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शर्मनाक: घर में हफ्ते भर का राशन, फिर भी शिकायत-हम भूखे मर जाएंगे!

नगरपालिका नरसिंहपुर द्वारा प्रतिदिन जरूरतमंदों को दोनों वक्त का भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके बाद भी कुछ लोग फर्जी शिकायतें कर प्रशासन और समाजसेवियों का मनोबल तोड़ने में लगे हैं। फाइल फोटो

नरसिंहपुर।

को रोना संक्रमण के कारण पिछले पिछले 17 दिन से जिले में टोटल लॉक डाउन है। इस अवधि में सब्जी-भाजी, किराना की कालाबाजारी न हुई हो लेकिन कतिपय लोगों में मुफ्तखोरी की प्रवृत्ति को बेतहाशा बढ़ा दिया है। इसका उदाहरण जिला कंट्रोल रूम समेत हेल्पलाइन नंबर पर की जा रही वे फर्जी शिकायतें हैं, जिसमें शिकायतकर्ताओं ने राशन के बिना परिवार के भूखों मरने की कगार पर होने की बात कही है। जबकि हकीकत में इन घरों में एक हफ्ते से लेकर 15 दिन तक का राशन भरा पड़ा है। इसका खुलासा सोमवार को नगरपालिका सीईओ और एसडीएम की जांच में हुआ है।

जानकारी के अनुसार आपातकालीन नंबरों समेत सीएम हेल्पलाइन पर शहर के कतिपय लोगों द्वारा इस बात की शिकायत की गई थी कि उनके घरों में अनाज, राशन खत्म हो गया है। उनके पास इन्हें खरीदने के लिए पैसा नहीं है। अतएव जल्द से जल्द उन्हें राशन आदि की व्यवस्था की जाए। इस तरह की शिकायत मिलने पर हरकत में आए प्रशासनिक अधिकारियों ने सोमवार सुबह से लेकर दोपहर तक शिकायतकर्ताओं के घर-घर जाकर वास्तविक स्थिति का पता लगाया। पड़ताल में उन्हें चौंकाने वाला सच देखने को मिला। लगभग सभी घरों में उन्हें एक हफ्ते से लेकर 15 दिन तक राशन रखा मिला। सबसे अधिक शिकायतें भटिया टोला की रहीं। यहां पहुंचे एसडीएम एमके बमनहा और नगरपालिका सीएमओ ने जब घर-घर जाकर जांच की तो यहां करीब 150 घरों में से महज 4 लोग ही ऐसे मिले, जिनके पास वास्तव में राशन खत्म हो चुका था, या खत्म होने वाला था। अधिकारियों ने तत्काल इन लोगों को हफ्तेभर का राशन उपलब्ध कराया। जबकि शेष लोग अपात्र मिले। हालांकि झूठी शिकायत करने वालों के खिलाफ अधिकारियों ने तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की, तदाथि इन्हें चेतावनी जरूर दी गई।

इसी तरह की जांच शहर के अन्य हिस्सों में भी हुई, लेकिन कहीं कोई ऐसा परिवार नहीं मिला, जो भूखों मरने की कगार पर हो या फिर उसके पास पर्याप्त राशन न हो। पड़ताल में ये बात सामने आई कि, दरअसल जिला प्रशासन द्वारा पिछले दिनों एक आदेश जारी कर बिना राशन कार्ड या पर्ची के जरूरतमंद लोगों को राशन उपलब्ध कराने की बात कही थी। इसके लिए कंट्रोल रूम समेत विभिन्न् अधिकारी कर्मचारियों के फोन नंबर जारी किए गए थे। हालांकि ये आदेश ग्रामीण इलाकों के लिए था, लेकिन शहर के कतिपय लोगों ने इसे मुफ्त का राशन प्राप्त करने जरिया मानते हुए फर्जी शिकायतें करना शुरू कर दिया। इन फर्जी शिकायतों के कारण दिन-रात शहर की सेवा में संलग्न नगरपालिकाकर्मियों, अधिकारियों को मशक्कत करनी पड़ी।