नरसिंहपुर। जिले में कोरोना संक्रमण का वर्तमान दौर पिछले के मुकाबले कहीं अधिक भयानक है। एक तो पिछले साल के मुकाबले अब यहां पर सैंपलिंग नहीं हो रही है, दूसरे संक्रमण का विस्तार शहरी क्षेत्र से ज्यादा ग्रामीण अंचलों में देखने को मिल रहा है। चिंताजनक बात ये है कि कई गांव में तो दर्जनों लोग बुखार, उल्टी-दस्त, खांसी-जुकाम में पीड़ित हैं, वे सैंपलिंग कराना चाहते हैं लेकिन उनकी जांच नहीं हो रही है। ये गांव एक तरह से कोरोनारूपी बारूद के ढेर पर हैं, जहां संक्रमण रूपी ब्लास्ट कब हो जाए कहा नहीं जा सकता। इन्हीं में से एक गांव घाटपिपरिया है, जहां के 7 मरीज सीटी स्कैन कराने के बाद भोपाल-जबलपुर के अस्पतालों में भर्ती हैं।
जिले में यूं तो कोरोना पर नियंत्रण के कई प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन ये नाकाफी हैं। कई मामलों में तो ये दिखावे वाले साबित हुए हैं, इसके चलते जमीनी हकीकत बेहद डरावनी हो गई है। चावरपाठा जनपद के अंतर्गत घाटपिपरिया गांव संक्रमण के प्रकोप का एक प्रमुख उदाहरण बन रहा है। एनटीपीसी के पीछे स्थित घाटपिपरिया गांव में जानकारी के अनुसार कोरोना संक्रमण बेतरतीब ढंग से बढ़ रहा है। इस गांव के हालात बुरी तरह से बिगड़ जाने के बावजूद स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी यहां की सुध नहीं ले रहे हैं। न ही गांव के लोगों की सैंपलिंग ही की जा रही है। इसका नतीजा ये रहा कि अपनी जान पर आई मुसीबत से बचने के लिए यहां के लोगों ने खुद ही सीटी स्कैन कराई। इसमें 7 लोगों में कोरोना का संक्रमण पाया गया, जिसके बाद वे भोपाल, जबलपुर की निजी अस्पतालों में भर्ती होकर इलाज करा रहे हैं। वहीं 2 मरीज जिला अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे। ग्रामीणों के अनुसार गांव में कोरोना के लक्षण वाले मरीजों की तादाद बहुत अधिक है। इनमें से अधिकांश लोग सीटी स्कैन का खर्चा नहीं उठाने की स्थिति नहीं हैं, जिसके चलते इनकी जांच नहीं हो पा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में हर दूसरा-तीसरा घर बीमारों से भरा है लेकिन जानकारी देने के बाद भी स्वास्थ्य महकमे की टीम ने उनकी सुध नहीं ली। आश्चर्य की बात ये है कि गांव में तैनात स्वास्थ्य विभाग का मैदानी अमला भी इस स्थिति की वास्तविक रिपोर्टिंग जिलास्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष नहीं कर रहा है।
डोकरघाट में बीमार की मिट्टी में पहुंचे दर्जनों लोग: शुक्रवार को डोकरघाट में लंबे समय से बुखार आदि से पीड़ित चल रहे एक व्यक्ति की मौत हो गई। उसकी शवयात्रा में गांव से लगभग हर घर का आदमी पहुंचा था। मुक्तिधाम में लगे जमघट व बीमार की मृत्यु के संबंध में जब डोकरघाट पुलिस को जानकारी मिली तो पुलिसकर्मी गांव पहुंच गए। यहां उन्होंने ग्रामीणों के बयान लिए। ये घटना इसलिए बड़ी है क्योंकि यदि मृतक कोरोना से पीड़ित रहा तो उसकी शवयात्रा में शामिल दर्जनों लोगों के भी संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाएगी।
उमरिया, सगौनीखुर्द गांव में भी बिगड़ रहे हालात
घाटपिपरिया गांव के अलावा जिला मुख्यालय से लगे उमरिया, सगौनीखुर्द गांव में भी बड़ी संख्या में बुखार, जुकाम, सर्दी-खांसी से पीड़ित मरीज हैं। जो चाहते हैं कि उनकी कोरोना संबंधी जांच हो जाए, जो नहीं हो पा रही है। जानकारी के अनुसार सगौनीखुर्द गांव में दर्जनों लोग इस समय बीमार चल रहे हैं। इसी तरह की स्थिति उमरिया गांव की भी है। ग्रामीणों की मांग है कि उनकी जल्द से जल्द कोविड-19 संबंधी जांच कराई जाए।
सिहोरा में बनाया जाए सैंपलिंग सेंटर: गाडरवारा तहसील के अंतर्गत कोरोना का प्रकोप सर्वाधिक है। बावजूद इसके सैंपलिंग के लिए यहां पर पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं की जा सकी हैं। सिहोरा कस्बे की बात करें तो इससे लगे खुलरी, पुरगवां, बोहानी, सुपारी समेत करीब आधा सैकड़ा गांव के लोगों की मांग है कि सिहोरा में कोरोना की जांच के लिए केंद्र बनाया जाना चाहिए। इसके न होने के कारण बीमार लोगों को गाडरवारा, नरसिंहपुर, करेली जाकर अपनी सैंपलिंग करानी पड़ती है, जो कि उनके लिए खर्चीला और परेशानी भरा है।