दुनियाभर के ईसाई समुदाय के लोग गुड फ्राइडे को तपस्या, दु:ख और उपवास के दिन के रूप में मनाते हैं कहा जाता है कि 2000 वर्ष पहले यरुशलम के गैलिली प्रांत में ईसा मसीह, लोगों को मानवता, एकता और अहिंसा का उपदेश दे रहे थे। उनके उपदेश सुनकर कई लोग उन्हें ईश्वर का पुत्र मानते थे। लेकिन कुछ धार्मिक अंधविश्वास फैलाने वाले धर्मगुरु उनसे चिढ़ने शुरू कर दिया था। जहां एक तरफ लोगों के बीच ईसा मसीह की लोकप्रियता बढ़ रही थी वहीं, दूसरी तरफ यह बात धर्मगुरुओं का अखरने लगी थी। धर्मगुरुओं ने ईसा मसीह की शिकायत रोम के शासक पिलातुस से की। उन्होंने पिलातुस से कहा कि यह व्यक्ति खुद को ईश्वरपुत्र बता रहा है। यह पापी है और ईश्वर राज की बातें करता है। जब उनकी शिकायत की गई तो ईसा मसीह पर धर्म अवमानना करने का आरोप लगाया गया। साथ ही राजद्रोह का आरोप भी लगाया गया। इसके बाद ईसा को क्रूज पर मत्यु दंड देने का फरमान दिया गया।
गुड फ्राइडे का महत्व
लोग इस दिन ईसा मसीह के बलिदान को याद करते हैं। उनके दिखाए प्रेम और शांति के मार्ग पर चलने का प्रण लेते हैं। इस दिन लोग बड़ी संख्या में गिरजाघरों में प्रार्थना के लिए जाते हैं। लोग चर्च में जाकर क्रॉस को चूमकर ईसा मसीह को याद करते हैं। इस दिन लोग उपवास रहते हैं और चर्च में प्रार्थना में भाग लेते हैं। गुड फ्राइडे के तीसरे दिन पुनः जीवित होकर मृत्यु पर विजय पाकर पुररूत्थान के रूप में ईस्टर को मनाया जाता है।