जानकारी के अनुसार मामले में सुनवाई के दौरान गवाह, प्रत्यक्षदर्शी पार्षद राजेश चौकसे, ड्राइवर लक्ष्मण चढ़ार के अलावा मनीष चढ़ार, घायल साक्षी रिपोर्टकर्ता कमलेश पाठक अपने बयानों से मुकर गए थे। बावजूद इसके प्रकरण में मृतक सुरेंद्र राय के परिजनों की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता देवेंद्र गोस्वामी (देबू) ने उच्चतम न्यायालय के दृष्टांतों का हवाला देते हुए बताया कि साक्षियों द्वारा बयानों से मुकरने के बावजूद मामले में परिस्थितियां साबित करती हैं कि आरोपियों ने ही घटना को अंजाम दिया है। गवाहों का अस्वाभाविक आचरण उनके कथनों को संदिग्ध बनाता है। ऐसी स्थिति में पुलिस अधिकारियों के साक्ष्य को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। इस तर्क और न्याय दृष्टांतों से सहमत होते हुए न्यायाधीश श्री देवड़ा ने आरोपी दोनों भाइयों अजय सिंह व विक्रम सिंह को सुरेंद्र राय की सामान्य आशय बनाकर हत्या करने पर आजीवन कारावास व एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया। इसके अलावा स्वयं के अपराध को छिपाने के आशय से किए गए साक्ष्य मिटाने के प्रयास व घटनास्थल को नष्ट करने के लिए 3 वर्ष का कारावास व 200 रुपये जुर्माना, आर्म्स एक्ट के तहत 4 वर्ष का कारावास व 1 हजार रुपये जुर्माना समेत आयुध अधिनियम में 6 माह का कारावास व 500 रुपये का जुर्माना लगाने का निर्णय दिया। मामले में मृतक परिवार की ओर से एड. देवेंद्र गोस्वामी के अलावा शासन की ओर से एडीपीओ प्रदीप भटेले ने पैरवी की थी।
ये था घटनाक्रम: प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन महामंत्री सुरेंद्र राय की 14 फरवरी 2019 की शाम करीब 5.30 बजे ग्राम बिछिया मानेगांव में अजय सिंह ने रायफल से सीने में गोली मार दी थी। जबकि विक्रम सिंह ने कमलेश पाठक को दाहिने कंधे में गोली मारी थी। घटना पार्षद राजेश चौकसे और ड्राइवर लक्ष्मण चढ़ार ने देखी थी। इस हत्याकांड के बाद आरोपितों ने घटनास्थल गुड़ भट्टी कुल्होर की खून भरी जमीन पर गन्न्े के छोते डालकर आग लगा दी थी। घटना के बाद घायलों को को तत्काल गोटेगांव अस्पताल ले जाया गया और जहां से उन्हे जबलपुर रेफर किया गया। मेडिकल कालेज जबलपुर पहुंचने पर डाक्टरों ने सुरेंद्र राय को मृत घोषित कर दिया था और गंभीर रूप से घायल कमलेश पाठक का इलाज किया। ठेमी पुलिस ने घायल कमलेश पाठक की रिपोर्ट पर आरोपियों के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, आर्म्स एक्ट आदि का अपराध दर्ज कर प्रकरण को न्यायालय में पेश किया था।