नोटों से भरे लिफाफे में लिखा था नरसिंहपुर के ट्रांसपोर्टर का नाम, सीबीआई ने नहीं दी है क्लीन चिट 

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आनंद गोपाल श्रीवास्तव
नरसिंहपुर। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के रिश्वतखोर क्लर्क किशोर मीणा के घर से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई ने 13 नोटों से भरे बड़े लिफाफे जब्त किए थे। इन लिफाफों में ट्रांसपोर्टरों का नाम लिखा हुआ था। इनमें से एक ट्रांसपोर्टर नरसिंहपुर का अमर गुड्स भी था। सीबीआई के अनुसार मामले की जांच जारी है, प्रकरण में किसी भी ट्रांसपोर्टर को क्लीन चिट नहीं दी गई है। वहीं जांच एजेंसी के अधिकारी बता रहे हैं कि वे अब इन ट्रांसपोर्टरों को मिले परिवहन ठेके की शर्तों और नियम पालन की भी जांच करेंगे।
नरसिंहपुर के स्टेशनगंज क्षेत्र स्थित अमर गुड्स के दफ्तर में 8 जून को सीबीआई भोपाल की टीम ने दबिश दी थी। सुबह 10 से शाम 6 बजे तक टीम के सदस्य ट्रांसपोर्टर के दस्तावेजों को खंगालते रहे। हालांकि वे यहां से बिना कुछ कहे निकल गए, जिसका आशय ये निकाला जाने लगा था कि ट्रांसपोर्टर को क्लीन चिट दे दी गई है। ट्रांसपोर्टर नरेंद्र राजपूत ने भी इसी तरह की बात कही भी थी। हालांकि अब सीबीआई के अधिकारी जांच पूरी होने के पहले किसी को भी क्लीन चिट देने की बात से इंकार कर रहे हैं। उनके अनुसार मामला बेहद संगीन है।
ये हैं जांच के बिंदु: सीबीआई एसपी मनीष श्रोती ने बताया कि रिश्वतखोरी के प्रकरण में बंधे किशोर मीणा के घर पर जब दबिश दी गई थी तो डायरी में 13 ट्रांसपोर्टरों के नाम, पता और मोबाइल नंबर बरामद हुए थे। पड़ताल के दौरान मीणा के घर से करीब सवा करोड़ रुपये नकद भी बरामद हुए थे। इतना सारा रुपया 13 लिफाफों मंे था। खास बात ये है कि नोटों से भरे हर लिफाफे पर ट्रांसपोर्टर का नाम लिखा हुआ था। इन्हें जब्त करने के बाद सीबीआई ने अपनी जांच तीन बिंदुओं पर शुरू की। इसमें से पहली ये कि इन लिफाफों में जिन ट्रांसपोर्टरों के नाम लिखे हैं, यदि ये राशि उन्होंने ने दी है तो क्यों? दूसरा बिंदु ये है कि क्या ये राशि मीणा ने इन ट्रांसपोर्टरों को भिजवाने के लिए रखी थी, यदि हां तो क्यों? क्या इस राशि को वह ट्रांसपोर्टरों के माध्यम से विभिन्न् जिलों में निवेश करता है। तीसरा बिंदु ये कि एफसीआई से जुड़े ट्रांसपोर्टरों को ठेका किन शर्तों पर दिया गया, क्या टेंडर न्यायोचित तरीके से हुआ है? इन तीन प्रमुख सवालों के जवाब तलाशने के लिए ही नरसिंहपुर जिला मुख्यालय के स्टेशनगंज स्थित अमर गुड्स ट्रांसपोर्ट के कार्यालय में 8 जून को सीबीआइ के सब इंस्पेक्टर के साथ तीन अन्य लोगों की टीम ने करीब 6 घंटे तक विभिन्न् दस्तावेज खंगाले। 2 दिसंबर 2016 से मई 2021 के बीच एफसीआई के अंतर्गत अनाज के परिवहन संबंधी कागजातों की जांच की। बताया जा रहा है कि सीबीआई की टीम कुछ दस्तावेजों को साथ लेकर भी गई है।
जांच के दायरे में ये सवाल-कई सालों से एक को ही परिवहन का ठेका कैसे
एफसीआई के क्लर्क किशोर मीणा की रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तारी के बाद सीबीआई की जांच का दायरा लिफाफे में दर्ज ट्रांसपोर्टरों के मामले में बढ़ गया है।  सूत्रों के अनुसार सीबीआई के पास एक जानकारी पहुंची है, जिसमें ये कहा जा रहा है कि एफसीआई के अधिकारी मिलीभगत कर परिवहन का ठेका एक ही व्यक्ति को वर्षों से प्रदान कर रहे हैं। इसी ट्रांसपोर्टर के पास यूरिया-खाद आदि के परिवहन का ठेका भी है। इस जानकारी के बाद सीबीआई के अधिकारी भी हैरत में हैं। सूत्रों के अनुसार सीबीआई अब तक सिर्फ ये पता लगा रही थी कि लिफाफों में बंद नोट किसके थे, लेकिन अब वह ये भी पता लगा रही है कि कहीं परिवहन के ठेके को देने में ही सारा राज तो नहीं छिपा है। सीबीआई को ये भी संदेह है कि एक ही व्यक्ति को बार-बार ठेका देकर एफसीआइ के अधिकारी-कर्मचारी कोई बड़ा खेल तो नहीं खेल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार सीबीआइ एसपी भोपाल के पास ये शिकायत भी है कि वर्ष 2019-20 की राइस मिलिंग के दौरान घटिया चावल भंडारण का मामला भी एफसीआइ की केंद्रीय टीम ने जांच में उजागर किया था। हालांकि इस मामले में क्या जांच की गई, इस पर अभी तक पर्दा पड़ा हुआ है। सीबीआई जल्द ही इन फाइलों को तलब करने वाली है।
इनका ये है कहना
भारतीय खाद्य निगम के क्लर्क किशोर मीणा के घर से हमें नोटों से भरे 13 बड़े लिफाफे मिले थे, इनमें ट्रांसपोर्टरों के नाम लिखे हुए थे। इनमें से एक लिफाफा नरसिंहपुर के ट्रांसपोर्टर अमर गुड्स के नाम का भी था। इसलिए हमारी टीम ने 8 जून को अमर गुड्स ट्रांसपोर्ट के संचालक से पूछताछ की थी। हम ये पता कर रहे हैं कि एफसीआई के अंतर्गत परिवहन के टेंडर में कोई गड़बड़ी तो नहीं है। इसके लिए वृहद स्तर पर तथ्य जुटाए जा रहे हैं।
मनीष श्रोती, एसपी, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, भोपाल 
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