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नरसिंहपुर: एलोपैथी चिकित्सकों ने चेताया सरकार को, आयुर्वेद सर्जरी को मिली मान्यता तो ठप्प कर देगें स्वास्थ्य सेवाएं, आईएमए ने प्रधानमंत्री के नाम भेजा ज्ञापन

नरसिंहपुर। केंद्र सरकार द्वारा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में सर्जरी की अनुमति का देशभर में विरोध हो रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को जिले के एलोपैथी चिकित्सकों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए अपने-अपने हॉस्पिटल में सुबह से शाम तक ओपीडी बंद रखी। हालांकि इमरजेंसी सेवाएं बहाल रहीं। वहीं आईएमए की जिला इकाई ने सरकार को चेताया कि यदि आयुर्वेद सर्जरी संबंधी कानून पारित हुआ तो सभी एलोपैथी चिकित्सक अनिश्चितकाल के लिए अपनी ओपीडी बंद कर विरोध प्रदर्शन करने मजबूर होंगे।

शुक्रवार दोपहर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष डॉ. संजीव चांदोलकर ने प्रेसवार्ता में बताया कि केंद्र सरकार द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली में सर्जरी को अनुमति देने की तैयारी में है। उनके अनुसार सरकार का ये कदम आम आदमी के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाला है। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन आयुर्वेद, यूनानी या होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली का विरोधी नहीं है, लेकिन इनमें अनुसंधान की सख्त जरूरत है। इस पर ध्यान देने के बजाय सरकार सर्जरी जैसी एलोपैथी विधा को उक्त चिकित्सा प्रणाली से जोड़कर प्रणाली से जोड़कर आम जिंदगियों के साथ खिलवाड़ को प्रोत्साहन दे रही है। आईएमए अध्यक्ष ने चरक आदि संहिताओं में उल्लेखित आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया। डॉ. चांदोलकर ने कहा कि एलोपैथी में सर्जरी करने वाले चिकित्सक को शरीर की सम्पूर्ण संरचना का ज्ञान कराया जाता है। जबकि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से डॉक्टरी पढ़ने वालों के लिए ये सब जरूरी नहीं रहता। ऐसे में एलोपैथी की सर्जरी को आयुर्वेद चिकित्सा में शामिल करना मानवीय दृष्टि से भी न्यायोचित नहीं है। इसके कालांतर में कई खतरे पैदा होंगे। उन्होंने सरकार के इस कदम को मिक्सोपैथी करार देते हुए कानून वापस लेने की पुरजोर मांग की। इस मौके पर आईएमए से जुड़े चिकित्सक पराग पराडकर, हंसराज सिंह और आशीष उपाध्याय खासतौर से मौजूद थे। डॉ. पराग पराडकर ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण अभी 100 में से 75 एमबीबीएस पासआउट चिकित्सक विदेशों की और रुख कर लेते हैं। आयुर्वेद सर्जरी को प्रोत्साहन करने की नई नीति से पलायन की दर 100 फीसद होने की आशंका है। उन्होंने कहा कि सरकार को मेडिकल कॉलेजों में अधिक से अधिक सीटें बढ़ानी चाहिए, ताकि चिकित्सकों की कमी को दूर किया जा सके।
निजी अस्पतालों में नहीं मिला इलाज: शुक्रवार को आईएमए की देशव्यापी हड़ताल के अंतर्गत जिले के निजी अस्पतालों में भी बंद का असर दिखा। सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक चिकित्सकों ने ओपीडी सेवाएं बंद रखीं। इसके चलते बुखार, सर्दी, खांसी समेत ब्लड प्रेशर, शुगर आदि से पीड़ित पुरुष, महिला, बुजुर्ग, बच्चे आदि परेशान रहे। जिला अस्पताल में रोगियों की भीड़ आम दिनों के मुकाबले अधिक रही। हालांकि निजी अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं बंद से असर से मुक्त रहीं। आईएमए जिला अध्यक्ष ने चेतावनी दी कि यदि आयुर्वेद सर्जरी का फैसला वापस नहीं लिया गया तो जिला समेत पूरे देश में एलोपैथी चिकित्सक अपने-अपने अस्पतालों में तालाबंदी कर देंगे। इसकी सम्पूर्ण जवाबदारी केंद सरकार की होगी।