गाडरवारा में शंकराचार्यजी बोले- जो सदाचार का त्याग कर देता है, उसे नहीं मिलता वेदों का फल

0

गाडरवारा। पादुका पूजन कार्यक्रम में भक्तों के बीच मौजूद जगतगुरु शंकराचार्य।

गाडरवारा। जो सदाचार का त्याग कर देता है वह वेदों का फल प्राप्त नहीं करता, परंतु जो अपना जीवन धर्मानुसार सदाचारी बना लेता है वह संपूर्ण फलों को प्राप्त करने वाला होता है। वेदों व शास्त्रों द्वारा बताया गया आचरण ही परम धर्म कहा गया है अत: जो आत्मा की उन्न्ति चाहते हैं उन्हें हमेशा सदाचरण करना चाहिए।
उपरोक्त विचार जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद महाराज ने सर्व ब्राह्मण महासभा द्वारा आयोजित पादुका पूजन समारोह में व्यक्त किए। महाराज श्री ने कहा कि ब्राह्मण शरीर को जप-तप ध्यान एवं शिक्षा अभ्यास पर ध्यान देकर अपना कर्म करना चाहिए। क्योंकि समाज जीवन के प्रत्येक कार्य में जन्म से लेकर मृत्यु तक और मृत्यु के बाद भी किए जाने वाले सनातनी संस्कारों के निर्वाहन में हमारी वैदिक शिक्षा व संस्कार का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि परम आनंद का सूत्र अध्यात्म है। हमारी संस्कृति में स्त्री को गृह स्वामिनी कहा गया है माता-पिता को अपनी बच्चों में अच्छे संस्कार देना चाहिए, जिससे वह अपनी संस्कृति में ही वरण कर सकें। यह दुखद पहलू है कि हमारी कन्याएं दूसरी संस्कृति में जा कर गर्व महसूस करती हैं फिर जीवन भर पछताना पड़ता है हमें अपनी संस्कृति पर और समाज व्यवस्था पर गर्व होना चाहिए और उसी के अनुरूप संस्कारित होना चाहिए। इसके पहले एमपीईबी कॉलोनी स्थित श्री योगेंद्र ढिमोले के निवास पर महाराज श्री का पादुका पूजन कर उनका आशीर्वाद लिया गया। कार्यक्रम में पं.नागेंद्र त्रिपाठी, बसंत जोशी, पं.राजीव दुबे, पंचमलाल स्थापक, आनंद दुबे, पं. भानू दीक्षित, राजेंद्र शर्मा, महेश अधरुज, डॉ. उमाशंकर दुबे, पं. बालाराम शास्त्री, अशोक भार्गव, सतीश नायक, मनीष स्थापक, सीताराम शर्मा, सुबोध राजौरिया, रमाकांत पारासर, राकेश खेमरिया, अनुराग शर्मा, संदीप स्थापक, संजय अवस्थी, गिरीश पचौरी, अनिल शर्मा आदि शामिल थे।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

error: Content is protected !!
Open chat