का प्रयोग न करें। बिजली संबंधी कोई मरम्मत कराई जा रही हो तो मेन स्विच को हमेशा बंद रखें। स्वयं मरम्मत का कार्य तभी करें जब आप इसके बारे मे जानते हों। बरसात के दौरान, खुले स्थान में बिजली के उपकरण न चलाएं। पावर सप्लाई बंद करने के बाद करंट लगे व्यक्ति की सांस और नाड़ी की जांच की जा सकती है और उसे आपातकालीन प्राथमिक चिकित्सा दी जा सकती है। यदि आवश्यक हो तो इसके शिकार व्यक्ति को कृत्रिम श्वांस दें। इससे व्यक्ति के बचने के अवसर बढ़ सकते हैं। यदि इस कार्यावधि के बारे में सुनिश्चित नहीं है तो कृपया फोन निर्देशों के लिए एम्बुलेंस कार्मिकों से पूछताछ करें। अगर रोगी सांस ले रहा है तो एम्बुलेंस आने तक उससे बातचीत करते रहें। पीड़ित को हिलाए/डुलाएं नहीं। घावों और जले हुए स्थानों को ऐसी पट्टियों से ढकें जो उस पर न चिपकें। जले स्थानों पर कभी भी किसी मरहम या तेल का प्रयोग न करें।