गाडरवारा। शनिवार को थाने में टीआई अर्चना नागर द्वारा जन्मदिन मनाने के दौरान लॉक डाउन के उल्लंघन वाले मामले में चार दिन होने के बाद भी जांच के नाम पर मामले को लटकाया जा रहा है। पुलिस कप्तान ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को जांच सौंपने की बात जरुर कही है लेकिन कार्यवाई करने में आला अधिकारी आनाकानी करते नज़र आ रहे हैं।
इधर सत्ता पक्ष की चुप्पी
इस मामले को लेकर सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं ने भी चुप्पी साध रखी है। सोशल मीडिया पर कुछेक को छोड़कर सत्ता पक्ष भी कुछ कहने से बच रहा है। इसको लेकर भी लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है कि आमआदमी पर जब कार्यवाई की जा सकती है तो फिर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा नियमों का उल्लंघन करने पर आखिर किस कारण से कार्यवाई नहीं की जा रही है।
सिविल सेवा आचरण का भी उल्लंघन
जानकार बताते हैं कि शासकीय अधिकारी अथवा कर्मचारियों द्वारा नियमों का उल्लंघन किया जाना सिविल सेवा आचरण के विरुद्ध भी माना जाता है। ऐसे में शासकीय नियम तोड़ने वालों पर कार्यवाई की जाना चाहिये।
सोशल मीडिया समेत जिले भर में चर्चा का विषय
गाडरवारा थाने में लॉक डाउन उल्लंघन का मामला पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। सोशल मीडिया पर भी आमजन द्वारा जमकर न सिर्फ विरोध किया जा रहा है बल्कि कारवाई की मांग भी की जा रही है। सोशल मीडिया पर चल रही पोस्ट में कुछ यहाँ जैसी की तैसी प्रकाशित की जा रही हैं।
मुकेश मरैया, भाजपा नेता एवं समाजसेवी लिखते हैं कि निर्णय तो लोकतंत्र में तब आता है,या तो सत्ता पक्ष चाहे, या विपक्ष बहुत आंदोलित हो या जनता का बहुत दबाव सत्ता पक्ष महसूस कर रहा हो मेरा मत है कि निर्णय आना चाहिए और ऐसा आना चाहिए की कि समाज को लगे कि कानून सब के लिए समान है।
उद्योगपति विनीत माहेश्वरी लिखते हैं कि इतने सम्वेदनशील मामले में क्षेत्र के 90 प्रतिशत नेताओं की रहस्यमयी चुप्पी समझ से परे है।
अजय राठौर लिखते हैं पत्रकार पूरी नज़र रखे हैं और सच सामने ला रहे हैं बस जनप्रतिनिधि मनमानस के मन की बात सुन ले।
सुमित दुबे लिखते हैं सारे शहर को पता है कहा कब और कितने बजे क्या हुआ और कौन कौन सामिल था तो जाच कमेटी को क्यो नही पता ओर वैसे भी जाच कमेटी पूछ ताछ थाने के कर्मचारियों से ही करेगी तो सच सामने आना नामुकिन है। जब न्याय होने में देरी होती है तो उसका सीधा सा मतलब है कि कोई बीच का रास्ता निकाला जाए जिससे साँप भी मर जाये और लाठी भी न टुटे।
फ़ेसबुक पर सुमित साहू लिखते हैं कि यदि आम आदमी की पार्टी होती तो डिस्टेंस की, मास्क की राजनीति शुरु हो जाती या पुलिस की कारवाई हो चुकी होती।
फ़ेसबुकं पर ही पियूष पाठक लिखते हैं कि संबंधित लोगों पर उच्च अधिकारियों द्वारा कार्रवाई होना चाहिए। जनता होती तो अब तक धाराएं ठोक देती यही पुलिस। एसपी और डीआईजी स्तर के अधिकारियों तक यह बात पहुंचनी चाहिए। बात अब अंजाम तक पहुंचनी चाहिए।
रंजीत राजपूत लिखते हैं कि किसने मना किया, खूब एन्जॉय करो जन्मदिन, सबसे पहले हमने भी शुभकामनाएं ही दी है, पर एक बात बताओ जब आप ही नियमों का पालन नही करोगे तो दूसरों पर नियम तोड़ने पर डंडे बरसाने के लिए आपकी आत्मा गवाही कैसे देगी।
बहरहाल पूरे जिले की निगाहें इस मामले के ऊपर टिकी हुई हैं कि व्यवस्था न्याय की बात करने वाले इस मामले में क्या करते हैं।