नरसिंहपुर। दो दिन पहले यानी 22 मई को मुंबई से मुजफ्फरपुर जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में गाडरवारा-बोहानी के बीच महिला यात्री रिंकू देवी पति राजू शाह ने एक बालिका को जन्म दिया था। आपातकालीन चिकित्सा सेवा के लिए इस विशेष ट्रेन को स्टापेज न होने के बावजूद नरसिंहपुर रेलवे स्टेशन पर रोककर जिला अस्पताल की मेडिकल टीम ने सहायता उपलब्ध कराई थी। नरसिंहपुर की इस मानव सेवा के बावजूद मुजफ्फरपुर से आई खबर जिले के लोगों के लिए मायूस करने वाली है। दरअसल, यह बच्ची अब इस दुनिया में नहीं है। मुजफ्फरपुर पहुंची पीड़ित दंपती ने आरोप लगाया कि बच्ची के जन्म के बाद उसे नरसिंहपुर से लेकर जबलपुर, सतना रेलवे स्टेशन तक किसी तरह की कोई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई। जबलपुर में सिर्फ उसे दो-तीन गोलियां देकर विदा कर दिया गया। जबकि सतना में उसकी नवजात बच्ची को ये कहकर चुप करा दिया गया कि इसका वाजिब इलाज छिवकी इलाहाबाद में ही होगा। पीड़ितों का आरोप है कि सतना से छिवकी के बीच आखिरकार उसकी उस बच्ची की मौत हो गई, जिसके लिए उन्होंने मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में मन्न्त मांगी थी। उनका ये तक आरोप है कि यदि नरसिंहपुर से इलाहाबाद तक इलाज मिल जाता तो उनकी बच्ची की जान नहीं जाती।
ये है हकीकत: जीआरपी के रजिस्टर में दर्ज समय के अनुसार 22 मई दोपहर 1 बजकर 53 मिनट पर मुंबई से मुजफ्फरपुर की ओर जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन को नरसिंहपुर रेलवे स्टेशन पर रोका गया। इसमें एक प्रसूता ने गाडरवारा-बोहानी के बीच बालिका को जन्म दिया था। इसके इलाज के लिए स्टेशन प्रबंधक संजय सोनकर ने नरसिंहपुर एसडीएम एमके बमनहा से जबसहायता मांगी तो एसडीएम अपने साथ पांच सदस्यीय महिला मेडिकल स्टाफ को लेकर नरसिंहपुर स्टेशन पहुंचे थे। ट्रेन में पीछे से पांचवी-छठी बोगी में पीड़िता को चिकित्सकीय दल ने करीब 45 मिनट तक इलाज भी दिया था। सब कुछ ठीक होने के बाद करीब पौने तीन बजे ट्रेन को रवानगी दी गई थी। स्टेशन प्रबंधक और एसडीएम नरसिंहपुर की इस भलमनसाहत और मानव सेवा के बावजूद बच्ची की मौत की जिम्मेदारी का एक अंश नरसिंहपुर के खाते में कलंक के समान है।